Millets Production In Punjab: केंद्र सरकार के प्रयास से ये साल मिलेट ईयर के रूप में मनाया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस वर्ष को मिलेट ईयर मनाने का प्रस्ताव यूनाइटेड नेशन को भेजा गया. कई देशों की रजामंदी के बाद यूनाइटेशन नेशन ने इस साल को मिलेट ईयर मनाने के रूप में घोषणा कर दी. देश के अलग अलग राज्यों में मोटा अनाज को बढ़ावा देने के लिए मुहिम चलाई जा रही हैं. पंजाब में भी राज्य सरकार और निजी स्तर पर संस्थाएं मोटा अनाज को बढ़ावा देने को लेकर लगातार प्रयास कर रही हैं. 


पंजाब में इस संस्था ने की बड़ी पहल
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मोटा अनाज को बढ़ावा देने के लिए पंजाब की खेती विरासत मिशन(केवीएम) संस्था ने बड़ी पहल की है. ये संस्था मोटे अनाज को हर घर तक पहुंचाने के लिए पिछले 16 साल से अलख जगा रही है. संस्था के पदाधिकारियों का कहना है कि देश में मोटा अनाज का कापफी उत्पादन होता है. किसानों को कोदा, रागी, बाजरा, कुटकी व जौ जैसे मोटे अनाज के उत्पादन, खपत और कमाई को लेकर जागरुक करना है. इस दिशा में संस्था की ओर से लगातार कदम उठाए जा रहे हैं. 


5 हजार किसानों को जोड़ा
संस्था के स्तर से 16 वर्षों में पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और राजस्थान के किसानों को कार्यशाला, सेमिनार, शिविरों की मदद से प्रशिक्षण दिया गया है. पंजाब में मौजूदा में समय में करीब 5 हजार किसान मोटे अनाज की खेती में जुटे हुए हैं. जो किसान मोटा अनाज की खेती कर रहे हैं. उनकी उपज को आम आदमी तक पहुंचाने के लिए संस्था के स्तर से कुदरती किसान हाट, कुदरती हट्स और किसान सहकारी समिति बनाकर मार्केटिंग भी की जा रही है. 


कीटनाशक का प्रयोग अधिक होता था
संस्था के पदाधिकारियों ने बताया कि 18 प्रतिशत कीटनाशक का इस्तेमाल प्रदेश के 85 प्रतिशत भूभाग में होता है. ऐसे मे ंएक चुनौती थी कि मोटे अनाज को बढ़ावा कैसे दिया जाए. संस्था के स्तर से इसी को लेकर वर्ष 2007 में ही मोटा अनाज कार्यक्रम शुरू कर दिया. गांव स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए जाने लगे. इसके बाद से धीरे धीरे मोटे अनाज उत्पादन करने वाले किसानों का कुनबा बढ़ता चला जा रहा है. 



Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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