Stubble Burning in Punjab: उत्तर भारत में ना तो प्रदूषण थमने का नाम ले रहा है और ना ही पराली जलाने की घटनायें. सबसे ज्यादा मामले अब पंजाब से ही सामने आ रहे हैं. हाल ही में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने दावा किया है कि पंजाब में पराली जलाने के मामले 16 फीसदी तक बढ़ गये हैं. अकेले 5 नवंबर को राज्य में कुल 2,817 मामले दर्ज हुये है. इससे पहले केंद्र सरकार ने किसानों से पूसा बायो-डिकंपोजर का छिड़काव और मशीनों की मदद से पराली प्रबंधन (Stubble Management) करने की अपील की थी. सरकार के प्रोत्साहन, तमाम जागरूकता अभियान और आर्थिक सहायता के बावजूद धान के प्रमुख उत्पादक राज्य पंजाब में पराली जलाने की घटनायें कम नहीं हो रहीं.
दिल्ली में दर्ज हुए 9 मामले
5 नवंबर तक के आंकड़े बताते हैं कि पराली जलाने की घटनायें (Stubble Burning Cases) सिर्फ पंजाब में ही नहीं, बल्कि दिल्ली में बढ़ गई है. यहां राज्य सरकार की तरफ से मुफ्त में पूसा डी-कंपोसर (Pusa Bio-Decomposer) का छिड़काव किया जा रहा है. इसके बावजूद दिल्ली से पराली जलाने के 9 मामले दर्ज हुए है. राजधानी दिल्ली समेत कई बड़े शहरों में बढ़ते प्रदूषण (Air Pollution) के लिए सिर्फ पंजाब की पराली जिम्मेदार नहीं है, बल्कि खुद दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा और कुछ मामले उत्तर प्रदेश से भी सामने आये हैं.
आईसीएआर ने किया खुलासा
भारत में साल 2022 में पराली जलाने की घटनाओं को लेकर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR on Stubble Burning) ने ताजा आंकड़े जारी किये हैं. आईसीएआर ने बताया है कि 5 नवंबर को मध्य प्रदेश में पराली जलाने की 319 घटनायें, राजस्थान में 91, हरियाणा में 90, उत्तर प्रदेश में 24 मामले की सूचना है, जबकि दिल्ली में भी 9 मामले दर्ज किये गये हैं. धान की कटाई के बाद 15 सिंतबर से लेकर 5 नवंबर तक अकेले पंजाब में पराली जलाने के कुल 29,400 मामले दर्ज हुए हैं. वहीं हरियाणा में कुल 2,530, मध्य प्रदेश में कुल 2,246, उत्तर प्रदेश में कुल 927, राजस्थान में कुल 587 और दिल्ली में की कुल 9 मामले पराली जलाने के हैं.
पराली से बढ़ रहा वायु प्रदूषण
उत्तर भारत में पराली जलाने की घटनायें सबसे ज्यादा चर्चा में बनी रहती है. इसके कारण राजधानी दिल्ली (Delhi Pollution) से लेकर नोएडा, गुरूग्राम, चंड़ीगढ़ जैसे कई बड़े शहरों में भयंकर प्रदूषण होता है. हालिया रिपोर्ट्स की मानें तो कई इलाकों में पराली से बढ़ते प्रदूषण के कारण लोगों की सेहत बिगड़ती जा रही है. इसका सबसे बुरा असर हार्ट पेशेंट और सांस के मरीजों को होता है.
वहीं इस प्रदूषण से आंखों और त्वचा संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है. पराली जलाने की घटनाओं को लेकर राज्य सरकारें लगातार किसानों को जागरूक कर रही है. पिछले सप्ताह ही कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने भी किसानों से पराली ना जलाने का अनुरोध किया. इसके बावजूद पराली जलाने के मामलों में बढ़ना चिंताजनक है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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