Millets Business: साल 2023 इंडिया के लिए बहुत खास होने वाला है. भारत ना सिर्फ जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है, बल्कि भारत के ही प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने साल 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष घोषित किया है. भारत खुद तो मिलेट का सबसे बड़ा उत्पादक है ही, देश में मिलेट की खपत भी काफी ज्यादा है. वैसे तो मोटे अनाजों में  ज्वार, बाजरा, रागी, कटकी, कोदो, कंगनी, चेना, कोदरा, ब्रूम कॉर्न, सांवा, हरी कंगनी, कुट्टू, राजगिरा आदि प्रमुखता से शामिल है, लेकिन इन सब में बाजरा एक सबसे प्रमुख मोटा अनाज है. इस साल बाकी मोटे अनाजों के साथ-साथ बाजरा का उत्पादन बढ़ाने और आम जनता की थाली में यह मोटा अनाज पहुंचाने पर फोकस रहेगा.


किसान चाहें तो इसे एक बिजनेस अपॉर्चुनिटी की तरह ले सकते हैं. इस साल बाजरा समेत बाकी मोटे अनाजों की खपत डबल होने का अनुमान है. ऐसे में बाजरा और बाकी मिलेट्स का फूड प्रोसेसिंग बिजनेस डाल सकते हैं, जहां बाजरा के शुद्ध आटे से लेकर तमाम बेकरी उत्पाद और स्नैक्स बनाए जा सकते हैं. बाजरा के खाद्य उत्पादों को आम जनता की डाइट में आसानी से जोड़ा जा सकता है.


अभी से इस बिजनेस पर काम करेंगे तो साल के अंत तक लाखों का मुनाफा ले सकते हैं. अच्छी बात तो यह है कि कई योजनाओं के जरिए सरकार भी मिलेट्स को प्रोत्साहित कर रही है, मिलेट्स के स्टार्ट अप को आर्थिक और तकनीकी तौर पर प्रोत्साहित कर रही है और मिलेट्स की मार्केटिंग में भी मदद दे रही है. इस आर्टिकल में आप जानेंगे बाजरा के बिजनेस का खर्च से लेकर कमाई तक के प्लान का सेटअप.


क्या है बाजरा
कदन्न यानी मोटे अनाजों की लिस्ट में बाजरा का नाम सबसे टॉप पर आता है. भारत में सिर्फ मोटे अनाजों के उत्पादन में ही नहीं, बाजरा के उत्पादन में भी पूरी दुनिया का बादशाह है.  इसे ड्राई लैंड क्रॉप यानी सूखे-कम पानी वाले इलाकों की फसल कहते है. बाजरा को कम से कम मेहनत और कम से कम संसाधनों में उगाया जा सकता है.


किसानों के लिए मोटे अनाजों में बाजरा से एक मुनाफा देने वाला ऑप्शन साबित हो सकता है.आज बाजरा की खेती राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और मध्य प्रदेश में प्रमुखता से की जा रही है. क्षेत्रफल के हिसाब से राजस्थान और उत्पादन के हिसाब से महाराष्ट्र बाजरा उत्पादन में आगे हैं. 


बाजरा खाने पर क्या फायदा होगा
आपको जानकर हैरानी होगी कि आप रोजाना जिस गेहूं-चावल का सेवन करते हैं, उससे कहीं ज्यादा पोषण इस बाजरा में होता है. रिसर्च के अनुसार, बाजरा में 12.8% प्रोटीन, 4.8% वसा, 2.3 ग्राम रेशे, 67 ग्राम कार्बोहाइड्रेट और खनिज तत्व में 16 मिली ग्राम कैल्शियम, 6 मिली ग्राम लौह, 228 मिली ग्राम मैग्नीशियम, 570 मिली ग्राम फॉस्फोरस, 10 मिली ग्राम सोडियम, 3.4 मिली ग्राम जिंक, 390 मिली ग्राम पोटैशियम और 1.5 मिली ग्राम कॉपर भी होता है.


बाजरा में गेहूं-चावल से ज्यादा एमिनो एसिड मौजूद है, जिसके सेवन से सूजन, ब्लड प्रैशर और कैंसर जैसे गंभीर रोगों का खतरा दूर हो जाता है. बाजरा के एंटीऑक्सीडेंट्स हार्ट अटैक और आंतों की बीमारी की संभावनाएं भी कम कर सकते हैं. यही वजह है कि बाजरा को रोजाना डाइट में शामिल करने के लिए प्रमोट किया जा रहा है. आप चाहें तो हर भारतीय की थाली तक से बाजरा पहुंचाने का जिम्मा आप अपने हाथ में ले सकते हैं. बाजरा के फूड प्रोसेसिंग बिजनेस प्लान के जरिए.


कौन-कौन से फूड प्रोडक्ट बनाए
बाजरा की फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए सबसे पहले मन में यही सवाल आता है कि आखिर बाजरा से क्या बनाएं, जो बाजार में आसानी से बिक जाए तो आपको बता दें कि बाजरा का आटा बड़े ही आसानी से और अच्छे दाम पर बाजार में बिकता है. इससे करीब 15 से 20 तरह के फूड प्रोडक्ट्स भी बना सकते हैं, जिसमें बेकरी उत्पाद भी शामिल है. फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में महिला और किसानों को कौशल प्रशिक्षण दे रहीं गृह वैज्ञानिक, डॉ. गुंजन सनाढ्य बताती हैं कि मिलेट्स से लगभग हर तरह का टेस्टी स्नैक्स बनाया जा सकता है.


