Mukhyamantri Dugdh Sambal Yojna: राजस्थान में पशुओं की संख्या काफी ज्यादा है. अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस बार जब लंपी वायरस (lumpy Virus In Rajasthan) ने कहर बरपाया तो सबसे ज्यादा पशु राजस्थान में ही चपेट में आए. यहां काफी संख्या में पशुपालक है और राजस्थान से ही काफी मात्रा में मिल्क एक्सपोर्ट होता है. यहां अलग-अलग नस्ल की गाय भी मौजूद हैं, जिनकी दूध देने की क्षमता काफी अधिक है.
राजस्थान सरकार एक ऐसी ही योजना चला रही है, जहां दुग्ध उत्पादक को हर लीटर पर 5 रुपये की सब्सिडी दी जाती है. अनुदान के तौर पर राजस्थान सरकार 5 रुपये प्रति लीटर पशुपालकों देती है. यदि किसी पशुपालक ने 100 लीटर प्रतिदिन के हिसाब से दूध बेचा तो उसके खाते में 500 रुपये की रकम सरकार की ओर से पहुंच जाएगी.
क्या है सब्सिडी?
डेयरी इंडस्ट्री को मजबूत करने के लिए राजस्थान गवर्नमेंट ने कदम उठाए हैं. मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक संबल योजना के अंतर्गत पहले 2 रुपये लीटर सब्सिडी मिल रही थी, लेकिन दुग्ध विक्रेता गवर्नमेंट से सब्सिडी बढ़ाने की मांग कर रहे थे. सरकार ने इसे बढ़ाकर अब 5 रुपये लीटर कर दिया है. गवर्नमेंट के इस कदम से दुग्ध विक्रेताओं को काफी राहत मिली है.
550 करोड़ रुपये किया गया बजट
2013 में यह योजना शुरू की गई थी लेकिन बाद में राजस्थान में भाजपा सरकार आने के बाद योजना को बंद कर दिया गया बाद में जब कांग्रेस फिर से सत्ता में आई तो फरवरी 2019 में इसे दोबारा चालू किया गया. शुरुआत में 80 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया था. सब्सिडी बढ़ाये जाने के कारण इसके लिए राज्य सरकार ने अलग से 550 करोड़ रुपये का बजट रखने की घोषणा की है. 1 अप्रैल से बढ़ी धनराशि पशुपालकों को दी जा रही है.
13 हजार से अधिक उठा रहे बेनिफिट
योजना का लाभ लेने वाले दुग्ध उत्पादकों का आंकड़ा लगातार जारी है. सरकार बढ़ते आंकड़े से खुश हैं. सरकार की कोशिश है कि प्रत्येक दुग्ध उत्पादक को योजना का लाभ मिले. Rajasthan Government के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021 में 12226 दुग्ध उत्पादकों ने योजना का लाभ लिया था. आंकड़ा लागतात बढ़ता गया और 2022 की शुरुआत में ही यह आंकड़ा बढ़कर 13889 तक पहुंच गया है.
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