अब हवा में पैदा होगा आलू...जानिए कैसे कर रहे हैं किसान ये कमाल
हवा में आलू पैदा करनी की इस तकनीक को एयरोपॉनिक्स तकनीक कहते हैं. यह एक ऐसी तकनीक है जिसमें किसान को ना तो मिट्टी की जरूरत पड़ती है और न ही खाद की.
आलू की खेती की बात आती है तो आपके सामने सेबसे पहले मिट्टी वाले खेत आते हैं. क्योंकि आलू एक ऐसा फसल है जो जड़ों में होता है, यानी यह मिट्टी के अंदर पैदा होता है. हालांकि, अगर हम यह कहें कि ये गुजरे जमाने की बात हो गई और अब बिना किसी मिट्टी और खेत के आलू हवा में पैदा किए जाएंगो तो आप क्या कहेंगे. इस तरह की खेती देखकर आपको लगेगा जैसे आप अभी से भविष्य में आ गए. तो चलिए आपको बताते हैं कि किसान कैसे हवा में आलू पैदा कर रहे हैं.
कैसे हवा में आलू पैदा हो रहे हैं
हवा में आलू पैदा करनी की इस तकनीक को एयरोपॉनिक्स तकनीक कहते हैं. यह एक ऐसी तकनीक है जिसमें किसान को ना तो मिट्टी की जरूरत पड़ती है और न ही खाद की. बिना जमीन बिना जुताई के मेहनत के इस तकनीक से दोगुना आलू का उत्पादन सिर्फ पानी के जरिए हवा में किया जा रहा है. इस एयरोपॉनिक्स तकनीक में नर्सरी के जरिये आलू की पौध तैयार की जाती है और उसे ऊंचाई पर लगे बड़े बड़े पाइपों में इसे लगा दिया जाता है. आलू की पैदावार को बढ़ाने के लिए इसकी फसल की जड़ों में पानी के जरिये पोषक तत्व पहुंचाए जाते हैं और जड़ों के नीचे जालीनुमा टेबल लगा दी जाती है इससे आलू की पैदावार तो बढ़ती ही है इसके साथ ही आलू के बीज उत्पादन में भी इस तकनीक के जरिए बढोत्तरी हो जाती है.
हर तीन महीने में तैयार होगी फसल
एक्सपर्ट्स की मानें तो एयरोपॉनिक्स तकनीक से हर 3 महिने में आलू की पकी हुई फसल तैयार की जा सकती है. एयरोपॉनिक तकनीक से आलू उगाने पर खाद, उर्वरक और कीटनाशकों का खर्च भी बच जाता है. एयरोपॉनिक्स तकनीक मिट्टी और जमीन की कमी को पूरा करती है. सबसे बड़ी बात की इस तकनीक से आलू में सड़न नहीं पैदा होती और कीड़ा या रोग लगने की संभावना भी बहुत कम रहती है.
भारत में कहां इस्तेमाल हो रही है ये तकनीक
भारत में एयरोपॉनिक्स तकनीक का आविष्कार हरियाणा राज्य के करनाल जिले में स्थित आलू प्रौद्योगिकी केंद्र में की गई. वहीं अब सरकार ने भी ऐरोपोनिक पोटैटो फ़ार्मिंग से आलू की खेती करने की मंजूरी किसानों को दे दी है, यानी अब वो दिन दूर नहीं जब इस तकनीक की मदद से आलू की जमकर खेती होगी.
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