खेती करने वाले किसान सीजन के अनुसार खेती करते हैं. ऐसे में कुछ लोग सरसों की भी खेती करते हैं. अगर आपने भी इस बार सरसों की खेती की है, तो यह खबर आपके लिए है. आज हम आपको सरसों के दाम और इसके भाव कम होने के क्या कारण है ये भी बताएंगे.


सरकार ने तय किया एमएसपी  


बता दें कि इस बार सरकार ने सरसों का एमएसपी यानी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) 5,650 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है. लेकिन किसानों को इस बार 4 हजार से 5 हजार ही मिल रहे हैं. इस साल कम दाम मिलने की वजह से अधिकतर किसान परेशान हो रहे हैं.


सरसों का दाम


कृषि मंत्रालय के मुताबिक इस साल यानी 2024 में 1 से 18 मई तक 1,67,992 मीट्रिक टन सरसों बिकने के लिए आई है. लेकिन यह पिछले साल 2022 और 2023 के मुकाबले काफी कम है. बात करें 2023 की तो सरसों 2,15,278 टन और 2022 में 2,39,615 टन सरसों बिकी थी. अगर इस साल की बात करें, तो सरसों का दाम 5101.78 रुपये प्रति क्विंटल है, जो पिछले दो सालों से काफी कम है.


सरसों को किया स्टोर


हालांकि किसानों को अभी भी उम्मीद है कि इस साल के अंत तक उन्हें अच्छा दाम मिल सकता है. इसीलिए कुछ किसानों ने अभी सरसों को बेचने के बजाय स्टोर कर रखा है. ताकि अगर आने वाले दिनों में भाव बढ़ते हैं, तो उन्हें नुकसान के बदले मुनाफा होगा. इस साल किसानों को सरसों की खेती पर नुकसान हुआ है क्योंकि पिछले साल के मुकाबले सरसों की आवक इस साल 22 फीसदी कम हुई है.


सूरजमुखी तेल का आयात


इस साल खाद्य तेलों का आयात शुल्क बहुत कम है जिससे इसके दाम सस्ते हो गए हैं. इसके अलावा सूरजमुखी तेल का आयात भारी मात्रा में हो रहा है जिससे सरसों की मांग कम हो गई है. बता दे कि यह स्थिति अस्थाई हो सकती है सरकार कभी भी शुल्क बढ़ा सकती है या अन्य उपाय भी खोज सकती है.


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