Orange Production: जानिए क्यों? बांग्लादेश के एक फैसले से नागपुर के संतरों के दाम ही धड़ाम हो गए, परेशान हैं किसान
बांग्लादेश ने एक्सपोर्ट शुल्क बढ़ा दिया है. इसका सीधा असर में भारत में संतरों के दामों पर पड़ा हैं. देश में संतरों के दामों में कमी दर्ज की गई है.
Orange Production In India: सूखा, बाढ़ और बारिश ने किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाया है. यह साल महाराष्ट्र के किसानों के लिए भी अच्छा नहीं रहा है. पहले तेज बारिश ने महाराष्ट्र में लाखों टन लाल मिर्च बर्बाद कर दी थी. इसका असर देश के अन्य स्टेट में देखने को मिला. लाल मिर्च के दाम तक बढ़ गए. अब बांग्लादेश के एक फैसले ने महाराष्ट्र के कई क्षेत्रों में होने वाले संतरों के दामों के हाल बिगाड़ दिए हैं.
बांग्लादेश ने बढ़ाया एक्सपोर्ट रेट
इस साल किसानों का फसली नुकसान अधिक हुआ है. महाराष्ट्र के नागपुर क्षेत्र को संतरा उत्पादन के मामले में बड़ा क्षेत्र माना जाता है. यहां किसान इस साल परेशानी में आ गए हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश ने भारतीय संतरे पर एक्सपोर्ट रेट बढ़ा दिया है. इससे बांग्लादेश में वैधरबी संतरे की आपूर्ति महंगी होने के कारण सप्लाई काफी कम हो गई है. किसान परेशान हैं कि एक्सपोर्ट रेट महंगा होने के कारण किसान बांग्लादेश को संतरे नहीं भेज पा रहे हैं.
इस तरह गिरे संतरे के दाम
बांग्लादेश गवर्नमेंट के आयात शुल्क बढ़ाने के डिसीजन लेने के बाद संतरे की कीमतों पर इसका बड़ा असर पड़ा है. इसके दाम तेजी से नीचे गिरे हैं. एक्सपर्ट के मुताबिक, प्रति टन 10 से 12 हजार रुपये का नुकसान किसानों को रहा है. दो सप्ताह पहले 25,000 रुपये से 35,000 रुपये प्रति टन संतरा बिक रहा था. अब उसे रेट गिरकर 18 से 20,000 रुपये प्रति टन पहुंच गए हैं. पिछले कुछ सालों से संतरों के लिए महाराष्ट्र का विदर्भ बड़ा मार्केट बन गया था. यहां से हजारों टन संतरा बांग्लादेश भेजा जा रहा था. एक्सपोर्ट शुल्क कम होने के कारण किसानों को संतरे के सही दाम मिल जाते थे. लेकिन इस साल ऐसा नहीं हुआ है.
किसान संतरे फेंकने को मजंबूर
बांग्लादेश में आयात शुल्क भेजने के कारण संतरे बांग्लादेश नहीं जा पा रहे हैं. छोटे संतरों का तो खरीदार तक नहीं मिल रहा है. इसी कारण किसान छोटे संतरों को फेंकने पर मजबूर हो गए हैं. महाराष्ट्र के नागपरु और अमरावती जिले के संतरे विश्व मेें फेमस हैं. यहां से कई देशों के लिए संतरे भेजे जाते हैं. किसानों का कहना है कि विदर्भ क्षेत्र संतरों का प्रॉडक्शन हब है. संतरे की प्रोसेसिंग के लिए यदि विदर्भ क्षेत्र में यूनिट तैयार की जाए तो भारत में ही इनकी खपत शुरू हो जाएगी. संतरा बेचने के लिए किसानों की निर्भरता अन्य देशों पर नहीं रहेगी. किसानों को संतरे फेंकने नहीं पड़ेंगे.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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