Indian Buffalo Variety: भारत में भैंस पालन का काफी चलन है. खासकर उत्तर भारतीय राज्यों में भैंस पालन किसानों से लेकर पशुपालकों की कमाई का जरिया है. दूध उत्पादन के लिए भैंस पालन को काफी तवज्जो दी जा रही है. इसके लिये अब किसान भैसों की उन्नत नस्लों (Buffalo Varieties) की तरफ रुख कर रहे हैं. पिछले दिनों भैंस की ऐसी ही एक प्रजाति काफी चर्चाओं में बनी हुई है. नाम है घोलू-2. पिछले दिनों मेरठ के सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय अखिल भारतीय किसान मेले में ये आकर्षण का केंद्र बना रहा. अब अपने ठाठ-बाट को लेकर सोशल मीडिया पर ट्रेंड हो रहा है. घोलू-2 भैंसा को देखकर लोग भी इसे भैंसों का सेलेब्रिटी कह रहे हैं. आइए जानते हैं इसकी देखभाल से लेकर इसकी खूबियों के बारे में.


पद्मश्री किसान का भैंसा है घोलू-2


पशुपालन के क्षेत्र में उम्दा प्रदर्शन करने के लिए नरेंद्र सिंह को पद्म श्री पुरस्कार मिल चुका है. सिर्फ 10 पशुओं से एक प्लॉट में पशुपालन की शुरुआत करने वाले नरेंद्र सिंह आज मुर्रा भैंस पालन और उन्नत प्रजातियों के भैसों को लेकर काफी चर्चाओं में रहते हैं. घोलू-2 भी उन्हीं टॉप प्रजातियों में से एक है. इसकी जननी मां रोजाना 36 लीटरर दूध देती है. इससे पहले घोलू-2 के दादा घोलू-1 भी शुद्ध मुर्रा प्रजाति का भैंसा था. दूध उत्पादन यानी डेयरी फार्मिंग के क्षेत्र में मुर्रा नस्ल (Murrah Buffalo) की भैंसों का काफी अच्छा रिकॉर्ड रहा है. 


50 किलो चारा है घोलू-2 की खुराक


रिपोर्ट्स के मुताबिक, भैंसा घोलू-2 का वजन करीब 15 क्विंटल यानी 1200 किलो है. फिलहाल इसकी उम्र 4 से 5 साल ही है, लेकिन इसका हृष्ट -पुष्ट शरीर और इसकी खुराक के कसीदे सुनकर लोग इसे देखने दूर-दूर से आते हैं. पद्मश्री पशुपालन नरेंद्र सिंह ने बताते हैं कि घोलू-2 की अच्छी सेहत और तंदुरुस्ती के लिए रोजाना 7 किलो गेहूं और चना, साथ में 50 ग्राम मिनकल मिक्चर खिलाया जाता है. इसकी खातिरदारी में रोजाना 1,000 रुपये की लागत आती है. वहीं इसके सीमन को बेचकर भी नरेंद्र सिंह काफी अच्छा मुनाफा कमा लेते हैं.


घोलू-2 के साथ जाता है पानी का टैंकर


अब घोलू-2 के ठाठ-बाट की बात करें तो खुराक से लेकर इसकी देखभाल तक बड़े ही नाजों से की जा रही है. घोलू-2  को गर्मी ना लगे, इसके लिए साथ में पानी का टैंकर भी ले जाते हैं. पद्मश्री नरेंद्र सिंह का का मानना है कि पशुओं की देखभाल को लेकर किसानों और पशुपालकों में जागरुकता बढ़ानी होगी. अगर पशुपालन में लोग तकनीक और नवाचारों को बढ़ावा दें तो देश को पशुपालन और दूध उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी बना सकते हैं.


10 करोड़ का भैंसा


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पद्मश्री किसान नरेंद्र सिंह ने घोलू-2 की कीमत 10 करोड़ निर्धारित की है. वैसे तो खरीदार घोलू-2 को दोगुना दाम पर खरीदने के लिए तैयार रहते हैं, लेकिन नरेंद्र सिंह ने इसे बेचने से मना कर दिया है. आज घोलू-2 की कदकाठी और आकर्षण सिर्फ इसकी अच्छी देखभाल का ही नतीजा है. यही कारण है कि लोग इसके बारे में जानने के लिए काफी उत्सुक रहते हैं. नरेंद्र कहते हैं कि उन्हें पशुपालन और जानवरों की देखभाल करने का काफी शौक है. आज नरेंद्र सिंह अपने इसी शौक से देश-विदेश में नाम कमा रहे हैं.


भैंसों की नस्ल सुधार में मददगार


आज पशु विशेषज्ञ भी घोलू-2 भैंसा की कदकाठी और सेहत की दाद देते हैं. बता दें कि घोलू-2 (Murrah Buffalo Gholu-2) से पहले उसके दादा घोलू-1 ने भी देशभर में खूब सुर्खियां बटोरी हैं. घोलू-1 से पीसी-482 तैयार किया था और इससे घोलू-2 विकसित हुआ है. रिपोर्ट्स के अनुसार, आज पीसी-483 से हरियाणा में भैंसों की नस्ल सुधार का काम चल रहा है. इसे खुद नरेंद्र सिंह ने तैयार करके विशेषज्ञों को उपहार स्वरूप दे दिया है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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