Cooperative Society: बीजों की उपलब्धता से लेकर जैविक उत्पादन और निर्यात में कैसे मदद करेंगी नई सहकारी समितियां, आसान भाषा में समझें
Sahakari Samiti: सरकार ने मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी एक्ट-2002 के तहत बीज, जैविक और निर्यात समितियों के गठन को हरी झंडी दे दी है, लेकिन ये कृषि और किसानों के लिए कैसे लाभकारी साबित होंगी?
Multi State Cooperative Societies: कृषि क्षेत्र के विकास और किसानों के कल्याण के लिए सरकार कई योजनाएं, नीति और कानून लाती है. इनसे संबंधित क्षेत्र के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभ होता है. हाल ही में, सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर तीन मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी (Multi State Cooperative Society) बनाने के फैसले को मंजूरी दी है. ये मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सीड सोसायटी, मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव ऑर्गेनिक सोसायटी और मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट सोसायटी हैं. इन बहु-राज्यीय सहकारी समितियों का गठन मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी एक्ट-2002 (Multi State Cooperative Society Act-2002) के तहत किया गया है. सरकार के इस कदम का सीधा फायदा कृषि क्षेत्र, किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को होगा.
अपने एक बयान में सरकार ने बताया कि प्राइमरी से लेकर नेशनल लेवल की सहकारी समतियां सदस्य बन सकती है, हालांकि अभी-भी कई सवाल हैं कि ये सहकारी समितियों का काम क्या होगा?, ये कैसे किसान और कृषि क्षेत्र को लाभ पहुंचाएंगी?और इन सहकारी समितियों का लाभ कैसे मिलेगा? इसके बारे में आज हम आपको बताएंगे.
मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सीड सोसायटी
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने बताया कि मल्टी स्टेट कोआपरेटिव बीज सोसाइटी (National Level Multi State Seed Cooperative Society) किसानों को अच्छी क्वालिटी के बीजों के उत्पादन, खरीद, ब्रांडिंग, पैकेजिंग और मार्केटिंग के साथ-साथ रिसर्च और डेवलपमेंट में भी मदद करेगी.
इस सहकारी समिति के जरिए बीजों की देसी और प्राकृतिक किस्मों का संरक्षण और संवर्धन भी किया जाएगा. इसके लिए एक प्रणाली भी विकसित की जाएगी, जिसके शीर्ष संगठन के तौर पर मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव बीज सोसायटी काम करेंगी.
इस काम में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और राष्ट्रीय बीज निगम (NSC) भी अहम रोल अदा करेंगे. इसका फायदा यही होगा कि दूसरे देशों से आयातीत बीजों पर निर्भरता कम होगी और देश में ही बीज उत्पादन होगा.
इससे बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में खास मदद मिलेगी. जब देश में क्वालिटी बीजों का उत्पादन होने लगेगा तो कृषि की उत्पादकता और देश की खाद्य सुरक्षा को मजबूत बनाने आसान हो जाएगा. इससे किसानों की आय तो बढ़ेगी ही, कृषि और सहकारिता क्षेत्र में भी रोजगार के नए अवसर खुलेंगे.
बीजों उत्पादन की इस कड़ी में हर लेवल की सहकारी समितियों के नेटवर्क का उपयोग होगा और खुद मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव बीज सोसायटी बीजों की प्रतिस्थापन दर को बढ़ाने, गुणवत्तापूर्ण बीजों की खेती और उत्पादित बीजों के परीक्षण में किसानों की मदद करेगी. इसके बाद इन बीजों की एकल ब्रांडिंग की जाएगी, जिससे ब्रांड नाम से वितरण और दोबारा इन बीजों के उत्पादन में आसानी रहेगी.
मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव ऑर्गेनिक सोसायटी
देश में जैविक खेती को काफी बढ़ावा मिल रहा है. अब इसे सहकारिता का सहयोग भी मिलेगा. इसके लिए सरकार ने नेशनल लेवल पर मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव ऑर्गेनिक सोसायटी (National Level Multi State Organic Cooperative Society) के गठन को मंजूरी दी है. मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव ऑर्गेनिक सोसायटी को कृषि एंव किसान कल्याण मंत्रालय के साथ-साथ खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से भी सहयोग मिलेगा.
मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव ऑर्गेनिक सोसायटी की भूमिका के बारे में गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बताया कि जैविक उत्पादों की मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी के जरिए दुनियाभर में भारत के ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स की मांग को पूरा किया जाएगा, जिससे किसानों को जैविक उत्पादों के उत्पादन के लिए असीमित अवसर मिलेंगे.
आसान शब्दों में समझें तो मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव ऑर्गेनिक सोसायटी किसानों को उनके जैविक उत्पादों के परीक्षण और सर्टिफिकेशन (Organic Certification) की सुविधा उपलब्ध करवाने के साथ-साथ इन उत्पादों के भंडारण, ब्रांडिंग और मार्केटिंग की एक संयुक्त संस्था के तौर पर काम करेगी.
वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव ऑर्गेनिक सोसायटी ऑर्गेनिक सेक्टर से जुड़ी तमाम गतिविधियों का प्रबंधन करने वाले एक संगठन के तौर पर काम करेगी. ऑर्गेनिक सोसाइटी की मदद से घरेलू बाजारों के साथ-साथ वैश्विक बाजारों में ऑर्गेनिक प्रोडक्ट की डिमांड और खपत को समझने के साथ-साथ इसकी क्षमता को पहचानकर पूरा करने में मदद मिलेगी.
मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट सोसायटी
बीज उत्पादन और ऑर्गेनिक प्रोड्यूस के मैनेजमेंट वाली मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव बीज सोसायटी और मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव ऑर्गेनिक सोसायटी के बाद सरकार ने मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट सोसायटी (National Level Multi State Export Cooperative Society) को भी हरी झंडी दिखाई है. इस सोसाइटी के कामकाज में विदेश मंत्रालय, वाणिज्य विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का सीधा सहयोग मिलेगा.
मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट सोसायटी को निर्यात और इससे जुड़ी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले संगठन के तौर पर देखा जा रहा है, जो सहकारिता क्षेत्र से कनेक्ट करते हुए देश-विदेश में निर्यात को आगे बढ़ाएगा.
मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट सोसायटी सीधे तौर पर हर लेवल की सहकारी समितियों की निर्यात की क्षमता को बढ़ाने में मदद करेगी. वहीं सहकारी समितियों के सदस्यों/किसानों को अपने उत्पादों या सेवाओं की बेहतर कीमत पाने में भी मदद मिलेगी.
गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बताया कि मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट सोसायटी से देश की लगभग 8.45 लाख समितियों को जोड़ने, इनके उत्पादों को दुनियाभर में बेचने, बिक्री की क्षमता को बढ़ाने और इन समितियों को एक सफल व्यावयायिक उद्योग के तौर पर स्थापित करने में भी खास मदद मिलेगी.
इससे कृषि के निर्यात को खासतौर पर गति मिलेगी, जिससे किसानों की आय में इजाफा होगा. मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट सोसायटी के जरिए पूरी दुनिया में 'मेक इन इंडिया' (Make In India) और 'आत्मनिर्भर भारत मिशन' (Atma Nirbhar Bharat) का नारा बुलंद करने में मदद मिलेगी. जाहिर है कि इससे रोजगार के भी अवसर पैदा होंगे.
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