Pre Booking of Potato: आलू पकने से पहले ही मंडी व्यापारियों ने चालू कर दी बुकिंग, प्रति क्विंटल के मिलेंगे इतने दाम
Potato Cultivation: आलू के बंपर उत्पादन के लिए मशहूर ब्रज क्षेत्र में किसानों से आलू की प्री-बुकिंग की जा रही है. आलू की फसल में नुकसान की संभावना के बीच आलू के प्रति क्विंटल दाम भी तय हो रहे हैं.
Potato Marketing: उत्तर प्रदेश में आलू की खेती बड़े पैमाने पर होती है. खास तौर पर ब्रज क्षेत्र के नाम से विख्यात अलीगढ़ और आगरा मंडल में बड़े पैमाने पर किसान आलू की खेती करते हैं. यहीं से करीब 95% आलू दिल्ली-एनसीआर में भेजा जाता है. इन दिनों आलू की फसल में मौसम की अनिश्चितता उसे नुकसान की संभावना बनी हुई है, जिसको लेकर किसान तो चिंता में है, लेकिन मंडी व्यापारियों में अलग ही जल्दबाजी देखने को मिल रही है. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो आगरा और अलीगढ़ के मंडी व्यापारियों ने अब आलू की पहले ही बुकिंग करने के लिए किसानों के खेतों पर पहुंचना चालू कर दिया हैं. इतना ही नहीं, किसानों के साथ मिलकर हाथों-हाथ आलू के प्रति क्विंटल दाम भी तय किए जा रहे हैं.
फसल पकने से पहले आलू की बुकिंग
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हर साल मंडी व्यापारी किसानों के खेतों पर जाकर आलू की बुकिंग करते हैं, यह कोई पहली बार नहीं है, जब आलू पकने से पहले कारोबारी क्षेत्रों पर आलू के रेट और उपाय बुक करने पहुंचे हो. हर साल आलू के अवधि 65 से 70 दिन होते ही व्यापारी किसानों के साथ सौदा करने के लिए खेतों की ओर निकले पड़ते है.
इस दौरान खेत से निकले आलू की उठावनी के बदले किसानों के हिसाब से कीमतें भी निर्धारित कर ली जाती हैं. इस सौदे में कई बार किसानों को भी फायदा हो जाता है, क्योंकि कई बार अलग-अलग मंडियों में आलू के सही दाम नहीं मिलते.
पहले से ही कीमतें निर्धारित होने पर व्यापारी अपने आप ही खेतों पर आकर आलू की उठावनी करके ले जाते हैं और खुद ही कोल्डस्टोरेज का खर्चा भी करते हैं. इस तरह किसानों की ट्रांसपोर्टेशन और कोल्डस्टोरेज का खर्चा भी बच जाता है.
प्रति क्विंटल के किसानों को मिलेंगे इतने दाम
किसान तक की रिपोर्ट में आगरा के आलू व्यापारी बताते हैं कि आलू की फसल 65 से 70 दिन की हो चुकी है. कुछ खेतों को छोड़कर ज्यादातर इलाकों में आलू की फसल को कोई बीमारी भी नहीं लगी है, इसलिए व्यापारियों ने पहले से ही बुकिंग कर ली है.
इस बीच किसानों से 1300 से 1400 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर आलू का सौदा किया गया है. आलू के व्यापारी इसलिए भी pre-booking कर रहे हैं, क्योंकि इस साल मौसम की अनिश्चितताओं से फसल में नुकसान की संभावना बनी हुई है.
ऐसे में मार्केटिंग सीजन आने तक बाजार में आलू के दाम में उतार-चढ़ाव बना रहेगा. वहीं प्री-बुकिंग करने से किसान और व्यापारी दोनों को ही तोल-मोल करने की समस्या से निजात मिलेगी.
क्या मार्केटिंग पर पड़ेगा इसका असर
किसी भी फसल की पहले से ही बुकिंग करने पर कई चीजें प्रत्यक्ष नहीं होती. उदाहरण के लिए- यदि मार्केटिंग सीजन में आलू के दाम अधिक हो और किसानों ने पहले से ही कम दामों पर सौदा कर लिया हो तो ऐसे में किसानों को नुकसान भी हो सकता है, लेकिन यदि आलू के दाम मार्केटिंग सीजन में कम हो तो ऐसे में किसान बड़े नुकसान से बच जाते हैं.
इसी तरह की गतिविधियां मंडी व्यापार में भी देखने को मिलती है. मंडी के कई जानकारों का कहना है कि आलू की pre-booking का मकसद फसल के दाम में उतार-चढ़ाव लाने के लिए होता है. पहले से ही आलू खरीद कर कई कारोबारी मनमाने दामों पर आलू बेचते हैं.
बदलते मौसम के बीच हो रहे आलू के सौदों से कोई भी समझ सकता है कि मंडी व्यापारी क्यों फसल में हो रहे नुकसान के बीच आलू की बुकिंग कर रहे हैं, जबकि यह सौदा सिर्फ खेत से निकली साफ स्वस्थ उपज के लिए ही होता है. बाकी का नुकसान के लिए किसानों को ही झेलना पड़ता है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.