Paddy Procurement In West Bengal: देश के अधिकांश राज्यों में धान खरीद हो चुकी है. बस ही कुछ ही राज्य हैं, जहां धान खरीद की कवायद चल रही है. उत्तर प्रदेश, बिहार में धान खरीद की स्थिति पहले से ही सुस्त बनी हुई थी. छतीसगढ़ में धान खरीद में तेजी दर्ज की गई है. अब धान खरीद को लेकर इस राज्य में किसानों की स्थिति ठीक नहीं है. यहां किसानों को मजबूरन सरकारी केंद्रों के बजाय निजी केंद्रों की ओर धान बेचने के लिए रुख करना पड़ रहा है. 


धान खरीद का लक्ष्य 55 लाख


देश में सरकारी केंद्रों पर धान खरीद का बुरा हाल पश्चिम बंगाल में है. यहां धान खरीद का लक्ष्य 52 लाख टन रखा गया था. तब राज्य सरकार 50 लाख टन धान खरीद सकी थी. यह कुल लक्ष्य का 97 प्रतिशत रहा. यदि आंकड़ों को देखें तो पिछले साल भी सरकार लक्ष्य हासिल नहीं कर पाई थी. इस बार पश्चिम बंगाल सरकार ने धान खरीद का लक्ष्य 55 लाख टन तय किया है.


अभी तक हुई 26 लाख टन खरीद


यदि आंकड़ों को देखें तो राज्य सरकार इस साल 55 लाख टन धान खरीद करना चाहती है. लेकिन ग्राउंड लेवल पर सरकारी केंद्रों में धान खरीद का बुरा हाल है. यहां महज 26 लाख टन धान खरीद हो सकती है. अगर प्रतिशत के लिहाज से आंकड़ें देखें तो यह लक्ष्य के सापेक्ष खरीद का 47 प्रतिशत है.


क्यों नहीं बढ़ रही धान खरीद?


मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी केंद्रों में धान खरीद न बढ़ने के पीछे वजह भी है. दरअसल, पश्चिम बंगाल में धान की MSP वेल्यू 2060 रुपये प्रति क्विंटल है. जबकि खुले बाजार में धान 1950 से 1960 रुपये के हिसाब से बिक रहा है. एमएसपी और ओपन मार्केट में धान की दरों में अधिक अंतर न होने के कारण किसान निजी केंद्रो पर ही उपज बेचना पसंद कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि राज्य सरकार को सरकारी केंद्रों पर धान खरीद बढ़ाने के लिए कदम उठाने चाहिए.



Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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