Mangosteen Farming In India: भारत में किसान धान, गेहूं, मक्का समेत अन्य फसलों की बुआई कर लाखों रुपये की कमाई करते हैं. कई बार आपदा आने पर किसानों को नुकसान भी हो जाता है. हालांकि, यह नुकसान किसी भी फसल में हो सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि पारंपरिक खेती जीवन चलाने के लिए तो बेहतर हैं. लेकिन और अधिक बेहतर कमाई करनी है तो पारंपरिक खेती से हटकर भी फसलों की बुवाई की जा सकती है. आज हम ऐसी ही खेती के बारे में आपको जानकारी देंगे. जिसमें मेहनत कम है, लेकिन किसान उससे मोटा मुनाफा कमा सकते हैं. 


मैंगोस्टीन की खेती से कमा सकते हैं लाखों रुपये


भारत में किसान लगातार उन्नत उपज पाने वाली खेती कर रहे हैं. मैंगोस्टोन की खेती ऐसी ही फसलों में से एक है. यह फल पोषक तत्वों से भरा होता है. इसमें एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल गुण होते हैं. यह कई बीमारियों में लाभकारी है. स्तन कैंसर, लीवर कैंसर और ल्यूकेमिया जैसी बीमारियों से बचाव में काम आता है. इसी कारण लोग भी इसे खाना पसंद करते हैं. लोगों की पसंद के कारण ही मैंगोस्टीन बाजार में अच्छे भाव पर बिक जाता है


इस तरह की जलवायु जरूरी


मैंगोस्टीन गर्म, नमी युक्त और भूमध्यरेखीय जलवायु जरूरी होती है. इस फल को न अधिक पानी, न अधिक गर्मी और न ही अधिक सर्दी की जरूरत होती है. तापमान की बात करें तो इसके लिए 5 से 35 डिग्री सेल्सियस ठीक रहता है. इसके उत्पादन के लिए अधिक बारिश की जरूरत नहीं होती है. लेकिन यदि सूखे की स्थिति रहती है तो इससे फसल उत्पादन गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि मैंगोस्टीन पौधों के लिए सीधे सूरज की रोशनी की जरूरत नहीं होती है. इससे इसकी ग्रोथ पर प्रभाव पड़ सकता है. कई बार पौधे की मौत तक हो जाती है. इसलिए कोशिश करें कि पौधे को डायरेक्ट सनलाइट न मिले. हर दिन पौधे के लिए औसतन 13 घंटे तक धूप की जरूरत होती है. 


ऐसी मिट्टी होती है लाभकारी


मैंगोस्टीन पौधों की उपज के लिए सही मिट्टी का चयन करना बेहद जरूरी है. रेतीली, दोमट मिट्टी मैंगस्टीन की उपज के लिए बेहतर होती है. ध्यान रखें कि इस तरह की मिटटी में कार्बनिक पदार्थां का अधिक होना जरूरी होता है. अच्छी उपज के लिए मिटटी के पीएच मान का भी ध्यान रखना चाहिए. 


नर्सरी से लाकर लगाएं पौधे


आजकल बाजार में खराब बीजों का भी चलन है. विक्रेता सस्ते बीजों को ही महंगे दामों पर बेच देते हैं. इससे उपज अच्छी नहीं हो पाती है. यदि बीजों को लेकर जरा भी संशय है तो नर्सरी से पौधा खरीदकर लगाना चाहिए. 12 इंच तक ऊंचा होने में पौधे को दो साल लग जाते हैं. इसी समय पौधों को नर्सरी से लाकर खेत में लगाया जा सकता है. 7 से 8 साल बाद मैंगस्टीन पफल देना शुरू करता है. मैंगस्टीन पहली बार फल जुलाई से अक्टूबर में देता है. वहीं, अप्रैल से जून का महीना मानसून का होता है. इस महीने में मैंगस्टीन फल देता है. किसान इसी फल को बचेकर ही लाखों रुपये कमाते हैं. 



Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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