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Fasal Beema: गुड न्यूज! अब छोटे-आदिवासी किसान भी ले पायेंगे फसल बीमा का सुरक्षा कवच, इस राज्य ने किया बड़ा बदलाव

Fasal Beema News: मध्य प्रदेश सरकार ने छोटे और वन क्षेत्र के आदिवासी किसानों के हित में अहम फैसला लेते हुए फसल बीमा के लिये 100 हेक्टेयर की बुवाई क्षेत्र को घटाकर 50 हेक्टेयर किया है.

Fasal Beema Updates: खेती-किसानी के क्षेत्र में सकारात्मक बदलावों के लिये हमारी सरकार प्रतिबद्ध है. तभी तो समय-समय पर किसानों का मनोबल बढ़ाने के लिये नई-नई योजनाओं (Agriculture Schemes) लाई जा रही है. इतना ही नहीं, खेती-किसानी को आसान और सुविधाजनक बनाने के लिये भी योजनाओं में समय-समय पर बदलाव किये जाते हैं.

इसी कड़ी में मध्य प्रदेश सरकार ने भी छोटे और आदिवासी किसानों के हित में बड़ा फैसला लिया है. अब राज्य में 50 हेक्टेयर से कम खेती योग्य जमीन की फसल को भी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PM fasal Beema Yojana) के तहत सुरक्षा कवच प्रदान किया जायेगा. बता दें कि पहले से फसल बीमा (Fasal Beema In Madhya Pradesh) के तहत कम से कम 100 हेक्टेयर में बुवाई करने पर ही फसल को बीमा योजना  (Crop Insurance Scheme) के अंतर्गत शामिल किया जाता था.

छोटे किसानों को मिलेगा फायदा
जाहिर है कि मध्य प्रदेश राज्य में भी प्राकृतिक आपदाओं और मौसम की मार के कारण काफी नुकसान झेलना पड़ता है. इस बीच सबसे बुरा असर छोटे, सीमांत और आदिवासी किसानों पर होता है, क्योंकि कम जमीन होने के कारण उनकी फसलों को फसल बीमा में दायरे में नहीं आती थी, जिसके चलते सारा आर्थिक नुकसान किसानों को ऊफर पड़ता था. इतना ही नहीं, नुकसान की भरपाई करते-करते ज्यादातर किसान कर्च के बोझ तले दब जाते हैं, लेकिन अब राज्य सरकार द्वारा नियमों में बदलावों करने के बाद ना सिर्फ इन किसानों की फसलों का बीमा होगा, बल्कि किसान निश्चिंत होकर खेती भी कर पायेंगे. 

कृषि मंत्री ने दी खुशखबरी
मध्य प्रदेश राज्य के कृषि मंत्री कमल पटेल ने मीडिया से बातचीत करते हुये  बताया कि अभी तक राज्य के किसानों को एक क्षेत्र में न्यूनतम 100 हेक्टेयर की बुवाई करने पर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का कवरेज मिलता था. इससे पहले 100 हेक्टेयर से कम दायरे वाले फसलों का बीमा नहीं किया जाता था, जिसके चलते गांव के गांव के छोटे, सीमांत और पटवारी के किसान भी योजना से वंचित रह जाते थे, इसलिये मध्य प्रदेश सरकार ने छोटे और वन क्षेत्र के आदिवासी किसानों के हित में अहम फैसला लेते हुये फसल बीमा के लिये 100 हेक्टेयर की बुवाई क्षेत्र को घटाकर 50 हेक्टेयर किया है. 

कितना प्रीमियम देना होगा
खेति-किसानी एक अनिश्चितताओं का काम है, जो सीधा प्रकृति से जुड़ा है. यही कारण है कि प्रकृतिक हलचलों (Natural Disasters) का सबसे बुरा असर फसल और अन्नदाताओं पर ही पड़ता है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में फसल बीमा का सुरक्षा कवच मिलने के कारण जोखिम की संभावनाओं को काफी किया गया है. इस काम में केंद्र सरकार ने साल 2016 से ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PM Fasal Beema Yojana 2022) चलाई है, जिसके तहत अब किसानों की फसल को जोखिमों से सुरक्षा प्रदान किया जा रहा है.

इस योजना के तहत अपनी फसलों का बीमा (Crop Insurance) करवाने के लिये किसानों को एक निश्चित ब्याज का भुगतान करना होता है, जो काफी कम होता है. खरीफ फसलों के लिये बीमा राशि का 2%, रबी फसलों के लिये 1.5% और व्यावसायिक फसलों के साथ-साथ और बागवानी फसलों के लिये 5 प्रतिशत ब्याज (Crop Insurance Premium) देना होता है. इसमें केंद्र और राज्य सरकारें भी बढ़-चढ़कर आर्थिक अनुदान देती हैं. 

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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