Kesar Export: केसर उत्पादन में आई क्रांति....एक दशक में ढाई गुना तक बढ़ गई पैदावार, जानें कैसे हुआ ये कमाल
Saffron Cultivation: केसर की गिनती दुनिया की सबसे मंहगे मसालों में होती है. अब भारत ने केसर उत्पादन में एक खास मुकाम हासिल कर लिया है.आंकड़े बताते हैं पिछले 10 साल में केसर का डबल प्रोडक्शन लिया है.
Saffron Production: आज भी भारत मसालों के उत्पादन में काफी आगे है. कई मसाले ऐसे हैं, जो सिर्फ भारत से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पहुंचते हैं. भारतीय मसाला बोर्ड और केंद्र सरकार की नीति-योजनाओं के मदद से इन देसी मसालों के उत्पादन के क्षेत्रफल को बढ़ाया जा रहा है. इस बीच केसर उत्पादन को लेकर भारत ने नया मुकाम हासिल कर लिया है. ताजा आंकड़ों से पता चला है कि पिछले एक दशक में भारत में केसर का उत्पादन ढाई गुना बढ़ गया है. इस लक्ष्य को पाने में राष्ट्रीय केसर मिशन का भी अहम रोल है, जिसके तहत केसर उगाने वाले किसानों की समस्याओं का समाधान हुआ और केसर उत्पादन में वैज्ञानिकों तकनीकों से अच्छा उत्पादन लेने में मदद मिल रही है.
कैसे ढ़ाई गुना बढ़ा केसर का उत्पादन
भारत में सबसे ज्यादा केसर का उत्पादन कश्मीर घाटी से मिल रहा है, हालांकि साल 2010 तक केसर उत्पादन के क्षेत्र में कुछ खास बदलाव नहीं आया. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कश्मीर के कृषि निदेशक-चौधरी मौहम्मद इकबाल बताते हैं कि यहां उत्पादन में आ रही गिरावट के चलते राष्ट्रीय केसर मिशन की शुरुआती की गई.
इस मिशन का प्रमुख उद्देश्य केसर की उत्पादकता के सुधारने के साथ-साथ इसकी क्वालिटी को इंप्रूव करना और इसी लक्ष्य के साथ केसर की फसल में कीट-रोग नियंत्रण, मिट्टी की सेहत में सुधार और सिंचाई सुविधाओं और हार्वेस्टिंग के बाद मशीनीकरण पर ध्यान दिया गया. इसी का नतीजा हुआ कि साल 2010 में जो किसान प्रति हेक्टेयर से 1.88 किलोग्राम उत्पादन ले रहे थे, अब साल 2022 में वही उपज बढ़कर 5.20 किलोग्राम हो गई है.
किसानों ने कम कर दी थी केसर की खेती
साल 2010 के आंकड़े बताते हैं कि 1996 तक कश्मीर घाटी में कुल 5,700 हेक्टेयर रकबा केसर की खेती से कवर किया जा रहा था, लेकिन साल 2010 तक ये घटकर 3,700 हेक्टेयर तक ही सीमित हो गया. इन्हीं रुझानों के मद्देनजर तत्काल ही केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने 400.11 करोड़ रुपये की परियोजना की शुरुआती की थी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में कृषि निदेशक इकबाल बताते हैं कि साल 2010 में राष्ट्रीय केसर मिशन लॉन्च होने के बाद से ही केसर की उपज में ग्रोथ देखने को मिली है. उन्होंने बताया कि इस मिशन के तहत केसर का रिकॉर्ड उत्पादन हासिल करने के लिए 3,815 हेक्टेयर जमीन में से पुलवामा की 2,598 हेक्टेयर भूमि जमीन को उपजाऊ बनाया गया है.
इसी का नतीजा है कि 10 साल बाद साल 2020 में केसर की सालाना उपज 18.05 मीट्रिक टन पहुंच गई, जिसने अगले-पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए.
क्या है केसर के दाम
जम्मू-कश्मीर की घाटी में केसर की खेती बड़े लेवल पर की जाती है. यहां कश्मीर के पुलवामा, बडगाम और श्रीनगर के भी कुछ इलाकों में केसर उगाया जाता है. कभी 2010 में सूखा जैसी परिस्थितियों की वजह से इन इलातों में केसर उगाना मुश्किल हो गया था, लेकिन अब हर साल 15 अक्टूबर से 20 नवंबर तक बुवाई की जाती है और 30 दिन के अंदर 3 बार फूलों की हार्वेस्टिंग ली जाती है.
एक अनुमान के मुताबिक, आज कश्मीर के 36,000 परिवार प्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष तौर पर केसर की खेती से जुड़ चुके हैं. किसानों ने भी माना है कि राष्ट्रीय केसर मिशन से उन्हें बेहतर उत्पादन लेने में मदद मिली है. इस मिशन से जुड़ने पर एग्री इंस्टीट्यूट और एग्री यूनिवर्सिटी में एक्सपर्ट्स द्वारा इजाद की गई तकनीकों की जानकारी दी जाती है. इसका फायदा यह हुआ कि आज केसर का जबरदस्त उत्पादन लेकर 2.5 से 3.5 लाख रुपये प्रति किलोग्राम के भाव इसकी बिक्री करते हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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