Free Organic Certification: बीते कई दशकों में हमारी धरती ​केमिकल से जहरीली होती जा रही है. ​रासायनिक उर्वरक-कीटनाशकों के बढ़ते इस्तेमाल से ना सिर्फ खेती में, बल्कि लोगों की सेहत पर भी बुरा असर देखने को मिल रहा है. खेतों की की उपजाऊ शक्ति कम होती जा रही है, जिससे फसलों का उत्पादन बेहद कम हो गया है. यही वजह है कि अब किसानों को जैविक खेती (Organic Farming) की तरफ बढ़ने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने कई योजनाएं भी चलाई है, जिसके तहत ट्रेनिंग और आर्थिक मदद का भी प्रावधान है.


ऐसी ही एक योजना बिहार में भी चलाई जा रही है, जिसका नाम है जैविक ​कॉरिडोर योजना(Organic Corridor Scheme). राज्य के किसान इस योजना से जुड़कर प्रति एकड़ में जैविक खेती के लिए 11,500 रुपये की आर्थिक सहायता और अपने जैविक उत्पाद बेचने के लिए ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन भी ले सकते हैं. इस योजना का लाभ लेकर एक तरफ खेती की लागत को कम करने में मदद मिलेगी, वहीं ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन की तर्ज पर जैविक कृषि उत्पादों को भी अच्छे दाम पर बेचा जा सकेगा, जिससे कम लागत में किसानों को आमदनी भी बढ़ पाएगी. 


जैविक ​कॉरिडोर योजना
कृषि में जैविक उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए बिहार सरकार ने जैविक ​कॉरिडोर योजना चलाई है. इस स्कीम के तहत जैविक खेती करने के लिए राज्य के किसानों को 11500 रुपये तक का अनुदान दिया जाता है. जैविक ​कॉरिडोर योजना के नियमों के मुताबिक, कोई भी किसान अधिकतम 2.5 एकड़ में खेती के लिए अनुदान ले सकता है यानी कि जैविक खेती के जरिए फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए किसान 28,750 रुपये तक की आर्थिक सहायता का हकदार होता है. साथ ही, बिहार राज्य बीज एवं जैविक प्रमाणन एजेंसी (बसोका) की तरफ से नि:शुल्क जैविक प्रमाणीकरण का भी प्रावधान है.






इस किसानों को मिलेगा अनुदान
जानकारी के लिए बता दें कि जैविक ​कॉरिडोर योजना के तहत जैविक खेती करने के लिए हर किसान को अनुदान नहीं मिलता, बल्कि 25 सदस्यों वाले किसान उत्पादक संगठन (FPO/FPC) या 25 एकड़ में फैले क्लस्टर में शामिल किसानों को ही अनुदान और सर्टिफिकेशन दिया जाता है. बिहार के कृषि व किसान कल्याण विभाग के अनुसार, जैविक ​कॉरिडोर योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को क्लस्टर या किसान उत्पादक संगठन का सदस्य होना अनिवार्य है.


इस योजना के नियमानुसार, अनुदान के कुल 11,500 रुपये प्रति एकड़ की रकम से 6,500 रुपये का नेशनल प्रोग्राम ऑर आर्गेनिक प्रोडक्शन (NPOP) का प्रमाणित खाद और प्लास्टिक का ड्रम खरीदना होता है, जिसके बाद शेष बची 5,000 रुपये से वर्मी कंपोस्ट प्लांट भी लगाना होता है, ताकि जैविक खेती के लिए बाहर से खाद ना खरीदने पर खर्च न करना पड़े.


इन 13 जिलों में लागू है योजना
बिहार कृषि विभाग ने जल-जीवन हरियाली मिशन के तहत साल 2019 से ही जैविक कॉरिडोर योजना चलाई जा रही है. इस योजना के तहत जैविक खेती को बढ़ावा देने, किसानों की मदद करने, जैविक उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने के लिए सरकार से मदद दी जाती है. इसके लिए जुलाई 2021 में बिहार राज्य जैविक मिशन भी गठित हुआ.


इसके अलावा, जैविक कॉरिडोर योजना के जरिए 13 जिलों को कवर किया गया है. इनमें पटना, वैशाली, नालांदा, बक्सर, खगड़िया, मुंगेर, भागलपुर, कटिहार, समस्तीपुर शामिल है. आंकड़ों की मानें तो इस योजना के तहत अभी तक 186 किसान उत्पादक संगठन और क्लस्टर्स को ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन के लिए सी-2 सर्टिफिकेट्स दिए जा चुके हैं.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


यह भी पढ़ें- खेती से जुड़े बिजनेस के लिए नाबार्ड देता है 20 लाख का लोन, सरकार से भी मिल जाएगी 44% सब्सिडी