International Year of Millets 2023:  रविवार को मन की बात (Mann Ki Baat) कार्यक्रम के 97th एपीसोड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योग दिवस और मिलेट में समानता का जिक्र किया. पीएम मोदी ने बताया कि भारत के प्रस्ताव पर ही संयुक्त राष्ट्र संघ (Uniter Nations) ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने की मंजूरी दी थी और अब भारत के ही प्रस्ताव पर 72 देशों का समर्थन मिलने पर साल 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष (International Year of Millet 2023) के तौर पर मनाया जा रहा है. योग ओर मिलेट दोनों ही स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में अहम रोल अदा कर रहे हैं. अब जन भागीदारी के चलते इन दोनों ही अभियानों में क्रांति आ गई है. लोगों ने सक्रिय भागीदारी के साथ योग और फिटनेस को अपने जीवन का हिस्सा बनाया है. ठीक उसी प्रकार मिलेट को भी लोग बड़े लेवल पर अपना रहे हैं. अपने खान-पान का हिस्सा बना रहे हैं. इस बदलाव का प्रभाव भी नजर आने लगा है.


छोटे किसानों में बढ़ा उत्साह
मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि मिलेट को लेकर छोटे किसानों काफी उत्साहित हैं, जो पहले पारंपरिक रूप से मिलेट का उत्पादन (Millet Production) करते थे. वो खुद है कि दुनिया अब मिलेट का महत्व समझने लगी है. दूसरी तरफ एफपीओ और आंत्रप्रेन्योर्स ने मिलेट को बाजार में पहंचाने में अहम रोल अदा किया है. आम जनता की थाली तक मिलेट को पहुंचाने के प्रयास चालू हो गए हैं. 


इसी कड़ी में आंध्र प्रदेश के नंदयाल जिले के निवासी केवी रामा सुब्बा रेड्डी जी ने मिलेट की खातिर एक अच्छी तरह से भुगतान वाली नौकरी छोड़ दी. उनके मन में मां के हाथों से बने मिलेट व्यंजनों का स्वाद ऐसा था कि उन्होंने अपने गांव में बाजरे की प्रोसेसिंग यूनिट भी चालू कर दी. आज सुब्बा रेड्डी लोगों को बाजरे के महत्व और इसके फायदों को समझाते हुए उन्हें बाजरा उपलब्ध भी करवाते हैं.






महाराष्ट्र में भी अलीबाग के पास केनाड गांव की रहने वाली शर्मिला ओसवाल भी पिछले 20 साल से मिलेट की पैदावार में इनोवेटिव तरीके से योगदान दे रही हैं. वो किसानों को स्मार्ट खेती की तरकीबें सिखाती हैं. इनके प्रयासों से मिलेट की पैदावार ही नहीं, किसानों की आमदनी में भी इजाफा हुआ है.






पीएम मोदी ने कहा कि यदि आपको छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जाने का मौका मिले तो यहां मौजूद मिलेट कैफे अवश्य जाएं. कुछ महीने पहले ही इस कैफे का आगाज हुआ है, जहां मिलेट का चिल्ला, डोसा, मोमोज, पिज्जा और मंचूरियन जैसे आइटम काफी फेमस हो रहे हैं.


मिलेटप्रन्योरशिप से बढ़ रही इनकम
उड़ीसा के मिलेट मिशन (Odisha Millet Mission) ने राज्य को मिलेट हब बना दिया है. मन की बात में पीएम मोदी ने इस मिशन से जुड़ी महिला उद्यमियों की भी सराहना की. उन्होंने बताया कि उड़ीसा के मिलेटप्रेन्योर्स (Milletpreneurs) इन दिनों खूब सुर्खियों में हैं. उड़ीसा के आदिवासी जिले सुंदरगढ़ की लगभग 1500 महिलाओं का स्वयं सहायता समूह उड़ीसा मिलेट मिशन से जुड़ा हुआ है. ये महिलाएं मिलेट से कुकीज़, रसगुल्ला, गुलाब जामुन, और केक भी बना रही हैं. बाजार में मिलेट से बने इन उत्पादों की मांग बढ़ रही है, जिससे महिलाओं को अच्छी आमदनी भी हो रही है. 






इस कड़ी में कर्नाटक के कलबुर्गी में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट्स रिसर्च (Indian Institute of Millet Research) की निगरानी में आलैंड भुताई मिलेट FPO ने खाखरा, बिस्कुट और लड्डू आदि बनाने का काम चालू किया था, जो आप लोगों को काफी पसंद आ रहे हैं. वहीं बीदर जिले में हुलसूर मिलेट उत्पादक कंपनी से जुड़ी महिलाएं मिलेट की खेती (Millet Cultivation) के साथ-साथ आटा तैयार कर रही हैं, जिससे उनकी आय में इजाफा भी हुआ है. 






छत्तीसगढ़ के संदीप शर्मा ने भी मिसाल पेश की है, जो प्राकृतिक खेती करते हैं. आज संदीप शर्मा ने अपने किसान उत्पादक संगठन में 12 राज्यों के किसानों को शामिल कर लिया है, जो 8 प्रकार के मोटे अनाजों का आटा और व्यंजन बना रहा है.


जी-20 समिट में परोसे जा रहे मिलेट फूड
भारत में कई स्थानों पर जी-20 समिट के आयोजन चल रहे हैं, जहां मिलेट से बने पौष्टिक और स्वादिष्ट व्यंजन परोसे जा रहे हैं. इनमें बाजरा-खिचड़ी, पोहा, खीर और रोटी आदि शामिल है. जी-20 की कई प्रदर्शनियों में मिलेट से बने हेल्थ ड्रिंक्स, सिरील्स और नूडस्स को भी प्रदर्शित किया गया.


इस मिशन की लोकप्रियता को बढ़ाने के कई प्रयास हो रहे हैं, जिससे दुनिया में मिलेट की मांग बढ़ेगी और छोटे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी. आज मिलेट ने बने प्रोडक्ट युवा पीढ़ी को भी खूब भा  रहे हैं. यह इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट की शानदार शुरुआत है.


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