Stubble Burning Farmers: उत्तर भारत में पराली जलाने की घटनाओं के साथ बढ़ते प्रदूषण की समस्या पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने संज्ञान लिया. एनएचआरसी ने बयान में कहा कि किसान क्यों पराली जला रहे हैं, इसके पीछे राज्यों सरकारों की विफलता बड़ा कारण है. जब बढ़ते प्रदूषण पर मानवाधिकार आयोग ने सवाल किया तो दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब ने पराली जलाने की समस्या को जिम्मेदार ठहराया.


ऐसे में एनएचआरसी ने राज्यों को फटकार लगाते हुए पराली जलाने की समस्या को किसानों की मजबूरी बताया. एनएचआरसी ने यह भी कहा कि पराली जलने से बढ़ते प्रदूषण के लिए सिर्फ किसानों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.


विफल हुईं राज्य सरकारें
दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों को 10 नवंबर को बुलाया था. राज्यों सरकारों क जवाब पर गौर करने बाद मानवधिकार आयोग ने साफ किया कि किसान मजबूरी में ही पराली जला रहे हैं. एनएचआरसी ने कहा कि पराली के उचित प्रबंधन के लिए किसानों को मशीनें उपलब्ध करवानी थीं, लेकिन ये 4 राज्य सरकारें किसानों को पर्याप्त संख्या में न उपकरण उपलब्ध करवा पाईं और न ही सही उपाय हुए. अब हालात ये है कि देरी होने के कारण किसान मजबूर होकर पराली जला रहे हैं, जिससे प्रदूषण फैल रहा है.


किसानों को ना ठहराएं जिम्मेदार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मानवाधिकार आयोग ने यह भी कहा कि इन चारों राज्य सरकारों की विफलता के कारण ही पराली जल रही है और हवा में प्रदूषण बढ़ रहा है. इस समस्या के लिए कोई भी राज्य किसानों को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकता. अब चारों राज्यों को एनएचआरसी ने एक बार फिर 18 नवंबर को जाहिर होने के सख्त निर्देश दिए हैं. इस बीच चारों राज्यों को चर्चा करके हलफनामा दाखिल करने का भी आदेश मिला है.


दिल्ली में जहरीली हुई हवा
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आंकड़े जारी करके बताया है कि यहां हवा की गुणवत्ता बहुत खराब हालत में है. यहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 249 दर्ज किया गया है. इन दिनों देश की राजधानी तड़के सुबह से ही स्मॉग की चपेट में आ जाती है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने भी दिल्ली का तापमान 27 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया है. इस बीच उत्तर प्रदेश की हवा में काफी सुधार देखा जा रहा है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, फिरोजोबाद की स्थिति काफी बेहतर है, यहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 61  है यानी कि उत्तर प्रदेश की हवा पर सांस लेने के लायक हो गई है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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