यदि इसका प्रोसेसिंग बिजनेस शुरू कर रहे हैं तो आटा बनाने की यूनिट से लेकर बेकरी आधारित प्रोसेसिंग यूनिट भी लगा सकते हैं, जहां बाजरा के बिसकिट, रोस्टेड नमकीन, मठरी, शक्कर पारे और बेकरी प्रोडक्ट्स में ब्रेड, केक, पिज्जा बेस,पाव, कुकीज आदि भी बनाए जा सकते हैं. इनमें ज्यादातर उत्पादों को 3 से 4 महीने तक आसानी से स्टोर किया जा सकता है और आम जन की थाली तक पहुंचाना भी आसान होगा, क्योंकि भारत में हेल्दी स्नैक्स का मार्केट काफी अच्छा है.


कितना खर्चा और कितनी आमदनी
गृह वैज्ञानिक, डॉ. गुंजन सनाढ्य बताती हैं कि बाजरा के आटे से लेकर 'रेडी टू ईट' और 'रेडी टू सर्व' प्रोडक्ट्स बना सकते हैं. यदि आटे की प्रोसेसिंग यूनिट लगा रहे हैं तो लगभग 5 से 7 लाख रुपये का शुरुआती खर्चा आ जाएगा, जिसमें मशीनरी से लेकर पैकेजिंग आदि सब कुछ शामिल होगा.


इस बिजनेस मॉडल से रोजाना 3 क्विंटल बाजरे के आटे का प्रोडक्शन ले सकते हैं, बाजरा का आटा बाजार में 30 से 40 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर बिकता है, हालांकि बाजरा की मार्केटिंग आदि का इंतजाम करने में कुछ समय लग सकता है, लेकिन एक बार बिजनेस तैयार हो जाए तो 50 प्रतिशत मुनाफे के साथ हर महीने 50,000 रुपये की आमदनी ले सकते हैं.


अगर बात करें बाजरा के स्नैक्स बनाने के बिजनेस की तो  डॉ. गुंजन सनाढ्य बताती हैं कि बाजरा के बेकरी और बाकी फूड प्रोडक्ट्स बनाने के लिए मशीनरी समेत पूरा प्रोसेसिंग का सेटअप 27 से 35 लाख रुपये में तैयार होगा, जहां रोजाना तरह-तरह के स्नैक्स बनाए जा सकते हैं.


इस बिजनेस में आटे के बिजनेस से ज्यादा प्रोफिट है. एक बार बिजनेस चल पड़े तो लागत निकालकर 75 से 80 फीसदी बेनेफिट ले सकते हैं और हर साल 20 से 25 लाख रुपये भी कमा सकते हैं. बाजरा की प्रोसेसिंग यूनिट लगाएंगे तो आस-पास के लोगों को लेबर के तौर पर रोजगार मिलेगा, इससे बिजनेस के साथ-साथ समाज कल्याण का मकसद भी पूरा हो जाएगा.


लाइसेंस लेना होगा
किसी भी तरह का खाद्य पदार्थों से जुड़ा बिजनेस तक कर रहे हैं. चाहे वो प्रोडक्शन का हो या मार्केटिंग का, फूड बिजनेस के लिए FSSAI से लाइसेंस लेना होता है. यदि आपने मिलेट्स का प्रोसेसिंग बिजनेस या प्रोसेसिंग प्लस मार्केटिंग बिजनेस करने का मन बना लिया है तो FSSAI से फूड लाइसेंस के लिए आवेदन करना होगा.


यह लाइसेंस प्रमाणित करता है कि आपके यहां बना और बिकने वाला खाद्य उत्पाद भारत सरकार के नियमों के अनुरूप है. इस लाइसेंस के रूप में FSSAI की ओर से 14 अंकों का नंबर मिलता है, जिसे फूड पैकेट पर प्रिंट करवाना अनिवार्य है.


इससे लोगों का विश्वास भी आपके प्रोडक्ट में बढ़ेगा और लोग आगे आकर आपके प्रोडक्ट्स को खरीदेंगे. अच्छी बात यह है कि कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि विभाग के अधिकारी भी आपको फूड प्रोसेसिंग का बिजनेस सेटअप करने में तकनीकी मदद प्रदान कर सकते हैं.


क्या सरकार पैसा भी देती है.
किसी भी बिजनेस को शुरू करने से पहले सबसे बड़ा सवाल की फंड कहां से आएगा. आप मोटे अनाजों का फूड बिजनेस करने जा रहे हैं तो निश्चिंत हो जाएं. खुद भारत सरकार आपको बिजनेस सेटअप करने में मदद करेगी.


वैसे तो कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय 250 से अधिक मिलेट बेस्ड स्टार्ट अप को प्रमोट कर रहा है, लेकिन आप अपनी प्रोसेसिंग यूनिट के लिए प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के तहत आर्थिक मदद के लिए आवेदन कर सकते हैं.


इस स्कीम के तहत फूड प्रोसेसिंग यूनिट की लागत पर 35 प्रतिशत की सब्सिडी या अधिकतम 10 लाख रुपये तक का अनुदान दिया जाता है. आप चाहें को नाबार्ड या अन्य वित्तीय संस्थानों से सस्ती दरों पर लोन भी ले सकते हैं. मिलेट का बिजनेस है तो उपज की मार्केटिंग की चिंता ना करें.


इस काम में नेफेड आपका पूरा सहयोग करेगा. आप चाहें तो नेफेड के साथ जुड़कर अपने आउटलेट्स को दुनियाभर में पहुंचा सकते हैं. हाल ही में नेफेड ने नीति भवन में अपना पहला मिलेट आउटलेट भी चालू किया है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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