Mustard Price In Haryana: किसान खेत में लाख मेहनत कर लें, मगर उन्हें तमाम कोशिशों के बावजूद खेती की लागत तक नहीं निकल पाती है. बेमौसम बारिश के कारण कई राज्यों में गेहूं, सरसों की फसल तबाह होने की खबरें सामने आई थीं. अब आम, लीची, केला जैसी फसलें भी बे मौसम के कारण बर्बाद हो रही हैं. वहीं सरसों को लेकर भी राज्य सरकार को राहत नहीं मिली है. किसानों को अपनी फसल बेहद ही कम दामों पर बेचनी पड़ रही है. किसानों को मोटा घाटा उठाना पड़ रहा है.
3000 रुपये प्रति क्विंटल तक कम हुए दाम
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सरसों के दामों को लेकर हरियाणा में स्थिति सही नहीं सामने आ रही है. यहां किसानों को मोटा नुकसान हो रहा है. हरियाणा में सबसे ज्यादा सरसों खरीदरा होने के बावजूद किसान इसे एमएसपी पर नहीं बेच पा रहे हैं. राष्ट्रीय कृषि बाजार यानि ई नाम प्लेटफॉर्म पर सरसों का कारोबार एमएसपी से कम दाम पर हो रहा है. मौजूदा समय में सरसों की ट्रेडिंग 1500 रुपये प्रति क्विंटल तक हो रही है, पिछले साल से यह आंकड़ा देखें तो 3000 रुपये तक कम भाव में सरसों बिक रही है.
सरसों का एमएसपी 5450 रुपये तय
रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 में सरसों की एमएसपी 5450 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है, जबकि किसानों को इसका उचित भाव तक नहीं मिल रहा है. इस समय ओपन मंडी में सरसों 4000 से 5000 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बेचने को मजबूर है. वहीं पिछले साल सरसों का भाव। 7500 रुपये से 8000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया था. इस बार दामों की दुर्गति होने से किसान परेशान है.
क्यों घट गए तेल के भाव?
हालांकि अब ये एक सवाल भी उठ रहा है कि आखिर सरसों के दाम इतने कम क्यों गिर गए हैं? इसके पीछे वजह बताई गई है कि सरकारी आयात नीतियों में कुछ खामियां हैं. केंद्र सरकार ने खाद्य तेल आयात को प्रमोट करने के लिए वर्ष 2020 तक खाद्य तेलों पर ड्यूटी 45 प्रतिशत तक थी. पाम ऑयल पर 5 प्रतिशत सुरक्षा शुल्क भी लगा दिया गया है. इसे अक्टूबर 2021 को जीरो कर दिया. इसी वजह से आयात सस्ता हो गया और सरसों के दाम बहुत तेजी से गिर गए.
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