Lemon for High Income: भारत में बागवानी फसलों की खेती का प्रचलन बढ़ता जा रहा है. किसान भी हर साल बंधी-बंधाई आमदनी हासिल करने के लिये फल और सब्जियों के बाग लगा रहे हैं. सरकार भी राष्ट्रीय बागवानी मिशन जैसी कई योजनाओं के जरिये किसानों को फलों और सब्जियों के बाग लगाने के लिये प्रोत्साहित कर रही है. साल 2022 की बात करें तो नींबू की फसल ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरी है. खराब मौसम और बेमौसम बारिश के कारण नींबू के बागों में सारी फसल खराब हो गई, जिसके कारण बाजार में नींबू के भाव आसमान छूने लगें. इस बीच नींबू के किसानों को भी काफी नुकसान झेलना पड़ा. अगर किसान समय से पहले अपनी फसलों का प्रबंधन कर लें, तो ये नुकासन फायदे में बदल सकता है.


नींबू की खेती के लिये सरकारी मदद
भारत की सरकार देश में बागवानी फसलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिये किसानों को हर तरह से प्रोत्साहित कर रही हैं. बागों में अलग-अलग कृषि कार्यों में मदद प्रदान करने के लिये अलग-अलग प्रकार की योजनायें चलाई जा रही हैं. जैसे बुवाई, सिंचाई, खाद-उर्वरक की खरीद और कटाई से लेकर मंडी तक फसल को पहुंचाने के लिये सरकार आर्थिक मदद दे रही है. अगर बात करें नींबू की खेती की तो केंद्र सरकार द्वारा चलाये जा रहे राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत किसानों को 50% तक की सब्सिड़ी का प्रावधान है. किसानों को हरियाणा सरकार से भी नींबू के बाग लगाने के लिये 12000 प्रति हैक्टेयर के हिसाब से अनुदान मिल रहा है.


नुकसान से बचायेगा फसल बीमा
आज पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण प्रदूषण के कारण मौसम की अनिश्चितताओं से जूझ रही है. इसका सीधा असर खेती-किसानी पर पड़ रहा है. खासकर बेमौसम बारिश से बागों और फसलों को काफी नुकसान होता है, जिसका बोझ सीधा किसानों पर पड़ता है. किसानों पर पड़ने वाले इस संकट को कम करने के लिये सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जारी की है. जो आपदाओं से फसल को सुरक्षा कवर प्रदान करती है. इस योजना के तहत किसान अपनी फसल का बीमा करवाके हर महिने एक निश्चित प्रीमियम की राशि का भुगतान करते हैं. इसके बदले फसल को नुकसान होने पर बीमा कंपनियां किसानों को नुकसान की भरपाई कर देती हैं.


बागवानी के लिये सही ट्रेनिंग
वैसे तो नींबू की फसल में कीड़े और बीमारियों का खतरा कम ही रहता है, लेकिन इसकी बागवानी से अच्छा उत्पादन लेने के लिये बेहतर ट्रेनिंग का होना बेहद जरूरी है. बेहतर ट्रेनिंग के जरिये किसान समय रहते फसल में होने वाली समस्या का निदान कर सकते हैं. बागवानी की ट्रेनिंग के लिये किसान अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र में संपर्क कर सकते हैं. या फिर सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनायें जैसे-परंपरागत  कृषि विकास योजना, राष्ट्रीय बागवानी मिशन, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना और एकीकृत बागवानी मिशन के तहत खुद को पंजीकृत करके सही ट्रेनिंग और आर्थिक अनुदान का लाभ ले सकते हैं.


लागत और कमाई
नींबू के बाग लगाने के लिये जुलाई से सिंतबर तक का समय सबसे उत्तम माना जाता है, क्योंकि मानसून की बारिश के चलते सिंचाई का खर्च भी बच जाता है और बागों को पोषण भी मिल जाता है. अगर किसान भाई एक एकड़ जमीन में नींबू के बाग लगाना चाहते हैं तो इसमें तीन साल के लिये 20,000 रुपये का खर्च लगता है. वहीं आमदनी की बात करें तो इस साल बाजार में नींबू 200-400 रुपये किलो तक की कीमत पर बेचा गया. लेकिन आम स्थिति में नींबू का भाव 40-70 रुपये किलो तक होता है. जहां एक पेड़ से 30-40 किलो तक नींबू मिल जाते हैं. हिसाब लगायें तो पहली उपज बिकते ही नींबू किसानों को मालामाल बना सकता है.
 


इसे भी पढ़ें:-


Red ladyfinger Farming: ज्यादा आमदनी के लिये उगायें लाल रंग की भिंडी, जानिए इसके फायदे


Subsidy on Farming: किसानों की कमाई में चार चांद लगा देंगे भारतीय मसाले, खेती के लिये 50% सब्सिडी देगी सरकार