Mustard Farming Tips: भारत में किसान भाई कई फसलें उगाते हैं. आज हम आपको एक ऐसी फसल की खेती करने के बारे में बताने जा रहे हैं. जिसमें मेहनत कम लगती है और कमाई ज्यादा होती है. आइए जानते हैं कौन सी है वो चीज जिसकी खेती में मेहनत कम लगती है और कमाई भरपूर होती है. हम आज बात कर रहे हैं, सरसों की खेती की.


देश में सरसों का उत्पादन काफी बड़े स्तर पर होता है. साथ ही इसका इस्तेमाल भी तेल, मसालों और खाद के रूप में किया जाता है. सरसों की खेती के लिए अच्छी मिट्टी, सही समय, और उचित देखभाल की जरूरत होती है. मिट्टी की बात की जाए तो सरसों की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है. यह मिट्टी हल्की और भुरभुरी होती है, जिससे पानी और हवा का निकास आसानी से होता है. सरसों की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन भारी व चिकनी मिट्टी में इसकी पैदावार कम होती है.


क्या है सही समय


सरसों की खेती शरद ऋतु में की जाती है. बुवाई का सबसे अच्छा समय सितंबर से अक्टूबर के बीच होता है. इस समय तापमान 15 से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है, जो सरसों के लिए उपयुक्त होता है. इसकी खेती के लिए उन्नत किस्मों के बीज का इस्तेमाल करना चाहिए. इन किस्मों में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है और इनकी पैदावार भी अधिक होती है.


कैसे होती है बुवाई


सरसों की बुवाई कतारों में की जाती है. कतारों की दूरी 20 से 25 सेंटीमीटर और पौधों की दूरी 5 से 7 सेंटीमीटर रखनी चाहिए. बुवाई के लिए 1 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ की दर से काफी होता है.


सिंचाई कैसे करें


सरसों की फसल को अच्छी पैदावार के लिए सिंचाई की जरूरत होती है. बुवाई के बाद पहली सिंचाई 10 से 15 दिन बाद करनी चाहिए. इसके बाद आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहना चाहिए. सरसों की खेती में खरपतवारों का प्रकोप ज्यादा होता है. खरपतवारों की रोकथाम के लिए बुवाई के बाद 25 से 30 दिन बाद एक बार निराई-गुड़ाई करनी चाहिए. ये फसल 120 से 130 दिन में पक जाती है.


इन बातों का रखें ध्यान



  • अच्छी किस्म के बीज का इस्तेमाल करें.

  • सही समय पर बुवाई करें.

  • अच्छी मिट्टी का चयन करें.

  • जरूरत के अनुसार सिंचाई करें.

  • समय-समय पर खरपतवारों और रोगों की रोकथाम करें.


यह भी पढ़ें- पीएम किसान योजना का लाभ पाने के लिए ये काम जरूर कर लें किसान भाई