Paddy Cultivation In Haryana: गिरता भूजल केंद्र और राज्य सरकार के लिए टेंशन का विषय बना हुआ है. भूजल को बढ़ाने और जहां चिंताजनक स्थिति बनी हुई हैं. वहां भूजल स्तर को नियंत्रित करने के लिए प्रत्येक राज्य सरकार के स्तर से कदम उठाए जा रहे हैं. गिरते भूजल स्तर को सुधारने, किसानों को अवेयर करने और पर्यावरण बचाने को लेकर हरियाणा सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. हरियाणा सरकार ने धान बुवाई के लिए ऐसी ही तकनीक अपनाने की सलाह दी है, जिससे गिरतना भूजल लेवल सुधरेगा और एनवायरमेेंट भी बचाने में भी कामयाबी मिलेगी.इसके लिए हरियाणा सरकार किसानों की आर्थिक तौर पर मदद भी करेगी.
डायरेक्ट सीडिंग तकनीक अपनाने की दी सलाह
हरियाणा सरकार का कहना है कि प्रदेश में गिरता भूजल संकट का विषय है. इस ओर सभी को सोचने की जरूरत है. इसके लिए धान की बुवाई डायरेक्ट सीडिंग तकनीक से करनी चाहिए. इस तकनीक से बुआई करने से भूजल को अधिक खतरा नहीं रहता है, वहीं, मिट्टी को उर्वरक बनाने मेें भी मदद मिल सकेगी.
4000 रुपये प्रति एकड़ मिलेगी सब्सिडी
राज्य सरकार ने किसानों को सब्सिडी का तोहफा भी दिया है. जो किसान डायरेक्ट सीडिंग तकनीक से बुवाई करेंगे. उन किसानों को 4000 रुपये प्रति एकड़ की सब्सिडी दी जाएगी. राज्य सरकार ने किसानों से अपील की है कि योजना का लाभ सभी किसान उठाने की कोशिश करें.
इस तरह काम करती है तकनीक
डायरेक्ट सीडिंग तकनीक को डीएसआर तकनीक कहा जाता है. इस तकनीक के तहत धान के बीजों को एक मशीन की मदद से बुअआई की जाती है. चावल की बिजाई और हर्बीसाइड का स्प्रे एक साथ करती है. पारंपरिक विधि मंे पहले धान के पौधों को किसान नर्सरी में उगाते हैं. फिर यहां से पौधे उखाड़ लिए जाते हैं और उन्हें निचली जमीन के खेत में उगा दिया जाता है. डीएसआर तकनीक से सिंचाई करने पर पानी की जरूरत बहुत कम रह जाती है. मेहनत कम लगती है और उपज भी 10 प्रतिशत तक बढ़ जाती है. पानी का बचाव बहुत अधिक होता है.
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