Padma Shri Awards 2023: मात्र 1.5 एकड़ में जैविक विधि से उगा दीं 3,000 औषधियां, छोटे किसान की बड़ी सोच ने अपने नाम करवाया पद्मश्री अवॉर्ड
Padma Shri Farmer: कृषि में विशेष योगदान के लिए साल 2023 का पद्मश्री पुरस्कार पाने वाले किसान पटायत साहू जैविक विधि से औषधियां उगाते हैं. इस काम के लिए पीएम मोदी ने भी पटायत साहू की सराहना की है.

Patayat Sahu: आज आयुर्वेद भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के रूप में लगभग 3,000 सालों से चलन में है, जिसने पिछले सालों में पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है. प्रकृति से मिली जड़ी-बूटियां स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का काम करती हैं, हालांकि पहले लोगों को इन औषधियों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी, लेकिन कोरोना महामारी के दस्तक देते ही लोगों ने जड़ी-बूटियों को इम्यूनिटी बढ़ाने वाले मंत्र के तौर अपनाया है. ये कोई नया मॉडल तो है नहीं. देश में युगों-युगों से औषधीय उत्पादन और उपभोग हो रहा है. अभी तक हिमालय के पहाड़ी और बर्फीले इलाके ही औषधियों का भंडार माने जाते थे, लेकिन इनके बारे में जागरुकता बढ़ने से अब मैदानी इलाकों में इनकी खेती होने लगी है. उड़ीसा के कालाहांडी के रहने वाले 65 वर्षीय किसान पटायत साहू ने तो यह काम कई दशकों पहले ही चालू कर दिया था.
पीएम मोदी ने भी कर दी तरीफ
हाल ही में उड़ीसा के किसान पटायत साहू को कृषि के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार 2023 से नवाजा गया है. आप सोच रहे होंगे कि औषधियां उगाना कौन सी बड़ी बात है, लेकिन आप हैरान रह जाएंगे, जब पता चलेगा पटायत साहू ने अपनी 1.5 एकड़ जमीन पर करीब 3,000 औषधियां उगाते हैं.
इन्होंने अपना खुद का हर्ब गार्डन बनाया है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मन की बात' कार्यक्रम के 81 वें एपीसोड के बाद सुर्खियों में छा गया. पीएम मोदी ने पटायत साहू की सराहना करते हुए बताया था कि उड़ीसा के कालाहांडी के नांदोल में रहने वाले पटायत साहू कृषि के क्षेत्र में अनूठा काम कर रहे हैं. डेढ़ एकड़ से 3,000 औषधियां का उत्पादन लेकर इनकी डीटेल जानकारी का डोक्यूमेंटेशन भी किया है.
जैविक विधि से तैयार किया हर्ब गार्डन
आपको बता दें कि पटायत साहू ने कालाहांडी स्थित अपने हर्ब गार्डन को बिना किसी कैमिकल रसायन या कीटनाशक के तैयार किया है. यहां हर औषधी को जैविक विधि से ही उगाया जाता है. 65 साल के किसान पटायत साहू खुद अपने ह्रब गार्डन का ख्याल रखते हैं.
अपना पूरा जीवन जड़ी-बूटी और हरियाली के बीच बिताने वाले पटायत साहू अपने गार्डन के हर पौधे को अपने घर का सदस्य मानते हैं. इनका पूरा समय अपने 1.5 एकड़ बगीचे में ही बीतता है. इस उम्र में भी पटायत साहू आपको मुंह जुबानी हर औषधी की डीटेल बता देंगे.
बेशक पटायत साहू 1.5 एकड़ जमीन पर औषधीय खेती करने वाले छोटे किसान हैं, लेकिन उनकी बड़ी सोच ने आज देशभर में उनकी पहचान बना दी है. किसान पटायत साहू का हमेशा यही प्रयास रहता है कि आम लोगों में भी औषधीय पौधों को लेकर एक समझ को विकसित कर सकें. इनसे लोगों का जुड़ाव होगा तो हेल्दी जीवन जीने में मदद मिलेगी.
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