Food Oil Production: क्यों गिरा हुआ है तेल का बाजार, इस वजह से देशी-विदेशी तेलों के भाव हुए कम
तेलों के दामों में गिरावट के चलते किसान और व्यापारी वर्ग दोनों ही परेशान हैं. सस्ते आयतित तेल के कारण देश में यह संकट बना है. केंद्र सरकार इससे उबरने की कोशिश कर रही है.
Food Oil Production In India: धीरे धीरे ठंड बढ़ रही है. शादी ब्याह का मौसम चल रहा है. यह मौसम तेल की खपत के लिए एकदम माकूल है. लेकिन मौजूदा बाजार की स्थिति देखें तो तेल के भावों की मार्केट गिरी हुई है. कुछ जगहों पर इसका मिला जुला रुख देखने को मिल रहा है. एक्सपर्ट इसके पीछे कई वजह बता रहे हैं. जानकारों का कहना है कि सरसों तेल, मूंगफली तेल, सोयाबीन तिलहन, कच्चा पामतेल और पामोलीन तेल की कीमतें जहां पहले से बेहतर हुई हैं. वहीं, इंपोर्टेड तेल सस्ता होने का प्रभाव सोयाबीन तेलोें पर पड़ा है. इसकी कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है.
9 लाख टन हुआ इंपोर्ट
देश में भले ही लाखों हेक्टेयर क्षेत्र में तिलहनी फसलों का उत्पादन किया जा रहा है. लेकिन देश की तेलों की निर्भरता दूसरों देशों पर भी काफी अधिक है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले नवंबर में समाप्त हुए तेल वर्ष में खाद्य तेलों के आयात में करीब 9 लाख टन 6.8 प्रतिशत यानी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. खाद्य तेल आयात पर विदेशी मुद्रा खर्च भी 1,17,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,57,000 करोड़ रुपये तक हो गया है. जानकारों का कहना है कि देश की तिलहनी फसलों के भाव कुछ अधिक होते हैं, जबकि इंपोर्टेड तेल मार्केट में सस्ता पड़ता है. सस्ते तेल के कारण ही देश में देशी तेलों की कीमतों पर असर पड़ रहा है.
सूरजमुखी, सोयाबीन तेल के भाव में आई गिरावट
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सूरजमुखी और सोयाबीन के तेल के दाम की बात करें तो पिछले 6 महीने में विदेश में इसके भाव में करीब 70-90 रुपये प्रति किलो की गिरावट देखी गई है. इन तेलों के भावों को दुरस्त करने के लिए आयात को ड्यूटी फ्री करते हुए कोटा सिस्टम अप्लाई कर दिया. लेकिन इसका भी खास असर कीमतों पर नहीं पड़ा है.
भारी मांग, मगर सुधार कम
कीमतें कम होने के कारण कच्चे पामतेल और पामोलीन तेल की मांग काफी बढ़ गई है. मांग अधिक होने से खपत अधिक बढ़ गई हैं. इससे इनके दामों मंे मामूली सुधार देखने को मिला है. हालांकि इन उत्पादों की खपत के पीछे एक बात और सामने आई है कि पाम, पामोलीन देशी तेलों के कीमत पर ज्यादा असर नहीं डालते हैं. इसका प्रयोग कमजोर वर्ग के लोग अधिक करते हैं. देशी तेल, तिलहनों पर सबसे अधिक असर सूरजमुखी और सोयाबीन जैसे तेलों का देखने को मिलता है. इससे मध्य व उच्च वर्ग के लोग अधिक प्रयोग करते हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
यह भी पढ़ें: 80% की सब्सिडी पर घर ले आए हैप्पी सीडर, इन किसानों को 1,20,000 रुपये देगी सरकार, यहां करवाएं बुकिंग