Millets Year 2023: वर्ष 2023 को विश्व में मिलेट ईयर के रूप में मनाया जा रहा है. मिलेट ईयर मनाए जाने के पीछे भारत की बड़ी भूमिका है. भारत के प्रस्ताव पर ही यूनाइटेड नेशन ने साल 2023 को मिलेट ईयर के रूप में घोषित किया है. मोटा अनाज वर्ष मनाने को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेतृत्व कर रहे हैं. केंद्र सरकार की कोशिश है कि देश का हर राज्य अधिक से अधिक मोटा अनाज का उत्पादन और खपत दोनों करें. अब इसी को लेकर छत्तीसगढ़ राज्य ने बड़ी पहल की है. इस पहल से कोशिश की गई है कि राज्य में लोगों के डेली रूटीन में मोटा अनाज को खाने के तौर पर शामिल किया जाए. 


छत्तीसगढ़ के IGAU में शुरू हुआ बाजरा कैफे


छत्तीसगढ़ सरकार भी मोटा अनाज उत्पादन और राज्य में इसकी खपत को लेकर गंभीर है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ के रायपुर में राज्य के कृषि मंत्री रवींद्र चौबे ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय(IGAU) के परिसर में बाजरा कैफे शुरू किया है. अधिकारियों का कहना है कि बाजरा कैफे में मोटा अनाज के शौकीन अपने खाने के शौक को पूरा सकेंगे. इसके अलावा अन्य उत्पाद भी उन्हें यहां खाने को मिलेंगे. 


ये व्यंजन होंगे उपलब्ध
अधिकारियों का कहना है कि परिसर में शुरू हुए मिलेट कैफे में कोदो, कुटकी, रागी से बने उत्पादों के व्यंजन भी बनाए जाएंगे. इसके अलावा छोटे अनाज वाली फसल से बनने वाले इडली, डोसा, पोहा, उपमा, भजिया, खीर, हलवा, माल्ट, कुकीज भी बनाए जाएंगे. छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजन भी आम लोगों में खासे प्रसिद्ध हैं. उन्हें अन्य राज्य व विदेशी भी काफी पसंद करते हैं. छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजन खुरमी, अरसा, चकोली, सेवई, पिढ़िया को भी लोगों के लिए परोसा जाएगा. 


अन्य स्थानों पर भी खोलने की तैयारी में सरकार


अधिकारियों के अनुसार, बाजरा कैफे छोटी अनाज वाली फसलों के बारे में आम लोगों को जागरूक करने के लिए बनाया गया है. आम लोग इसके फायदे और टेस्ट को जानकर घरेलू स्तर पर भी इसे तैयार कर सकेंगे. यह कृषि विश्वविद्यालय के स्तर से संचालित देश का पहला बाजरा कैफे होगा. कृषि विज्ञान केंद्र रायपुर इस कैफे का संचालन करेगा. व्यंजनों को तैयार करने में महिला स्वयं सहायता समूहों की सहायता ली गई है. यह एक तरह से प्रयोग भी है. यहां इस कैफे के परिणाम बेहतर आते हैं तो इस तरह के कैफे को राज्य के अन्य स्थानों पर भी खोल दिया जाएगा. 


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