उत्तर प्रदेश सरकार निर्यातकों के लिए वैश्विक मानकों के अनुसार इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में जुटी है. इसका सीधा लाभ आम उत्पादकों को मिलेगा. इससे उत्तर प्रदेश का आम अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में आसानी से पहुंच सकेगा. इसके लिए केंद्र सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट में आम को समुद्री मार्ग से एक्सपोर्ट करने की योजना बनाई है. इसका प्रदेश के बागवानों को आम की अच्छी कीमत मिलेगी.


20 फलों व सब्जियों का होगा निर्यात


प्रदेश सरकार निर्यातकों के लिए वैश्विक मानकों के अनुसार इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में जुट गई है, ताकि उत्तर प्रदेश के आम को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में आसानी से पहुंचाया जा सके. केंद्र सरकार जिन 20 फलों और सब्जियों को समुद्री मार्ग से एक्सपोर्ट करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट तैयार कर रही है, उसमें आम का फल भी शामिल है. इससे आम के निर्यात की जो भी संभावना बनेगी, उसका लाभ आम का सर्वाधिक उत्पादन करने वाले उत्तर प्रदेश के बागवानों को ही मिलेगा.



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मार्केट की मांग पर रंगीन प्रजातियों पर जोर


लखनऊ के रहमान खेड़ा स्थित केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक टी दामोदरन की अगुआई में भी आम की गुणवत्ता सुधारने, यूरोपियन मार्केट की मांग के अनुसार रंगीन प्रजातियों के विकास पर भी लगातार कार्य किया जा रहा है. बाजार में अंबिका, अरुणिमा नाम की प्रजाति जारी हो चुकी है. अवध समृद्धि प्रताजि जल्द ही आने वाली है. जबकि अवध मधुरिमा रिलीज की लाइन में है. निर्यात की बेहतर संभावना वाली इन सभी प्रजातियों का सबसे ज्यादा लाभ उत्तर प्रदेश के बागवानों को मिलेगा. बागवानों को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण उपज के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की गोष्ठी के आयोजन कर जागरूक किया जा रहा है.


भारत-इजरायल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय गोष्ठी हाल ही हुई. इसके पहले 21 सितंबर को आम की उपज और गुणवत्ता में सुधार की रणनीतियां और शोध प्राथमिकताएं विषय पर भी एक अंतर्राष्ट्रीय गोष्ठी का आयोजन हुआ. यूएस और यूरोपीय देशों के निर्यात मानकों को पूरा करने के लिए सरकार जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास रेडिएशन ट्रीटमेंट प्लांट भी स्थापित करेगी. ऐसा ट्रीटमेंट प्लांट उत्तर भारत में कहीं पर नहीं है. इस प्रकार के ट्रीटमेंट प्लांट सिर्फ मुंबई और बेंगलुरु में ही हैं. इन्हीं दो जगहों के आम की प्रजातियों अल्फांसो, बॉम्बे ग्रीन, तोतापुरी, बैगनफली की निर्यात में सर्वाधिक हिस्सेदारी भी है.


आम को ट्रीटमेंट के लिए पहले भेजा जाता था मुंबई या बेंगलुरु


प्रदेश में ट्रीटमेंट प्लांट न होने से वर्तमान में संबंधित देशों के निर्यात मानकों के अनुसार आम को ट्रीटमेंट के लिए पहले मुंबई या फिर बेंगलुरु भेजा जाता है. इसके बाद फिर निर्यात कि‍या जाता है. इसमें काफी समय और संसाधन की बर्बादी होती है, यही कारण है कि योगी सरकार पीपीपी मॉडल पर जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास रेडिएशन ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की तैयारी कर रही है. ट्रीटमेंट प्लांट शुरू होने पर उत्तर प्रदेश के आम बागवानों के लिए यूएस और यूरोपीय देशों के बाजारों तक पहुंच आसान हो जाएगी, क्योंकि उत्तर प्रदेश में आम का सबसे अधिक होता है. इसलिए निर्यात के किसी भी नए मौके का सबसे ज्यादा फायदा भी प्रदेश के बागवानों को ही मिलेगा.



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वैश्विक बाजार में आम के एक्सपोर्ट की बहुत सारी संभावनाएं हैं. कृषि उत्पादन आयुक्त देवेश चतुर्वेदी से इनोवा फूड के एक प्रतिनिधिमंडल ने पिछले साल मुलाकात की थी. जिसमें उन्होंने बताया कि यूएस और यूरोपीय बाजारों में चौसा और लंगड़ा आम की ठीक ठाक डिमांड है. अगर उसके निर्यात के मानकों को पूरा कर लिया जाय तो उत्तर प्रदेश के लिए यह संभावनाओं वाला बाजार हो सकता है, क्योंकि ये दोनों प्रजातियां उत्तर प्रदेश में ही पैदा होती हैं. तभी तो इसका लाभ उत्तर प्रदेश के बागवानों को सीधा मिलेगा.




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