Food Oil Price: सब्जियों में छौंक लगाना हुआ सस्ता, देश में खाने के तेलों के दाम में गिरावट दर्ज
आम पब्लिक के लिए राहत भरी खबर है. देश में खाद्य तेलों के दामों में कमी देखने को मिली है. कीमतों में कमी से आमजन खुश हैं, वहीं किसान और कारोबारी परेशान है.
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Food Oil Price In India: देश में कई बार अनाज व अन्य खाद्य पदार्थाें के दाम बढ़ने पर महंगाई सिर उठाने लगती है. रसोई का बजट महंगा हो जाता है. कुछ महीने पले देश में गेहूं की कीमतों में बढ़ोत्तरी हो गई थी. इसका असर आटे की कीमतों पर देखने को मिला और आमलोगों का रसोई का बजट तक गड़बड़ा गया. केंद्र सरकार ने महंगाई रोकने की कवायद की. इसके बाद आटे की कीमतों में कुछ राहत देखने को मिली. अब खाद्य तेलों के दामों को लेकर भी आम पब्लिक को राहत मिली है. हालांकि, किसान-कारोबारियों को इसमें नुकसान उठाना पड़ रहा है.
खाद्य तेलों में गिरावट दर्ज
पिछला सप्ताह खाद्य तेलों की कीमतों के लिहाज से अच्छा रहा है. दिल्ली तेल-तिलहन बाजार मे खाद्य तेल की कीमतों का रुख सामान्य रहा है. सोयाबीन दाना को छोड़ दें तो सरसों और सोयाबीन तेल-तिलहन और कच्चे पामतेल (सीपीओ) की कीमतों में कमी आई है. तेल के दामों में आई गिरावट से आम आदमी ने राहत की सांस ली है. वहीं, किसान-कारोबारी परेशान हैं.
क्यों सस्ता हुआ सरसों का तेल?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले मौसम में सरसों का प्रॉडक्शन 25 प्रतिशत तक बढ़ गया था. अप्रैल, मई, जून 2022 में विदेशी तेलों की कीमतें अधिक बढ़ी हुई थीं. जबकि सरसों का तेल, सरसों का रिफाइंड बनाए जाने के बावजूद इन तेलों की कीमत विदेशों से आने वाले तेलों से 20 रुपये प्रति किलो तक सस्ती थीं. जून, जुलाई में विदेशों तेलों के दामों में कुछ गिरावट दर्ज हुई. विदेशी तेल सस्ता होने के कारण देसी सरसों के तेल की खपत कुछ हो पा रही है. इसी कारण सरसों के तेल में कमी आई है. सोयाबीन का भी हाल कुछ ऐसा ही है.
सरसों के स्टॉक में भी आई कमी
विदेशों से आ रहे तेल का दाम देश में काफी सस्ता हो गया है. देसी सरसों के तेल की खपत नहीं हो पा रही है. पिछले साल सरसों का स्टॉक केवल एक लाख टन बचा हुआ था. इस साल बाहर से सस्ता तेल भारत आ रहा है, जबकि भारत में पैदा होने वाला सरसों का तेल एमएसपी के हिसाब से 20 से 30 रुपये तक महंगा होगा. बाहर से आने वाले सस्ते तेल के सामने देसी सरसों के तेल की बिक्री का संकट उभरकर सामने आएगा. बताया गया है कि यदि इसी तरह बाहर से आने वाला तेल सस्ता रहा तो देश में पैदा होने वाले तेल की खपत नहीं हो पाएगा. आने वाले समय में देश में 60 से 70 लाख टन सरसों का स्टॉक बचा रह सकता है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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