Benefits of Multilayer Farming: इस आधुनिक दौर में खेती-किसानी (Advanced Agriculture Techniques) का स्वरूप भी काफी हद तक बदल चुका है. पहले किसान खेती के लिये सिर्फ जमीन और मिट्टी तक ही सीमित हुआ करते थे, लेकिन आधुनिक खेती की तकनीकों को अपनाकर अब जमीन और जमीन से थोड़ा ऊपर खेती का विकल्प है. इस तकनीक को मल्टीलेयर फार्मिंग यानी बहुपरतीय खेती (Multilayer Farming in India)  का नाम दिया गया है, जिसके तहत जमीन के एक छोटे से टुकड़े पर खेती करके आराम से 4-5 लाख रुपये की आमदनी हो जाती है. भारत के कई युवा किसान इस तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं और खेती-किसानी के क्षेत्र में भी काफी नाम कमा रहे हैं.


क्या है मल्टीलेयर फार्मिंग
दुनियाभर में बढ़ती आबादी और कीटनाशकों के अंधाधुंध इस्तेमाल के कारण खेती योग्य जमीन कम होती जा रही है. ऐसी स्थिति में जैविक विधि के साथ मल्टीलेयर फार्मिंग का फॉर्मूला (Organic method for Multilayer Farming) अपनाकर कम जमीन में भी किसान लाखों का मुनाफा हासिल कर रहे हैं.


खेती की इस विधि के तहत जमीन के अंदर, जमीन के ऊपर, मेड़ों पर और मचान बनाकर फसलें उगाई जाती हैं. इस प्रकार धरती से लेकर आसमान तक खेत का हर हिस्सा किसानों के काम आ जाता है, जिसे कई किसान बहुमंजिला खेती भी कहते हैं. बता दें कि बहुपरतीय खेती करके एक ही जमीन पर 4 से 5 तरह की फसलें उगा सकते हैं.




इस तरह होती है मल्टी लेयर फार्मिंग
जैसा कि नाम से ही साफ है बहुपरतीय खेती यानी कई परतों में फसल उगाना. इस विधि में पहली लेयर जमीन के अंदर होती  है, जिसमें आलू, चुकंदर, जमीकंद, अदरक और हल्दी जैसी जड़दार फसलों की खेती की जाती है. 



  • दूसरी परत जमीन के ऊपर होती है, जिसमें अनाज, फल, फूल और पत्तेदार सब्जियों के पौधे लगाये जाते हैं. इसमें गेहूं-धान से लेकर हरी सब्जियां, फूलदार पौधे आदि की खेती शामिल हैं.

  • बहु परतीय खेती में तीसरी लेयर में छायादार पेड़ों की होती है, जिसमें फलदार किस्मों से लेकर महोगनी, नीलगिरी, नीम जैसे कई पेड़-पौधों की खेती की जाती है.

  • चौथी परत में क्यारियों, मेड़ों और किनारे-किनारे खाली पड़े स्थान का भी इस्तेमाल किया जाता है और बांस, तंबू या मचान के सहारे बेलदार सब्जियों की खेती की जाती है.

  • इस प्रकार कम संसाधनों में अलग-अलग फसलों की चार परतें तैयार की जाती है, जिनसे 6 से 8 गुना तक अधिक मुनाफा मिलता है. 


किसानों के लिये फायदे का सौदा
सीमित जमीन वाले छोटे और सीमांत किसानों के लिये मल्टीलेयर फार्मिंग किसी वरदान से कम नहीं है, क्योंकि इन किसानों के पास जमीन का काफी छोटा हिस्सा होता है, जिस पर कम लागत में  खेती करके दैनिक जरूरतों को पूरा करते हैं. ऐसे में बहुपरतीय खेती करके जरूरतों के साथ-साथ अपनी आमदनी को भी मजबूत कर सकते हैं. 



  • इस प्रकार बहुपरतीय खेती कम संसाधनों और कम समय में चार गुना अधिक उत्पादन देकर किसानों की आय को बढ़ाने का काम करती है.

  • खेती की इस विधि में खरपतवारों की संभावना भी कम होती है, क्योंकि कंद फसलों के पकने पर उन्हें जमीन से उखाड़ा जाता है, जिससे अपने आप निराई-गुड़ाई का काम हो जाता है.

  • मल्टीलेयर फार्मिंग में खाद-उर्वरकों और सिंचाई पर अधिक खर्च नहीं करना पड़ता, क्योंकि चार परतों की फसलें एक-दूसरे को पोषक तत्वों की आपूर्ति करती हैं. इस तरह मिट्टी उपजाऊ और भूजल स्तर कायम रहता है.

  • सिर्फ जैविक खाद (organic Manure) का इस्तेमाल करके बहुपरतीय खेती से बंपर उत्पादन ले सकते हैं. इस प्रकार पैसों के साथ-साथ 70 प्रतिशत तक पानी की भी बचत होती है.

  • बहुपरतीय खेती कुछ हद तक सह फसल खेती या अंतरवर्तीय खेती से ही प्रेरित है, जिसमें एक साथ कई फसलों की खेती की जाती है.




आकाश चौरसिया है बहु परतीय खेती करने वाले पहले युवा
मध्य प्रदेश के सागर (Sagar, Madhya Pradesh) इलाके में रहने वाले आकाश चौरसिया (Young Farmer Akash Chaurasia) आज मल्टीलेयर फार्मिंग (Multilayer Farming) करके हजारों किसानों के लिये प्रेरणास्रोत बन चुके हैं. वे खुद तो बहुपरतीय खेती करते ही है, साथ ही शिविर लगाकर सैंकड़ों किसानों को भी इसके गुर सिखाते रहते है. ये युवा किसान 100% जैविक विधि को अपनाकर बहुपरतीय खेती कर रहे हैं, जिसमें फसलों के लिये रसायन मुक्त खाद-उर्वरकों का इस्तेमाल किया जाता है.


इस प्रकार बहुपरतीय खेती (Multilayer Farming) किफायती और कई गुना टिकाऊ साबित हो रही है. आकाश चौरसिया जैविक खेती (Organic Farming) करने के लिये कई किसानों को अपने साथ जोड़ चुके हैं. खेती के क्षेत्र में इस खास योगदान के लिये आकाश चौरसिया को खेती में राष्ट्रीय पुरस्कार (National Awardee for Agriculture Akash Chaurasia) से भी सम्मानित किया जा चुका है.




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