Top Rice Varieties: देश में धान का उत्पादन के लिए हमारे वैज्ञानिकों ने कई सुगंधित और एडवांस किस्में विकसित की हैं. ये धान की म्यूटेंट वैरायटी हैं, जो साधारण किस्मों से कहीं बेहतर उत्पादन देती है. इन किस्मों में कीट-रोगों के प्रकोप की संभावना भी कम ही रहती है, इसलिए कीटनाशक का खर्च भी बच जाता है. वैसे तो छत्तीसगढ़ राज्य एक से बढ़कर एक सुगंधित, औषधीय और विशिष्ट गुणों वाले धान के उत्पादन के लिए मशहूर है, लेकि बढ़ती जलवायु परिवर्तन संबंधी चुनौतियों के बीच अब परंपरागत किस्मों की अवधि और ऊंचाई को कम करने और उत्पादन की मात्रा को बढ़ाने की कवायद चल रही है और इस तरह तैयार होती हैं धान की म्यूटेंट किस्में.


कौन सी हैं ये म्यूटेंट किस्में


धान की परंपरागत सुगंधित किस्मों के पौधों  की लंबाई अधिक होती है. साथ ही ये किस्में लंबी अवधि में पककर तैयार होती है. क्लाइमेट चेंज के तौर पर लंबे पौधे वाला धान खेतों में बिछ जाता है. कई बार लंबी अवधि वाली किस्में कटाई के नजदीक आते ही मौसम की मार से त्रस्त हो जाती है.


यही वजह है कि नुकसान की कम से कम करने के लिए म्यूटेंट किस्में विकसित की जा रही है. भाभा अटॉमिक रिसर्च सेंटर मुंबई के सहयोग से इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में म्यूटेशन ब्रीडिंग द्वारा धान की सुगंधित किस्मों के बीज तैयार किए जा रहे हैं.


पूसा बासमती-6 (PUSA- 1401)


पूसा बासमती-6 वैरायटी सिंचित इलाकों में बुवाई के लिए अनुकूल बताई गई है. ये धान की बौनी किस्म है, जिसके पौधे तेज हवा-आंधी में भी नहीं गिरते. इस धान से निकलने वाला एक-एक चावल समान आकार का होता है. ये किस्म 55 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक औसत पैदावार देती है.


उन्नत पूसा बासमती-1 (PUSA- 1460)


पूसा बासमती-1 किस्म को भी सिंचित अवस्था में बुवाई के लिए अनुकूल बताया जाता है. ये किस्म 135 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. झुलसा रोग के प्रतिरोधी पूसा बासमती-1 से प्रति हेक्टेयर 50 से 55 क्विंटल उत्पादन ले सकते हैं.


पूसा बासमती- 1121


धान की खेती वाले सभी इलाकों, खासतौर पर सिंचित इलाकों में धान की सुगंधित किस्म पूसा बासमती- 1121 की बुवाई कर सकते हैं. ये वैरायटी 140 से 145 दिनों के अंदर तैयार हो जाती है. ये धान की अगेती किस्म है, जिसका दाना लंबा, पतला और स्वादिष्ट होता है.पूसा बासमती- 1121 से प्रति हेक्टेयर में 40 से 45 क्विंटल उपज ले सकते हैं


इन किस्मों के अलावा पूसा सुगंध-5,, पूसा सुगंध-3, पूसा सुगंध-2 किस्में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के कुछ इलाकों के लिए उपयुक्त हैं. ये वैरायटी 120 से 125 दिनमें पककर तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 40 से 60 क्विंटल तक औसत उत्पादन देती हैं. कृषि विशेषज्ञों की मानें तो धान की सीधी बिजाई करने पर फसल के खेत में गिरने या बिछने की संभावनाएं कम हो जाती हैं. इससे समय और श्रम की भी बचत होती है.


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