Crop Damage In Assam: देश के किसान कभी सूखा, कभी बाढ़ और कभी मूसलाधार बारिश के दंश से कराहते रहते हैं. आपदाओं के कारण किसानों की करोड़ों रुपये की फसल बर्बाद हो जाती है. पूर्वाेत्तर के राज्यों में अब नदियां ही किसानों के लिए परेशानी का सबब बन गई हैं. करीब 500 गांव में होने वाली फसल ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों के चलते में संकट में घिर गई हैं. किसानों को इनके चलते बहुत अधिक नुकसान भी हो रहा है.


फसल बर्बाद कर रहा रेत


असम के गांवों की फसल के लिए रेत संकट बना हुआ है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, असम के स्थानीय लोगों का कहना है कि ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियां से होने वाले नुकसान का आए दिन सामना करते रहते हैं. लेकिन अब यहां स्थिति खराब होने लगी है. बाढ़ के साथ जो पानी आता है. उसमें रेत अधिक आ रहा है. ऐसे में जमीन पर मिटटी नहीं दिखती, केवल रेत ही रेत दिखाई देता है. इस वजह से भूमि की उर्वरकों की क्षमता कम हो गई है. पैदावार घटने से किसान फसलों से मुंह मोढ़ रहे हैं. 


3830 हेक्टेयर भूमि पर नहीं हो सकती है धान खेती


मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, किसान विकास केंद्र (केवीके) के आंकड़ों में गंभीर स्थिति सामने आई है. धेमाजी जिले में कुल खेती योग्य भूमि 12,490 हेक्टेयर है, जबकि 10,430 हेक्टेयर भूमि ऐसी हैं, जहां पर पहले से ही खेती नहीं की जा सकती थी. उसे बंजर माना गया है. जबकि 3,830 हेक्टेयर भूमि ऐसी है, जो पहले खेती होती थी. लेकिन रेत जमने के कारण अब धान की खेती नहीं हो सकती. 


बाढ़ घरों को भी बहा कर ले गई


असम के जिले मेधिपामुआ और 500 से अधिक गांव बाढ़ से प्रभावित रहते हैं. ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियां अपने साथ रेत बहाकर ला रही हैं. यही रेत खेती के लिए गंभीर खतरा बना है. जिले में अधिकतर निवासी मिसिंग जनजाति के हैं. कुछ क्षेत्रों में नेपालियों के साथ हजोंग, बोडो और सोनोवाल जनजातियों के लोग भी रहते हैं. ये सभी लोग नदी किनारे रहते हैं. इस साल तीन बार बाढ़ आने से 100,000 से अधिक लोग प्रभावित हुए. सैंकड़ों घरों को बारिश बहाकर ले गई. 



Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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