(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
NANO-DAP के व्यावसायिक प्रयोग को सरकार से मिली मंजूरी, 600 रुपये में बिकेगी एक बोतल, कब से मिलेगा लाभ?
IFFCO NANO DAP: कृषि मंत्रालय ने इफको नैनो डीएपी को वाणिज्यिक उपयोग के लिए मंजूरी दे दी है. नैनो-डीएपी की 500ml की एक बोतल 600 रुपये में बिकेगी, जो 50 किलो वाले डीएपी के बैग से आधे दाम की है.
OFFCO NANO Fertilizer: खेती में अंधाधुंध बढ़ते उर्वरकों के इस्तेमाल को कम करने के लिए नैनो फर्टिलाइजर्स इजाद किए जा रहे हैं. कुछ साल पहले ही सरकार ने नैनो यूरिया को मंजूरी दी थी, जबकि शुक्रवार को इफको के नैनो डीएपी फर्टिलाइजर को भी कमर्शियल रिलीज के लिए मंजूर कर दिया गया है. इस फैसले से ना सिर्फ डीएपी फर्टिलाइजर कम कीमत पर किसानों को मिलेगा, बल्कि कम मात्रा में फसल की पैदावार भी बढ़ेगी. अभी तक पारंपरिक डीएपी की एक 50 किलोग्राम वाली भारी-भरकम उर्वरक की बोरी की कीमत 4000 रुपये थी, जिसे सरकारी सब्सिडी के जरिए 1,350 रुपये में उपलब्ध करवाया जा रहा था, जबकि अब से 50 किलोग्राम वाली इस बोरी को एक 500 ml की बोतल में नैनो डीएपी लिक्विड फर्टिलाइजर के तौर पर उपलब्ध करवाया जाएगा, जिसकी कीमत मात्र 600 रुपये होगी.
इस मामले में अभी सरकार की ओर से आधिकारिक पुष्टि होना बाकी है, लेकिन व्यावसायिक इस्तेमाल को मंजूरी मिलने से खेती-किसानी की लागत को कम करने में मदद मिलेगी ही, सरकार की ओर से भुगतान की जाने वाली सब्सिडी में काफी कमी आएगी.
किसानों के लिए सस्ता और सुविधाजनक
पिछले साल दिसंबर में ही रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया ने नैनो डीएपी को एक सुविधाजनक उर्वरक बताया था, उन्होंने कहा था कि यह किसानों के लिए कीमतों में सस्ता और इस्तेमाल में सुविधाजनक साबित होगा. इससे सरकार को भी भारी मात्रा में सब्सिडी बचाने में मदद मिलेगी.
बता दें कि नैनो-डीएपी को तरल यूरिया भी कहा जाता है, जो पारंपरिक दानेदार यूरिया से काफी अलग है. कुछ समय पहले घोषणा के मुताबिक, इसे इंडिया फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव (इफको) और कोरोमंडल इंटरनेशनल ने संयुक्त सहयोग से बनाया है.
नैनो डीएपी के बाद इन उर्वरकों की तैयारी
पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इफको के प्रबंध निदेशक यूएस अवस्थी ने एक कृषि सम्मेलन के दौरान कहा था कि जल्द इफको नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के बाद इफको नैनो-पोटाश, नैनो-जिंक और नैनो-कॉपर उर्वरक लॉन्च करने की भी योजना बना रहा है. बता दें कि इफको ने जून 2021 में पारंपरिक यूरिया के विकल्प के तौर पर नैनो-यूरिया को तरल रूप में लॉन्च किया गया था.
नैनो यूरिया का उत्पादन बढ़ाने के लिए मैनुफेक्चरिंग प्लांट भी लगाए थे. अब कई देशों में नैनो यूरिया का निर्यात हो रहा है. हाल ही में कई देशों को नैनो यूरिया के सैंपल भी भेजे गए हैं, जिसमें से ब्राजील ने इफको नैनो यूरिया लिक्विड फर्टिलाइजर को मंजूरी दे दी है.
बचेगा सरकार का खर्च
भारत आज भी ज्यादातर उर्रवकों का आयात करता है. खेती-किसानी में भी उर्वरकों का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है, जिसका सीधा असर हमारी मिट्टी की उर्वरता पर पड़ता है. इस समस्या से अब नैनो उर्वरक निजात दिलाएंगे. इसके इस्तेमाल से ना सिर्फ मिट्टी की उपजाऊ शक्ति वापस लौट आएगी, बल्कि उर्वरकों के आयात पर निर्भरता भी कम होगी. इससे सरकार पर पड़ने वाला सब्सिडी का बोझ भी कम होगा.
शुरुआत में नैनो यूरिया के इस्तेमाल से होने वाले फायदों को गिनाते हुए उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया ने बताया था कि किसानों को उचित मूल्यों पर उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 45 किलोग्राम यूरिया के बैग पर 2,000 रुपये की सब्सिडी प्रदान करती है, जबकि इफको द्वारा विकसित नया प्रोडक्ट किसी सरकारी सब्सिडी के बिना भी पारंपरिक यूरिया से कई गुना सस्ता है. इससे किसानों को भी काफी बचत होगी.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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