Papaya Production: धान, गेहूं और अन्य फसलों को बोकर किसान कमाई करते हैं. आलू, टमाटर, बैंगन, भिंडी, लोकी, तोरई आदि भी ऐसी ही फसलें हैं. इनकी बुआई कर किसान ठीक ठाक मुनाफा कमा लेते हैं. लेकिन बागवानी की कई फसलें ऐसी हैं, जिन्हें उत्पादन कर किसान सालाना लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं. पपीते की खेती भी इसी कैटेगरी में आती है. किसान पपीते की बुवाई कर 4 से 6 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर आसानी से कमा सकते हैं. बहुत सारे किसान बार बार फसल बोकर बोरियत महसूस करने लगते हैं. ऐसे में लीक से हटकर किसान पपीते की खेती पर काम कर सकते हैं. 


इस तरह करें पपीते के बीज की बुआई


पपीते को नगदी फसल के तौर पर देखा जाता है. यह फसल उष्ण कटिबंधीय है. इसकी अलग प्रजातियां मौजूद हैं, जिन्हेें जून-जुलाई से लेकर अक्टूबर-नवंबर यहां तक फरवरी-मार्च में भी बोया जाता है. पपीते की खेती करते समय पानी की सप्लाई का ध्यान रखें. पानी की कमी होने पर पपीते का पौधा मुरझा सकता है. लेकिन इस बात का भी ध्यान रखें कि उस जगह भी पपीते की खेती नहीं होनी चाहिए. जहां पानी जमा हो रहा है. बीज की बुआई की बात करें तो इसे एक सेंटीमीटर की गहराई पर बीज की बुआई होनी चाहिए. पपीते की अच्छी उपज पाने के लिए 20 डिग्री सेल्सियस से 30 डिग्री सेल्सियस तक तापमान होना चाहिए. नाइट्रोजन, फोस्फोरस और पोटाश और देशी खादों को डालकर 20 सेंटीमीटर की ऊंचाई का तैयार पौधा इनमें रोपना चाहिए. बीजों का चुनाव करते वक्त एक्सपर्ट की राय लें. 


इतनी दूरी पर बीजों को लगाएं


पपीते की खेती करते समय बीजों के बीच निश्चित दूरी होनी चाहिए. एग्रीकल्चर एक्सपर्ट 1.8 मीटर इसे सही मानते हैं. जबकि इसे थोड़ा और सघन किया जा सकता है. 1.25 मीटर की दूरी पर भी पपीते की खेती की जा सकती है. 1.8 मीटर की दूरी पर लगाने पर 1 लाख रुपये तक का खर्चा आता है. जबकि सघन खेती करने पर लागत दो गुनी हो जाती है. हालांकि कमाई भी 4 से 6 लाख प्रति हेक्टेयर की जा सकती है. 


कीटनाशकों का इस्तेमाल करें


पपीते की फसल को बचाने के लिए कीटनाशकों का प्रयोग करना चाहिए. विशेषज्ञों का कहना है कि पपीते की पैदावार सबसे अच्छी बलुई दोमट मिट्टी में होती है. अन्य फसलों की तरह पपीते के पौधे को भी रोग लग जाता है. हाल में पपीते की फसल मेें फंगल वायरल अटैक होने से बर्बाद हो गई थी. पपीते में आमतौर पर एफीड व सफेद मक्खी से फैलने वाला रोग लगता है. यह रिंग स्पॉट रोग और पर्ण संकुचन रोग कहा जाता है. इससे बचाव के लिए डाइमथोएट के घोल का छिड़काव विशेषज्ञों की राय अनुसार करना चाहिए. 


साथ में अन्य फसलों की बुआई कर सकते हैं


जब पपीता बोया जाता है. उसके बीच स्पेस काफी होता है. इस सपेस मेें छोटे आकार के सब्जी वाले पौधों की बुआई की जा सकती है. प्याज, पालक, मेथी, मटर, बीन अन्य फसलों की खेती पपीते के साथ की जा सकती है. इससे किसानों की इनकम डबल हो जाएगी. पपीते की खेती एक साल में पककर तैयार हो जाती है. विशेषज्ञों का कहना है कि एक बार फसल लेने के बाद 3 साल तक पपीते की खेती उसी खेत में नहीं करनी चाहिए. पपीते का आकार कुछ छोटा होने लगता है. रेड लेडी पपीता(Red Lady Papaya) को ऐसी ही खेती के तौर पर देखा जाता है. जिनसे किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.



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