NANO DAP Benefits: देश के किसानों के लिए केंद्र और राज्य सरकारें किसानों के हित में लगातार कदम उठा रही हैं. केंद्र सरकार की कोशिश है कि किसानों को सस्ती दरों पर खाद, बीज और तकनीकी उपकरण मिल जाए. इससे खेती में आने वाली उनकी लागत कम हो और कृषि कर अच्छी आय अर्जित कर सकें. नैनो फर्टिलाइजर को प्रयोग में लाने और बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार पिछले कई साल से कार्यरत है. केंद्र सरकार का तर्क है कि नैनो उर्वरक प्रयोग कर खेती में खाद पर आने वाली लागत बेहद कम होगी. इससे किसान सस्ती दरों पर अच्छी उपज पा सकेंगे. नैनो फर्टिलाइजर को बाजार में लाने के लिए केंद्र सरकार काफी समय से कवायद कर रही है. अब जो खबरें केंद्र सरकार की ओर से सामने आ रही हैं. उससे जल्द ही किसानों को राहत मिलने की उम्मीद है. 


केंद्र सरकार जल्द बाजार में उतारेगी नैनो फर्टिलाइजर


मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हाल में केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया ने साफ कर दिया कि अभी तक किसान पारंपरिक उर्वरकों पर निर्भर है. इस पर निर्भरता खत्म करने के लिए केंद्र सरकार नैनो फर्टिलाइजर प्रयोग में लाने जा रही है. नैनो यूरिया की सफलता के बाद अब केंद्र सरकार जल्द ही नैनो डीएपी फर्टिलाइजर बाजार में लाने वाली है. इससे मिटटी की सेहत में सुधार होगा और किसान को बढ़ी हुई उपज मिल सकेगी. देश में 6 करोड़ ससे अधिक नैनो यूरिया की बोतल का उत्पादन किया जा चुका है. 


आधी हो जाएगी नैनो डीएपी की कीमत


केंद्र सरकार के अधिकारियों ने कहा कि अभी तक डीएपी खाद की बोरी 1350 रुपये में मिलती हैं. उतनी ही क्षमता का जो नैनो डीएपी तैयार किया है. बाजार में उसकी कीमत 600 से 700 रुपये प्रति बोतल होगी. एक बोतल में 500 मिली नैनो डीएपी होगी. इससे किसानों को आर्थिक रूप से बहुत अधिक सहायता हो सकेगी. 


नैनो डीएपी उर्वरक के कमर्शियल यूज को मिली मंजूरी


केंद्र सरकार हर सूरत में किसानों के पास तक नैनो डीएपी उर्वरक पहुंचाना चाहती है. केंद्र सरकार ने साफ किया कि नैनो डीएपी फर्टिलाइजर के कर्मिशयल यूज को मंजूरी दे दी गई है. जल्द ही बाजार में यह किसानों के लिए उपलब्ध होगा. 50 रुपये वाली डीएपी की बोरी की कीमत 4000 रुपये तक होती है. किसानों को सब्सिडी पर यह 1350 रुपये तक में मिल जाती है. 50 किलोग्राम वाली डीएपी के बराबर नैनो डीएपी की 500 मिली बोतल में क्षमता होगी. इससे किसान नैनो डीएपी प्रयोग कर काम चला सकेंगे. केंद्र सरकार ने कहा कि देश में यूरिया की कुल खपत 350 लाख टन है. हर साल 70 से 80 लाख टन यूरिया विदेशों से मंगाया जाता था. इससे यूरिया किसानों को महंगा पड़ता था. खाद कारोबार से जुड़ा एक बड़ा वर्ग नहीं चाहता था कि नैनो यूरिया का उत्पादन हो. लेकिन केंद्र सरकार ने किसानों के हित में ये बड़ा कदम उठाया है. 


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