Easy Gardening Tips: आज के आधुनिक दौर में खेती-किसानी सिर्फ गांव तक सीमित नहीं है, बल्कि शहरों में भी लोग घर की छतों और खाली पड़े गार्डन में खेती करने के शौकीन होते हैं. पहले तो गार्डनिंग (Home Gardening)  शौकीया होती थी, लेकिन आज के समय घर पर ही सब्जियां उगाकर रसोई जरूरतों को पूरा करना आसान गया है. अच्छी गार्डनिंग की यही निशानी है कि जरूरतें और शौक दोनों ही एक समय पर पूरे होते रहें, लेकिन क्या आप जानते हैं कि गार्डनिंग से अच्छा आउटपुट लेने के लिये गार्डन में पेड़-पौधों की सही देखभाल करना भी उतना ही जरूरी है, जितना शौक पूरे करना.


क्या कहते हैं एक्सपर्ट (Expert Advice about Gardening)
घर की छत पर बागवानी को लेकर कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि पौधों की देखभाल करना किसी बच्चे को पालने से कम नहीं है. गमले या गार्डन में लगाये गये पौधे बच्चों की तरह नाजुक होते हैं. इनकी परवरिश-देखभाल ठीक उसी प्रकार से की जाती है, जिस प्रकार बच्चों को नाजों से पाला जाता है. तभी गार्डन को हरा-भरा रख सकते हैं, इसलिये आज हम आपको उन गार्डनिंग टिप्स के बारे में जानकारी देंगे, जिनकी मदद से अपने गार्डन को हरा-भरा और खुशहाल रख सकते हैं.




किचन टू किचन गार्डनिंग (Kitchen to Kitchen Gardening)
कई लोग पौधों फर ज्यादा सब्जी और फूल लगाने के लिये कैमिकल स्प्रे करते हैं, जिससे पौधे की सेहत के साथ-साथ सब्जियां खाने वाले की सेहबत भी खराब हो सकती है, इसलिये जितना हो सके ऑर्गेनिक एंजाइम्स (Organic Engimes) प्रयोग करें, जिनके लिये अलग से खर्च करने की भी जरूरत नहीं होती, बल्कि ये जरूरी चीजें रसोई से ही मिल जायेंगी.



  • किचन टू किचन गार्डनिंग दुनिया का सबसे आसान कॉन्सेप्ट है, जिसमें रसोई से निकला वेस्ट गार्डनिंग (Kitchen Waste) में गार्डनिंग से निकली सब्जियां, फल और फूल किचन और घर में पहुंचते हैं. 

  • अपने गार्डन को हरा-भरा और फलों से भरपूर रखने के लिये किचन वेस्ट को फेंके नहीं, बल्कि इसके मिट्टी के घटे या मिट्टी के ही कंटेनर में इकट्ठा करके कंपोस्ट बनायें. ऐसी करने से खर्चा तो बचेगा ही, ऑर्गेनिक गार्डनिंग (Organic Gardening) का लुफ्त भी उठा सकेंगे.

  • अकसर गमले या गार्डन की मिट्टी में घोंघे या रेंगने वाले कड़े मंडराने लगते हैं. इनकी रोकथाम के लिये अंड़ों के छिलकों को धोकर-सुखाकर उसका चूरा बनायें. इस चूर्ण को मिट्टी में मिलायें, जिससे पौधों को पोषण और सुरक्षा दोनों मिल सकेंगे. 




ग्राफ्टिंग करते रहें (Grafting in Gardening)
गार्डनिंग करने वाले लोगों के लिये ग्राफ्टिंग विधि फायदे का सौदा है. कई लोग ऐसे हैं, जिन्होंने ग्राफ्टिंग विधि अपनाकर सिर्फ 4 पौधों से पूरा गार्डन खड़ा कर लिया है. कई लोग महंगे पेड़-पौधों जैसे-बोनसाई, गुलाब और फलदार पौधों की ग्राफ्टिंग करके अच्छा पैसा भी कमा रहे हैं. इस लेवल का लाभ कमाने के लिये जरूर है कि ग्राफ्टिंग विधि की ट्रेनिंग करें. हालांकि छोटे स्तर पर गार्डनिंग करने के लिये प्रोफेशनल



  • ग्राफ्टिंग सीखने की जरूरत नहीं होती, बल्कि धीरे-धीरे कटाई-छंटाई करते रहने से ही हाथ साफ हो जाता है.

  • गार्डन में पौधों की ग्राफ्टिंग करने से पौधों के बीमार हिस्सों को समय रहते हटा सकते हैं, इससे पौधों को मरने से भी बचाया जा सकता है.

  • पौधों के अच्छे विकास के लिये भी ग्राफ्टिंग बेहद जरूरी है, इसमें सूखे-गले पत्तों को हटाने से पौधे तेजी से ग्रोथ कर जाते हैं.




घर पर बनायें ऑर्गेनिक पेस्टीसाइड (organic Pesticides) 
छत पर घर के निचले गार्डन में लगाये गये पौधों में चींटी, मक्खी और दूसके कीड़े-मकौड़ों का प्रकोप होने लगता है, जिससे निपटने के लिये नीम के पानी (Neem Pesticide Spray) को उबालकर कीटनाशक बनायें और  ठंडा होने पर स्प्रे बोतल (Spray Bottle) से पौधों पर छिड़काव करें



  • पौधों को पोषण देने के लिये गोबर की खाद (Organic Manure) या किचन से निकले सब्जियों के पानी (Vegetable Nutritional Water for Plants) को भी डाल सकते हैं. बता दें कि सब्जियों के पानी काफी न्यूट्रिएंट्स होते हैं, जो फेंकने से बर्बाद हो जाते हैं. ऐसे में इनका इस्तेमाल पौधों के विकास में करें.

  • अकसर पौधों पर छोटे-छोटे मच्छर उडने लगते हैं, जिनकी रोकथाम के लिये पौधों में दालचीनी का पाउडर (cinnamon Powder for Plants)  डालें, इससे गार्डन में खुशबू तो फैलेगी ही, साथ ही दालचीनी में मौजूद एंटी बैक्टीरियल गुणों के कारण कीड़ों का खतरा भी नहीं रहेगा. 




Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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