Profitable Farming: माचिस की डिब्बी, पेंसिल बनाने से लेकर इतने काम का है ये पेड़, एक बार कर दी बुवाई तो होगी लाखों रुपये की कमाई
मालाबार नीम की खेती मुनाफे की खेती है. परंपरागत से हटकर किसान इससे अच्छी कमाई कर सकते हैं. विशेष बात यह इसमें लागत कम, जबकि कमाई कई गुना हो जाती है.
Malabar Neem Farming: भारत कृषि प्रधान देश है. इस देश की अधिकांश आबादी खेती किसानी से जुड़ी हुई है. किसान देश के बड़े हिस्से में गेहूं, धान, मक्का, दलहन, तिलहनी फसलों की बुवाई कर अपना जीवनयापन करते हैं. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि कमाई के लिए किसानों को थोड़ी सूझबूझ और तकनीक से खेती करने की जरूरत है. किसानों को पारंपरिक खेती करने के बाद अन्य खेती पर भी ध्यान देना चाहिए. इससे किसान बेहद आराम से लाखों रुपये का मुनाफा कमा सकते हैं.
कमाई की खेती है मालाबार नीम की खेती
मालाबार नीम के पेड़ की खेती मुनाफे का सौदा है. विशेषज्ञों का कहना है कि मालाबार नीम की लकड़ी कई काम आती है. इसकी लकड़ी का उपयोग पैकिंग करने, माचिस की तिली तैयार करने, कुर्सी-मेज, सोफा बनाने समेत अन्य कामों में भी किया जाता है. किसान इसकी खेती कर लाखों रुपये कमा सकते हैं. जानकारों का कहना है कि मालाबार नीम के पेड़ की लकड़ी बाजार में महंगे दामों पर बिकती है.
इस तरह उपयोग में आता है पेड़
मालाबार नीम की बुवाई मार्च और अप्रैल में की जा सकती है. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि खेत ढाई एकड़ का है तो 2 से ढाई हजार पौधे लगाए जा सकते हैं. वहीं खेत की लंबाई-चौड़ाई 4 एकड़ है तो 5000 पौधों को लगाया जा सकता है. मालाबार नीम बुवाई के 3 साल कागज और माचिस की तिलियां बनाने के काम आता है. 5 साल बाद प्लाईवुड और 8 साल बाद इसका इस्तेमाल फर्नीचर बनाने में किया जाता है. जैसे जैसे पेड़ की उम्र बढ़ती है. ऐसे ऐसे ही कमाई भी बढ़ जाती है.
बुवाई के लिए ये मिट्टी है उपयोगी
मालाबार नीम की खेती के लिए सही मिट्टी का चयन भी जरूरी है. जैविक खाद से भरपूर रेतीली दोमट मिट्टी मालाबार नीम की खेती के लिए बेहतर होती है. लैटराइट लाल मिटटी में भी मालाबार नीम की अच्छी पैदावार होती है. यदि बजरी से भरी उथली मिटटी में मालाबार नीम की बुवाई करने की सोच रहे हैं तो नुकसान उठाना पड़ सकता है. ऐसी मिट्टी में मालाबार नीम का पेड़ विकास नहीं कर पाता है.
इस तरह करें पौधे की रोपाई
खेत में रोपाई करते समय पौधों के बीच की दूरी का ख्याल रखा जाना बेहद जरूरी है. रोपाई करते समय दो फीट चौड़ाई और डेढ़ फीट गहराई रखें. दोनों पौधों के बीच की दूरी 8 फीट होनी चाहिए. जैविक और अच्छे फर्टिलाइजर का प्रयोग ही खेती के लिए करना चाहिए. यदि जगह कम है तो इन्हें 5 फीट की दूरी पर भी लगाया जा सकता है. वहीं, नर्सरी में रोपाई कर पौध तैयार करना चाहते हैं तो मार्च और अप्रैल में इसकी रोपाई की जानी चाहिए. साफ और सूखे बीजों को नर्सरी में 5 सेंटीमीटर की दूरी पर ड्रिल की गई लाइनों में बोना चाहिए. रेत बिल्कुल न डालें. इसमें बीज अंकुरित नहीं हो पाते हैं. मिटटी और खाद का प्रयोग कर बीजों की बुवाई करें.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.