Measures To Increase Onion Production: प्याज को भारत की एक प्रमुख बागवानी और नकदी फसल के तौर पर जानते हैं. यहां महाराष्ट्र के किसान सबसे ज्यादा प्याज की फसल लगाते हैं और कम जोखिम में बेहतर उत्पादन भी हासिल करते हैं. यहां खेती के लिए कुछ खास तरीकों को अपनाया जाता है. बता दें कि महाराष्ट्र (Onion Farming in Maharashtra) के नासिक, सोलापुर, पुणे और धुले जिलों में बड़े पैमाने पर प्याज की खेती हो रही है. एशिया का सबसे बड़ा प्याज का बाजार भी महाराष्ट्र की लासलगांव (Lasalgaon, Maharashtra) में ही मौजूद है. यहां किसानों को ना सिर्फ अपनी उपज के अच्छे दाम मिलते हैं, बल्कि कई किसान व्यावसायिक खेती (Commercial Farming of Onion) और प्रसंस्करण करके प्याज को दोगुने दाम पर भी बेजते हैं तो आइए जानते हैं कि प्याज की खेती (Onion Cultivation) के लिये कौन-सा खास तरीका और कौन-कौन सी सावधानियां बरतने की जरूरत होती है.


प्याज की उन्नत किस्में 
प्याज की फसल से बेहतर उत्पादन (Onion Production) लेने के लिए जरूरी है कि इसकी उन्नत किस्मों के प्रमाणित बीजों का ही चयन किया जाए. बता दें कि यह प्याज की खेती में यही सबसे भूमिगत काम होता है. उन्नत बीजों को लगाकर कम खर्च में भी फसल से ज्यादा और क्वालिटी उत्पादन ले सकते हैं. इस तरह की जोखिम की संभावना भी कम ही रहती है. 



  • प्याज की बासवंत-780 (Onion Baswant-780) किस्म सबसे उन्नत किस्म के तौर पर फेमस है. यह रोपाई के 100 से 110 दिनों के बीच पककर तैयार हो जाती है और 250 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देती है. 

  • वहीं एम-53 (Onion M-53) किस्म की गिनती की सबसे शानदार किस्मों में होती है, जो बुवाई के 100 से 150 दिनों में पककर तैयार होती है.

  • लाल चमकीले प्याज की ये किस्म 200 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देती है.


मिट्टी और जलवायु का रखें ध्यान
आज के समय में किसी भी मौसम में प्याज की खेती (Onion Cultivation in India) की जा सकती है, लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो सर्दियों के मौसम में प्याज की फसल से ज्यादा अच्छा उत्पादन ले सकते हैं. 



  • अक्टूबर से लेकर नवंबर तक का समय प्याज की रोपाई के लिए सबसे उपयुक्त रहता है. इस समय जल निकासी वाली दोमट मिट्टी को जैविक विधि से इसे तैयार करना चाहिए.

  • कई किसान क्षारी और दलदली मिट्टी में भी प्याज की फसल लगा देते हैं, जो ठीक नहीं है और यह मिट्टी प्याज की खेती के लिये अनुकूल नहीं रहती.


ठीक प्रकार पोषण प्रबंधन करें 
किसी भी फसल से बेहतर उत्पादन लेने के लिए खाद और उर्वरकों का संतुलित मात्रा (Fertilizer Management in Onion) में ही इस्तेमाल करना चाहिये, ताकि मिट्टी के साथ-साथ फसल को भी पोषण मिल सके.



  • प्याज की खेती की मिट्टी की जांच के आधार पर ही खाद-उर्वरकों का इस्तेमाल करना चाहिए. 

  • चाहें तो प्याज की जैविक खेती या प्राकृतिक खेती के दौरान वर्मीकंपोस्ट और जीवामृत का इस्तेमाल करके भी प्याज का काफी अच्छा उत्पादन ले सकते हैं.

  • बता दें कि प्रति हेक्टेयर खेत में प्याज की रोपाई करने से एक महीना पहले ही गोबर की खाद डालकर मिट्टी की जुताई की जाती है और खेत को तैयार किया जाता है.


बुवाई से पहले बीज उपचार
विशेषज्ञों की मानें तो किसी भी फसल की बुवाई से पहले बीज उपचार (Onion Seeds Treatment) जरूर करना चाहिये, जिससे मिट्टी की कमियां उपज पर हावी नहीं होती है. 



  • प्याज की फसल के लिए भी एनपीके उर्वरक की क्रमशः 50 किलो मात्रा का इस्तेमाल बीज या प्याज के कंदों या बीजों का उपचार किया जाता है. 

  • प्याज की फसल में सिंचाई का भी बड़ा महत्व है, इसलिये पानी लगाने के बजाय ड्रिप इरिगेशन सिस्टम यानी टपक सिंचाई विधि का इस्तेमाल किफायती और ज्यादा फायदेमंद रहता है.


प्याज की कटाई में सावधानी 
प्याज की ज्यादातर किस्में रोपाई के 90 से 110 दिनों के बीच पककर तैयार हो जाती हैं, लेकिन कई किसान कच्ची फसल या अधिक पकी फसल की खुदाई करते हैं, जिससे फसल का उत्पादन काफी हद तक प्रभावित होता है.



  • विशेषज्ञों की मानें तो बुवाई के 3 से 4.5 महीने के दौरान प्याज के फलों को निकाल (Onion Production Tips) लेना चाहिये. इसके लिए फावड़े की मदद से मिट्टी को ढीला किया जाता है और फलों को निकालकर 3 से 5 दिन तक खेतों में खुला रख दिया जाता है.

  • बता दें कि प्याज की पत्तियों (Yellow Onion Leaves) में पीलापन और पत्तियों के गिरते समय ही फलों की खुदाई का काम (Onion Harvesting) शुरू कर देना चाहिये, क्योंकि इस फसल 60 से 75 % तक तैयार हो जाती है. 


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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