GI Tag Honey: दुनियाभर में मशहूर 'भारतीय शहद' को भी जीआई टैग देने वाली है सरकार? क्या है किसानों की इनकम बढ़ाने का प्लान, जानें
Indian Honey GI Tag: कृषि मंत्रालय की एक बैठक में अलग-अलग तरह के शहद की जीआई टैगिंग को लेकर बात हुई है. इससे मधुमक्खी पालन, शहद उत्पादन के साथ-साथ इस सेक्टर से जुड़े किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सकेगी.
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Honey Farming: आज कृषि और पशुपालन के बाद मधुमक्खी पालन भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा बन गया है.पिछले कुछ सालों में मधुमक्खी पालन एक नई बिजनेस अपॉर्चुनिटी बनकर उभरा है. कई किसान और युवा अब इस सेक्टर से जुड़ते जा रहे हैं. इसका सबसे बड़ा कारण है कि भारतीय खाद्य पदार्थों की विदेश में बढ़ती डिमांड. इन खाद्य पदार्थों में शहद भी शामिल है, जो पहले से ही विदेश में अपनी नेचुरल मिठास को लेकर पहचान कायम कर चुका है, लेकिन इस सेक्टर से जुड़े लोग उम्मीद के मुताबिक मुनाफा नहीं ले पा रहे.
यही वजह है कि अब भारतीय शहद को इंटरनेशनल लेवल पर पहचान दिलाने की कवायद चालू की जा रही है. बता दें कि कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सहयोग से जल्द शहद को भी भौगोलिक संकेट टैग यानी (GI Tag) मिल सकता है. इस मामले में कृषि मंत्रालय ने राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन के तहत एक बैठक की है.
शहद को भी मिलेगा GI Tag
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के ऑफिशियल ट्विटर हैंडर के मुताबिक, अतिरिक्त सचिव, डॉ. अभिलक्ष लिखी ने कृषि मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ 'शहद की जीआई टैगिंग' की आवश्यकता पर बातचीत की.
इस बैठक में डॉ. लिखी ने कहा कि हाई क्वालिटी का शहद और उसके प्रकार और विरासत को संभालने और पहचानने के लिए जीआई टैग बेहद अहम है. इस बीच शहद की जीआई टैगिंग प्रक्रिया को समझाने के लिए जल्द ही कई कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा.
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (NBB), राज्य सरकार और अन्य संगठनों और हितधारकों के समर्थन के साथ अलग-अलग तरह के शहद की जीआई टैगिंग उपलब्ध के लिए काम किया जाएगा. इससे मधुमक्खी पालन गतिविधियों से जुड़े लोगों के उत्थान में मदद मिलेगी, क्योंकि जीआई टैगिंग के बाद विश्व स्तर पर शहद की मांग बढ़ जाएगी.
डॉ. नवीन कुमार पाटले, अपर आयुक्त (बागवानी) एवं कार्यकारी निदेशक (एनबीबी) ने 22 दिसंबर 2022 को कृषि भवन में शहद के लिए जीआई (Geographical Indication) टैगिंग की आवश्यकता के विषय पर हुई बैठक के बारे में विस्तृत जानकारी दी।#agrigoi #agriculture #honeybees #honey #NBHM #NBB@nstomar pic.twitter.com/s9XmxJTp0V
— Agriculture INDIA (@AgriGoI) December 22, 2022
कितना बड़ा है मधुमक्खी पालन का सेक्टर
देश में नेचुरल शहद उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ-साथ उनके समर्थन के लिए राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद बोर्ड लगातार प्रयासरत है.शहद की ऑनलाइन बिक्री के लिए सरकार ने मधुक्रांति पोर्टल भी बनाया है, जिसमें मधुमक्खी पालकों के साथ, शहद के बिजनेस से जुड़े दूसरे हितधारक भी मौजूद हैं.
आंकड़ों की मानें तो देशभर में 100 शहद क्लस्टर की पहचान की जा चुकी है. अकेले मधुक्रांति पोर्टल पर नेशनल बी बोर्ड के साथ 20 लाख से ज्यादा हनी-बी कालोनियों ने अपनी रजिस्ट्रेशन करवाया है. शहद और मधुमक्खी पालन से जुड़ी गतिविधियों की निगरानी एनबीएचएण कर रहा है.
देश में हो रहा इतना शहद उत्पादन
ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत से शहद का निर्यात तेजी से बढ़ रहा है. एक कृषि प्रधान होने के साथ-साथ भारत की पहचान बड़े शहद के उत्पादक के तौर पर हो रही है. यहां हर साल कई लाख टन शहद का प्रोडक्शन हो रहा है. साल 2021-22 के आंकड़े बताते हैं कि देश में इस समय 1,33,000 मीट्रिक टन (एमटी) शहद का उत्पादन हो रहा है, जबकि 74,413.05 मीट्रिक टन शहद को दूसरे देशों में निर्यात किया जा रहा है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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