पपीता एक ऐसा फल है जो भारत में बारह महीने बिकता है. पपीते की खेती सबसे ज्यादा आंध्र प्रदेश में की जाती है. यहां की जलवायु और मिट्टी पपीते के लिए एक दम बेस्ट होती है. पपीता मार्केट में 30 से 40 रुपये प्रति किलो के भाव में मिल जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं पपीते की खेती करके आप भी मालामाल हो सकते हैं. जी हां एक्सपर्ट्स का कहना है कि पपीते की खेती आपके लिए फायदे का सौदा साबित हो सकती है.
धान, गेहूं और अन्य फसलों को बोकर किसान कमाई करते हैं. आलू, टमाटर, बैंगन, भिंडी, लौकी, तोरई आदि भी ऐसी ही फसलें हैं. इनकी बुआई कर किसान ठीक ठाक मुनाफा कमा लेते हैं. लेकिन बागवानी की कई फसलें ऐसी हैं, जिन्हें उत्पादन कर किसान सालाना लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं. पपीते की खेती भी इसी कैटेगरी में आती है. किसान पपीते की बुवाई कर 4 से 6 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर आसानी से कमा सकते हैं.
ऐसे करें बुवाई
पपीते को नगदी फसल के तौर पर देखा जाता है. यह फसल उष्णकटिबंधीय है. इसकी अलग प्रजातियां मौजूद हैं, जिन्हें जून-जुलाई से लेकर अक्टूबर-नवंबर यहां तक फरवरी-मार्च में भी बोया जाता है. पपीते की खेती करते समय पानी की सप्लाई का ध्यान रखें. पानी की कमी होने पर पपीते का पौधा मुरझा सकता है. लेकिन इस बात का भी ध्यान रखें कि उस जगह भी पपीते की खेती नहीं होनी चाहिए. जहां पानी जमा हो रहा है. बीज की बुआई की बात करें तो इसे एक सेंटीमीटर की गहराई पर बीज की बुआई होनी चाहिए. पपीते की अच्छी उपज पाने के लिए 20 डिग्री सेल्सियस से 30 डिग्री सेल्सियस तक तापमान होना चाहिए.
ऐसे होगा डबल मुनाफा
जब पपीता बोया जाता है. उसके बीच स्पेस काफी होता है. इस स्पेस में छोटे आकार के सब्जी वाले पौधों की बुआई की जा सकती है. प्याज, पालक, मेथी, मटर, बीन अन्य फसलों की खेती पपीते के साथ की जा सकती है. इससे किसानों की इनकम डबल हो जाएगी. पपीते की खेती एक साल में पककर तैयार हो जाती है. विशेषज्ञों का कहना है कि एक बार फसल लेने के बाद 3 साल तक पपीते की खेती उसी खेत में नहीं करनी चाहिए. इससे पपीते का आकार छोटा होने लगता है
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