Crop Cultivation In Jammu Kashmir: देश में स्टेट खेती बाढ़ी को बढ़ावा दे रहे हैं. किसानों का रुझान खेती की ओर रहे. इसको लेकर भी स्टेट गवर्नमेंट की ओर से कदम उठाए जा रहे हैं. जम्मू कश्मीर, सेब, केसर और बासमती चावल के लिए प्रसिद्ध है. सेब की उपज के मामले में जम्मू कश्मीर का नाम विश्व से शीर्ष राज्यों में शुमार है. लेकिन इन पारंपरिक खेती के अलावा राज्य सरकार अन्य खेती को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रही है.
625 हेक्टेयर में होगी औषधीय-सुगंधित पौधों की खेती
जम्मू-कश्मीर में औषधीय और सुगंधित खेती को बढ़ावा देने की प्लानिंग चल रही है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू-कश्मीर गवर्नमेंट की प्लानिंग है कि राज्य की 625 हेक्टेयर भूमि पर औषधीय और सुगंधित पौधे (एमएपी) की खेती की जाए. इससे किसान पारंपरिक खेती से हटकर कुछ काम कर सकेंगे. किसानों की इनकम बढ़ेगी. सरकारी अधिकारियों के अनुसार, इस तरह की खेती से 750 करोड़ रुपये का प्रॉडक्शन हो जाएगा.
मौजूदा समय में 2 लाख रुपये का उत्पादन
मौजूदा समय में सुगंधित और औषधीय कारोबार बेहद सीमित है. इस समय एमएपी का का उत्पादन केवल 2 लाख रुपये तक का है. राज्य सरकार के अधिकारियों का कहना है कि स्टेट में एमएपी की उपज की संभावना बेहद अधिक है. किसानों की आमदनी का स्त्रोत भी बढ़ेगा. अधिकारियों के अनुसार, एमएपी उपज के लिए किसानों को अवेयर करने के लिए प्रोग्राम भी चलाया जाएगा.
हिमालय में पौधों की 1123 तरह की प्रजातियां
राज्य सरकार के अधिकारियों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में हिमालयी क्षेत्र है. हिमालयी क्षेत्र में 1123 पौधों की प्रजातियां हैं. ये सभी सुगंधित और औषधीय गुणों वाले पौधे हैं. आंकड़ों को देखें तो मौजूदा समय में विश्व स्तर पर 120 अरब डॉलर का हर्बल कारोबार है. इसी तरह से यह कारोबार बढ़ा तो वर्ष 2050 तक 7,000 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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