Agriculture Update: लंबे इंतजार के बाद महाराष्ट्र पहुंचा मानसून, किसान शुरू कर लें खरीफ फसलों की बुवाई
Kharif Crop Farming: महाराष्ट्र में तेज बारिश का सिलसिला शुरू हो चुका है. किसान भी तेजी से खेतों की तैयारी और बुवाई के कामों में जुट गये हैं.
Weather Based Agriculture: खरीफ सीजन (Kharif Season) में फसलों की बुवाई का काम पूरी तरह बारिश पर निर्भर करता है, लेकिन इस बार मानसून (Monsoon 2022) में देरी के कारण फसलों की बुवाई में भी देरी हो रही है इससे फसल की पैदावार और क्वालिटी दोनों प्रभावित हो सकती हैं. वहीं कुछ किसानों ने प्री-मानसून बारिश (Pre-Monsoon Rain) के दौरान बारिश पड़ने पर बुवाई का काम निपटा दिया था, लेकिन बारिश न होने के कारण उन्हें सिंचाई (Irrigation) पर खर्च करना पड़ रहा है. दूसरी तरफ महाराष्ट्र में तेज बारिश का सिलसिला शुरु हो चुका है और किसान भी तेजी से खेतों की तैयारी और बुवाई के कामों में जुट गये हैं.
बरतें ये सावधानियां
महाराष्ट्र में मानसून की दस्तक के बाद कृषि विभाग ने खेतों की तैयारी की तो अनुमति दे दी है, लेकिन बुवाई के लिये किसानों को थोड़ा और इंतजार करना पड़ सकता है.
- विशेषज्ञों की मानें को खरीफ सीजन में 75-100 मिमी. तक पानी बरसने पर ही बुवाई का काम करना चाहिये, वरना फसल की उत्पादकता प्रभावित हो सकती है.
- विशेषज्ञों ने किसानों को 15 जुलाई तक खरीफ फसलों की बुवाई के लिये आश्वस्त किया है, निश्चित समय तक बुवाई करने पर फसल पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा.
- फसल की बुवाई से पहले विशेषज्ञ मिट्टी की जांच करवाने की सलाह दे रहे हैं, जिससे जरूरत के अनुसार खाद-उर्वरक खेत में डाल सकें.
- उत्तर भारत में अभी भी मानसून दूर है, ऐसे में किसान चाहें तो एक बुवाई के लिये सप्ताह इंतजार कर सकते हैं.
- क्योंकि खरीफ फसलों की बुवाई का काम सप्ताह भर में ही खत्म हो जाता है.
दाल के किसानों की बढ़ी चिंता, बढेगा कपास-सोयाबीन का रकबा
बारिश में देरी के चलते महाराष्ट्र के कई किसानों ने प्रमुख दलहनी फसलों जैसे तूर, उड़द और मूंग की बुवाई न करने का फैसला किया है, क्योंकि समय के बाद इनकी बुवाई करने पर फसल की क्वालिटी प्रभावित होती है और बाजार में उसके सही भाव नहीं मिल पाते. लेकिन महाराष्ट्र के किसान सोयाबीन और कपास की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं. इससे अनुमान लगाया जा रहा है सोयाबीन और कपास की पैदावार में बढ़त दर्ज की जा सकेगी.
झारखंड में धान की बुवाई में देरी
मौसम वैज्ञानिकों ने जून के अंत तक मानसून के कमजोर रहने का अनुमान जताया है, ऐसे में दलहनी फसलों(Pulses Crop) के साथ-साथ झारखंड (Jharkhand)में धान की खेती में देरी हो रही है. रिपोर्ट्स की मानें तो झारखंड में पिछली बार के मुकाबले 40%-60% कम बारिश हुई है, जिससे खेती के लिये सिंचाई और पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है. धान के किसानों भी नर्सरी(Paddy Nursery) भी नहीं लगा पा रहे हैं. ऐसे में धान की उत्पादकता तो प्रभावित होगी ही, किसानों का श्रम और नुकसान भी बढ़ सकता है.
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