Organic Farming: कैदियों ने आर्गेनिक खेती उगाकर डीएपी खाद की छुट्टी कर दी, अब बाजार में बिकेगी जेल की सब्जी
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिला कारागार में बदीं आर्गेनिक खाद से खेती कर रहे हैं. जेल में बंदियों की आर्गेनिक सब्जी ही खिलाई जा रही हैं. जेल प्रशासन आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने की कवायद भी कर रहा है.
Organic Farming In Uttar Pradesh: जेल, अपराध करने वाला करने वालों का आखिरी ठिकाना होती हैं. हालांकि इनमें काफी बेकसूर भी फंस जाते हैं. जिन्हें कोर्ट सुनवाई और साक्ष्यों के आधार पर बाद में रिहा भी कर देती है. जेल में बंद काफी बंदी ऐसे होते हैं, जोकि अपने व्यवहार से जेल में अपनी अलग पहचान बना लेते हैं. जेल प्रशासन भी ऐसे बंदियों को प्रोत्साहित करता है. उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में बंदी ऐसा ही कमाल कर रहे हैं.
यूपी की गोरखपुर जेल में 17 एकड़ में बंदी कर रहे जैविक खेती
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश की गोरखपुर जेल में बंद बंदी ऐसा ही कमाल कर रहे हैं. उन्होंने जेल में मौजूद 17 एकड़ भूमि पर आर्गेनिक खेती शुरू कर दी है. जेल में जो भी कूड़ा करकट मौजूद होता है. बंदी उसी से जैविक खाद बना रहे हैं. बंदियों के जैविक खाद बनाए जाने से जेल प्रशासन भी खुश है.
डीएपी, यूरिया के उपयोग की हुई छुट्टी
जेल प्रशासन अभी तक खेती करने के लिए डीएपी और यूरिया का प्रयोग करता था. इसके लिए करीब 40 बोरी डीएपी और 40 बोरी ही यूरिया खरीदना होता था. लेकिन जब से बंदियों ने आर्गेनिक खाद से खेती शुरू की है. अब डीएपी और यूरिया खरीदने की कोई जरूरत जेल प्रशासन को नहीं पड़ रही है. इससे जेल प्रशासन का खर्चा बच गया है. जेल प्रशासन का कहना है कि पहले से डीएपी व यूरिया खरीद में कमी आई है. इस बार केवल 10-10 बोरी डीएीपी व यूरिया खरीदना पड़ा है. अगली बार इतनी भी जरूरत नहीं पड़ेगी.
बंदी भी खाएंगे जैविक खाद की सब्जियां
जेल के बंदी भी इन जैविक खाद से उपजी सब्जियों का सेवन कर सकेंगे. बताया गया है कि जेल की 17 एकड़ जमीन में आलू, बैगन, टमाटर, गोभी, पत्ता गोभी, मूली समेत अन्य सब्जियों की फसलों की उपजकी जा रही है. अब जेल प्रशासन कैमिकल फर्टिलाइजर के बजाय जैविक खाद का छिड़काव फसलों पर कर रहा है. जेल प्रशासन का कहना है कि जेल में पेड़ से पत्तियां गिरती हैं. इसके अलावा अन्य कूड़ा, कचरा, गोबर जमा हो जाता है. इसी से खाद तैयार किया जा रहा है. जैविक खाद बनाने में 45 बंदी लगे हुए हैं. खाद तैयार होने में 15 दिन का समय लग जाता है.
अब बाजार में बेचने की तैयारी
जिला कारागार में हर साल करीब तीन हजार क्विंटल आलू पैदा होता है. एक हजार क्विंटल आलू की खपत जेल में ही हो जाती है. 4 क्विंटल आलू को बीज के रूप में सुरक्षित रख लिया जाता है, जबकि शेष आलू की सप्लाई दूसरे जगह की जाती है. जेल प्रशासन जैविक खेती को बढ़ावा देने की दिशा में भी काम कर रहा है. यदि उपज अच्छी हुई तो बाजार में भी बंदियों की खेती बिक सकेगी. इसके अलावा जैविक खाद अधिक मात्रा में बनाया जाएगा. ताकि और अधिक फसलों की उपज पाई जा सकेगी.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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