Indigenous Hydroponics: आज आधुनिकता के दौर में हर काम तकनीक और मशीनों पर निर्भर होता जा रहा है. इससे खर्च कम होता ही है, समय और श्रम की भी बचत होती है. वैसे तो खेती में कई तकनीकें उत्पादन बढ़ाने में मददगार साबित हो रही हैं, लेकिन देश में बिना मिट्टी की खेती यानी सॉइल लैस फार्मिंग ने नई क्रांति ला दी है.


हम बात कर रहे हैं हाइड्रोपॉनिक खेती के बारे में, जिसने खाद-मिट्टी के बिना ही बागवानी फसलों का उत्पादन बढ़ाने में अहम रोल अदा किया है. बता दें कि हाइड्रोपॉनिक खेती में सिर्फ पानी और पोषक तत्वों से ही फल-सब्जी उगाई जाती है. अब देश में जल्द हाइड्रोपॉनिक तकनीक से खेती करना और भी आसान हो जाएगा. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय को भारत में स्वदेशी हाइब्रिड हाइड्रोपॉनिक तकनीक विकसित करने का पेटेंट मिल गया है.


पीएयू को मिला पेटेंट


देश में धीरे-धीरे हाइड्रोपॉनिक खेती का चलन बढ़ता जा रहा है. इस पर कई इंस्टीट्यूट रिसर्च भी कर रहे हैं, लेकिन अब पंजाब कृषि विश्वविद्यालय को हाइड्रोपॉनिक का देसी अवतार विकसित करने का पेटेंट मिल गया है. इस मामले में भारत सरकार के पेटेंट ऑफिस ने बताया कि पीएयू को देश में हाइड्रोपॉनिक्स के लिए पानी और पोषक तत्वों की रि-सर्कुलेशन प्रणाली को विकसित करने कै पेटेंट प्रदान किया गया है.


बढ़ाएगी छत पर बागवानी की क्षमता


जानकारी के लिए बता दें कि पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में यह रिसर्च काफी समय से चल रही थी, जिसका संचालन मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के हेड और प्रोफेसर डॉ.वी.पी. सेठी कर रहे थे. इस रिसर्च में एक पॉट आधारित हाइब्रिड हाइड्रोपॉनिक तकनीक को पौधों के बेहतर विकास, अधिक पानी और पोषक तत्वों की बचत और पौधों के विकास के लिए डिजाइन किया गया था. इसे विकसित करने के बाद ट्रायल्स सफल रहे. रिसर्च के मुताबिक, इस ऑटोमैटिक मॉडल से ग्रीनहाउस के अंदर बचत के साथ-साथ अच्छी उपज लेने में भी मदद मिलेगी. ये तकनीक शहरों में छत पर बागवानी (Rooftop Gardening) में क्रांति ला देगी.


इस तरह करेगी काम


जाहिर है कि हाइड्रोपॉनिक ढांचे में सिर्फ पानी और पोषक तत्वों के प्रवाह से ही बागवानी फसलों का अच्छा उत्पादन मिल जाता है. इन दिनों शहरों में टेरेस गार्डनिंग का चलन बढ़ता जा रहा है. लोग घर की छत पर बाग-बगीचा बनाकर ही अब गार्डनिंग करने लगे हैं. ऐसे में स्वदेशी हाइड्रोपॉनिक मॉडल से बिना धूल-मिट्टी के गार्डनिंग करने में मदद मिलेगी. इससे खर्च तो कम होगा ही, किचन की जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ लोग अच्छा पैसा भी कमा पाएंगे.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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