Poultry Farming Scheme: कृषि और दुधारु पशुपालन की तरह अब पोल्ट्री बिजनेस भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा बन चुका है. देश-दुनिया में बढ़ती अंडे-चिकन की डिमांड ने इस बिजनेस को प्रोफिटेबल बना दिया है. अब पोल्ट्री फार्मिंग से जुड़कर किसान, ग्रामीण और नए युवा काफी अच्छा पैसा कमा रहे हैं. सरकार इस बिजनेस के लिए राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत सब्सिडी भी देती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कोरोना महामारी के दौर में जब पूरी दुनिया अस्त-व्यस्त थी, तो पोल्ट्री के बिजनेस में भी भारी नुकसान देखने को मिला.


कोरोना वायरस के डर से लोगों ने चिकन और अंडे खाना बंद कर दिया है. इसी घटना को लेकर कांग्रेस से सांसद अनुमुला रेवंत रेड्डी ने लोकसभा में सरकार से सवाल किया. विपक्षी के सांसद ने पूछा कि कोरोना के समय में पोल्ट्री यानी चिकन और अंडे के बिजनेस में कितना नुकसान हुआ. एक सावल यह भी था कि क्या सरकार चिकन की बिक्री के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने के बारे में सोच रही है, तो केंद्रीय पशुपालन मंत्री परशोत्तम रुपाला ने इन सभी सवालों के जवाब दिए.


लॉकडाउन प्रतिबंधों से पोल्ट्री बिजनेस में नुकसान
केंद्रीय पशुपालन, मछली पालन और डेयरी मंत्री परशोत्तम रुपाला ने लोकसभा में पोल्ट्री बिजनेस जुड़े तमाम सवालों के जवाब दिए. पशुपालन मंत्री ने पोल्ट्री बिजनेस में नुकसान को लेकर कहा कि कई राज्यों में लॉकडाउन की वजह से अंडे, मुर्गे, मांस की बिक्री के साथ-साथ चारे की ढुलाई पर भी प्रतिबंध था, जिसकी वजह से पोल्ट्री फार्मिंग सेक्टर को भी नुकसान हुआ, लेकिन पशुपालन विभाग ने इस नुकसान का आकलन नहीं किया है. 


क्या एमएसपी पर बिकेगा चिकन
चिकन का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने वाले सवाल पर पशुपालन मंत्री परशोत्तम रुपाला ने बताया कि फिलहाल सरकार चिकन पर एमएसपी निर्धारित करने पर विचार नहीं कर रही, क्योंकि ये एक जल्दी खराब होने वाला उत्पाद है. देश के ज्यादातर इलाकों में पोल्ट्री अलग-अलग लागत होने के कारण बाजार की परिस्थितियों के हिसाब से ही चिकन की कीमतों का निर्धारण होता है. 


पोल्ट्री फार्मिंग के लिए चलाई जा रही स्कीम
केंद्रीय पशुपालन मंत्री परशोत्तम रुपाला ने यह भी बताया कि सरकार ने साल 2020 से ही पशुपालन अवसंरचना विकास निधि जारी की है, जिसके तहत डेयरी प्रोसेसिंग से लेकर मूल्य संवर्धन अवसंरचना, मीट प्रोसेसिंग की मूल्य संवर्धन अवसंरचना और मवेशियों  के लिए चारा संयंत्र की स्थापना को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसके लिए व्यक्तिगत उद्यमियों से लेकर निजी कंपनियों, एमएसएमई, किसान उत्पादक संगठन और समेत दूसरे संस्थानों के लिए निवेश को बढ़ावा दिया जा रहा है.


जानकारी के लिए बता दें कि राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत मुर्गी पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार 50 प्रतिशत की सब्सिडी दे रही है. गांव से लेकर शहरों में पोल्ट्री बिजनेस के लिए सरकार 25 लाख तक की आर्थिक सहायता दे रही है, जिसका लाभ कई युवा, किसान और प्रोफेशनल ले रहे हैं.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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