Advanced Varieties of Pearl Millets: बाजरा को खरीफ सीजन (Kharif Season) की प्रमुख फसल कहते हैं, जिसे मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, पंजाब और मध्य प्रदेश में उगाया जाता है. कम बारिश वाले इलाकों के लिये बाजरा की फसल (Pearl Millet Crop) किसी वरदान से कम नहीं है, क्योंकि इसका सिंचाई के लिये अधिक पानी की जरूरत नहीं होती, गर्म तापमान सहने वाली बंजर और कम उपजाऊ जमीन में भी प्रबंधन कार्य (Crop Management) करके बाजरा की फसल लगा सकते हैं.
बता दें कि बाजरा की खेती (Pearl Millet Cultivation) अनाज और चारा दोनों तरह की उपज के लिहाज से की जाती है. इसकी खेती के लिये उन्नत किस्मों का ही चुनाव करना चाहिये.
राज- 171
यह बाजरा की लंबी अवधि वाली किस्म है जो 85 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इसे ए.पी. 171 के नाम से भी जानते हैं, जिसके पौधों की अधिकतम ऊंचाई 170 से 200 सेंमी तक होती है. हल्के पीले रंग के दानों वाली बाजरा की ये किस्म 8 से 10 क्विंटल प्रति एकड़ का दाना और 18 से 19 क्विंटल प्रति एकड़ की चारा उपज देती है.
पूसा- 322
ये उन्नत किस्म मध्यम अवधि फसल देती है, जिसे पकने में 75 से 80 दिन का समय लग जाता है. अच्छे उत्पादन वाली इस किस्म के पौधों की ऊंचाई करीब 150 से 210 सेंमी. होती है. एक एकड़ खेत में इसकी खेती करके आराम से 10 से 12 क्विंटल दाना और 16 से 20 क्विंटल चारा फसल का उत्पादन ले सकते हैं.
पूसा- 23
चमकीली पत्तियों वाली बाजरा की ये प्रजाति 80 से 85 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इसका वैज्ञानिक नाम एमएच- 169 है, जिसके पौधों की अधिकतम ऊंचाई 165 सेंमी. तक ही होती है. एक एकड़ खेत में पूसा- 23 उगाने पर करीब 8 से 12 क्विंटल दानों की पैदावार मिल जाती है.
ए.एच.बी. 1200
यह बाजरा की संकर किस्म है, जिसे ज्यादातर खरीफ सीजन में ही उगाया जाता है. आयरन के गुणों से भरपूर ये किस्म ज्यादातर हरियाणा , राजस्थान, पंजाब, दिल्ली, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में उगाई जाती है. एक एकड़ खेत में ए.एच.बी. 1200 की खेती करने पर 78 दिनों में फसल कटाई के लिये तैयार हो जाती है, जिससे एक एकड़ खेत में 28 क्विंटल तक की उपज ले सकते हैं.
जी.एच.बी. 732
यह बाजरा की मोटे दानों वाली उन्नत किस्म है, जिसे पकने में 81 दिन का समय लग जाता है. इसके पौधों की ऊंचाई ज्यादा नहीं होती, लेकिन एक एकड़ खेत में जी.एच.बी. 732 से करीब 12 क्विंटल मोटे दाने और 31 क्विंटल तक सूखे चारे की पैदावार ले सकते हैं.
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