Padma Shri Farmer: कृषि प्रधान इस देश में जहां खेती-बाड़ी किसानों के जीवन की धुरी है तो वहीं भारत की अर्थव्यवस्था की बुनियाद भी है.खेती अब महज खेती नहीं रह गई, बल्कि नवाचारों को अपनाकर किसानों ने खेती की दुनिया को ही बदल दिया है. कुछ किसानों ने पारंपरिक खेती और देसी बीजों का नारा बुलंद करके देश भर में नाम कमाया है तो कुछ किसान नई तकनीकों के दम पर सफलता की इबारत लिख रहे हैं. ऐसे ही नवाचारों को सरकार भीड़ में से भी ढूंढ निकालती है, जो बाकी किसानों के लिए इंसपिरेशन बनते हैं. इस साल भी कृषि क्षेत्र में अपने विचारों से बदलाव लाने वाले किसानों को सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया है. इन किसानों में सिक्कम के 98 वर्षीय किसान तुला राम उप्रेती, उड़ीसा के पटायत साहू, केरल के चेरुवयल रामन और हिमाचल प्रदेश के नेकराम शर्मा भी शामिल हैं.
हिमाचल प्रदेश के नेकराम शर्मा
हिमाचल प्रदेश के नेकराम शर्मा को देशी अनाजों का रक्षक माना जाता है, जो पिछले 30 सालों से 40 अनोखी प्रजातियों का संरक्षण कर रहे हैं. नेकराम शरर्मा ने 'नौ अनाज' पारंपरिक फसल प्रणाली को दोबारा जीवित किया है.
आज के आधुनिक दौर में जहां नई तकनीकों और हाइब्रिड बीजों से किसान फसलों का उत्पादन बढ़ाने पर फोकस करते हैं. वहीं नेकराम शर्मा से प्रकृति के संरक्षण के लिए पारंपरिक खेती और देसी बीजों का नारा बुलंद किया है.
उड़ीसा के पटायत साहू
कोरोना महामारी के बाद से ही औषधियों की उपयोगिा बढ़ गई है. ये कोई नया मॉडल नहीं है, बल्कि भारत तो हमेशा से ही आयुर्वेद का प्रणेता रहा है. यहां युगों-युगों से औषधियों का उत्पादन, उपभोग और निर्यात होता आया है.
कुछ किसान कई दशकों से औषधी उत्पादन में के काम जुटे हैं और खेती के नए विकल्प को अपना रहे हैं. इन्हीं किसानों में शामिल हैं उड़ीसा के पटायत साहू, जिनकी तारीफ खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है.
पटायत साहू ने मात्र डेढ़ एकड़ जमीन से 3,000 से अधिक औषधियों का उत्पादन लिया ही है, अपने इस अनुभव को साझा करते हुए लेख भी प्रकाशित करवाए हैं. आपको बता दें कि पटायत साहू बिनी किसी कैमिकल के ही औषधियां उगाते हैं.
केरल के चेरुवयल रामन
भारत ने आज दुनिया के दूसरे बड़े धान उत्पादन के तौर पर पहचान बना ली है. देश में आज बेशक धान की उन्नत हाइब्रिड किस्में प्रचलन में आ गई हों, लेकिन कई सदियों से धान की औषधीय, जलवायु परिवर्तन के लिए प्रतिरोधी और खास देसी किस्में पहले से ही मौजूद हैं.
इनमें से कई विलु्प्ति की कगार पर हैं. केरल के चेरुवयल रामन ने सालों से धान की देसी प्रजातियों के संरक्षण का जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली है. आज उन्होंने धान की 54 प्रजातियों का संरक्षण किया है. अपना पूरा जीवन खेती और देसी बीजों के संरक्षण को समर्पित कर दिया है.
सिक्किम के तुला राम उप्रेती
आज सिक्किम पूरी दुनिया में ऑर्गेनिक स्टेट बनकर उभरा है. सिक्किम के ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स देश-विदेश में अपनी खास पहचान बना चुके हैं. इसका पूरा श्रेय सिक्कम के किसानों को जाता है, जो जैविक खेती के जरिए पर्यावरण और स्वास्थ्य सुरक्षा में अहम रोल अदा कर रहे हैं.
सिक्किम के 98 वर्षीय तुला राम उप्रेती भी उन्हीं किसानों में शामिल हैं, जिन्होंने बचपन से लेकर अब तक का अपना पूरा जीवन जैविक खेती को समर्पित कर दिया. दूसरे किसानों को भी जैविक खेती-प्राकृतिक खेती के गुर सिखाए.
तुला राम उप्रेती ने आजीवन पारंपरिक तरीकों के जरिए जैविक खेती और खेती में नाम कमाया. आज के इस दौर में जहां किसान जैविक खेती करने से कतराते हैं, वहां तुला राम उप्रेती जैसे किसान प्रेरणास्रोत हैं.
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