Post Harvest & Cold Chain Management: कोरोना महामारी के दौर में फसलों की कटाई उपरांत प्रबंधन और फसल भंडारण (Agriculture Storage) को लेकर किसानों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. जब से लेकर आज तक कई किसानों की फलें प्राकृतिक आपदा (Natural Disaster) या अन्य कारणों से खेतों में ही बर्बाद हो जाती है.
पारंपरिक फसलों की तुलना में बागवानी फसलों (Horticulture Crops) में नुकसान की संभावना ज्यादा रहती है, क्योंकि इनकी सेल्फ लाइप काफी कम होती है, जिसके चलते तुड़ाई के तुरंत बाद इन्हें मंडियों या कोल्ड स्टोरेज में भंडारण के लिये पहुंचाना होता है, नहीं तो 7 से 18 प्रतिशत तक नुकसान हो सकता है.
इन्हीं समस्याओं के समाधान के लिये अब हरियाणा सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. इससे ना सिर्फ कटाई उपरांत प्रबंधन (Post Harvest Management) आसान होगा, बल्कि कोल्ड चेन सिस्टम (Cold Chain System) के जरिये बागवानी फसलों की सुरक्षा में काफी मदद मिलेगी.
हरियाणा में बनेगा कोल्ड चेन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस
हाल ही में हरियाणा सरकार (Haryana Government) और बर्मिंघम स्थित बर्मिंघम यूनिवर्सिटी (Birmingham University) के बीच हरियाणा में कटाई उपरांत प्रबंधन और कोल्ड चेन एक्सीलेंस सेंटर (Cold Chain Center of Excellence) को लेकर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए हैं. हरियाणा सरकार के इस कदम से बागवानी क्षेत्र को फायदा होगा ही, साथ ही इससे किसानों की फसलों के भंडारण को लेकर चिंता कम होगी. बता दें कि कोल्ड चेन सिस्टम का इस्तेमाल करके कृषि उपज खाससकर बागवानी फसलों का लंबे समय तक सुरक्षित भंडारण कर सकते हैं.
कोल्ड चेन समिट में हुआ समझौता
दोनों पक्षों के बीच में यह अनुबंध बर्मिंघम विश्वविद्यालय में चल रहे कोल्ड चेन समिट के दौरान हुआ है, जहां हरियाणा कृषि विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा ने राज्य सरकार की ओर से इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए. इस समय हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल भी उपस्थित थे.
अपने संबोधन में कृषि मंत्री ने बताया कि सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की मदद से फसल तुड़ाई उपरांत होने वाले नुकसान को कम करने, किसानों और दूसरे हितधारकों को जागरूक करने, पर्यावरण और किसानों को अनुकूल तकनीकों का प्रयोग करने और कृषि रिसर्च और विकास के लिये यह कदम मील का पत्थर साबित होगा.
इस कदम से हरियाणा में बागवानी की ओर विविधिकरण में बढोत्तरी होगी. बता दें कि समझौता होने के बाद जल्द ही बर्मिंघम यूनिवर्सिटी की एक टीम हरियाणा का दौरा भी करेगी.
अब नहीं बागवानी फसलों में नुकसान
बर्मिंघम विश्वविद्यालय में चल रहे कोल्ड चेन समिट (Cold Chain Summit, Birmingham) के दौरान कृषि मंत्री जेपी दलाल ने बताया कि हरियाणा में कुल कृषि उपज क्षेत्र के 7 प्रतिशत हिस्से पर बागवानी फसलों का उत्पादन होता है. राज्य में बागवानी फसलों को बढ़ावा देने के लिए, उसे विविधिकरण और इसके जरिये किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई योजनाएं और कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. वर्तमान में बागवानी को लेकर किसानों को करीब 7 से 18 फीसदी तक नुकसान झेलना पड़ता है. इस कदम से उस नुकसान को कम करने में खास मदद मिलेगी.
बागवानी विकास में अग्रसर हरियाणा
बर्मिंघम में कार्यक्रम को संबोधित करते हुये कृषि मंत्री जेपी दलाल (JP Dalal, Haryana) ने बताया कि अभी तर हरियाणा में कुल 393 बागवानी कलस्टर, 13 एकीकृत पैकहाउस का निर्माण हो चुका है. वहीं 50 अन्य पैक हाउस पर तेजी से काम चल रहा है. हरियाणा के किसानों (Haryana Farmers) की मदद के लिए राज्य में अगले 5 साल के अदंर 500 पैक हाउस और बनाए जाएंगे. इस तरह राज्य में ताजा फलों और सब्जियों की सप्लाई चेन (Supply chain of Fruit-Vegetables) की व्यवस्था बेहतर रहेगी और किसानों को सीधा कृषि बाजार से जोड़ने में राज्य टॉप पर आएगा. उन्होंने बताया कि अभी तक हरियाणा राज्य के किसान उत्पादक संगठनों (farmers Producer Organisation) के साथ कई कृषि कंपनियां 59 समझौतों पर हस्ताक्षर कर चुकी हैं.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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