(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Dairy Farming: दूध बढ़ाने के लिए पशुओं को खिलाएं कैक्टस प्लांट का ये हिस्सा, अगले दिन से ही मिलेंगे शानदार रिजल्ट
Pear Cactus Cultivation: सूखी, भारी और रेतीली मिट्टी के अलावा खेती के लिए अभिशाप बनी खारी नमक वाली जमीन भी कैक्टस नाशपाती का बंपर उत्पादन दे सकती है.
Pear Cactus Farming: भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुपालन (Animal Husbandry) और डेयरी फार्मिंग (Dairy Farming)का अहम योगदान है. बता दें कि अमेरिका के बाद दूध उत्पादन (Milk Production) के क्षेत्र में भारत का दूसरा स्थान है. यहां 53 करोड़ से ज्यादा दुधारू पशु (Milch Animal Care) है, जिनके लिए समय पर चारे का इंतजाम करना बेहद ही चुनौतीपूर्ण काम हो जाता है. ऐसी स्थिति में कैक्टस नाशपाती की खेती (Cactus Pear Farming) करके कम लागत में पशु चारे का इंतजाम कर सकते हैं.
बता दें कि कैक्टस नाशपाती (Cactus Pear) से ना सिर्फ पशुओं की सेहत अच्छी रहती है, बल्कि उनसे बेहतर क्वालिटी का अधिक मात्रा में दूध उत्पादन भी दे सकते हैं. कैक्टस नाशपाती की खेती करना बेहद आसान है. किसान चाहें तो इसे खेत की मेड़ों पर भी लगा सकते हैं. इससे फसलों की जंगली जानवरों से सुरक्षा भी होती रहेगी और पशुओं के लिए ताजा कैक्टस नाशपाती चारा भी तैयार हो जाएगा.
कैक्टस नाशपाती के लिए जलवायु
देश में पशुधन की बढ़ती संख्या और पशु चारे के संकट के दौर में कृषि वैज्ञानिक भी कैक्टस नाशपाती की खेती करने की सलाह देते हैं. वैसे तो यह रेगिस्तानी पौधा (Desert Fruit Cactus Pear) है, लेकिन गर्म और बंजर जमीन पर भी इसकी खेती हो सकती है. यह कैक्टस प्रजाति का ही पौधा है, जो बेहद कम पानी यानी सिंचाई में भी ठीक तरह से विकसित हो जाता है. करीब 5 से 7 मीटर तक विकास होने पर इसकी कटाई कर ली जाती है. कम पानी और गर्म क्षेत्र में उगने वाला यह चारा पशुओं को पानी की कमी और गर्मी से बचाता है.
कैक्टस नाशपाती के लिए मिट्टी
सबसे अच्छी बात यह है कि कैक्टस नाशपाती को बंजर जमीन पर भी उगा सकते हैं. ऐसी जमीन जो किसी काम की नहीं होती, वह पशुओं के लिए कैक्टस चारा उगाने में काम आ सकती है. वैसे तो इसकी खेती ऊतक संवर्धन विधि से की जाती है, लेकिन छोटे स्तर पर इसकी बुवाई के लिये कंदों का इस्तेमाल कर सकते है. बता दें कि सूखी, भारी और रेतीली मिट्टी के अलावा खेती के लिए अभिशाप बनी खारी नमक वाली जमीन भी कैक्टस नाशपाती का बंपर उत्पादन दे सकती है.
कैक्टस का उत्पादन
कैक्टस नाशपाती की फसल बुवाई के पांच से छह महीनों के अंदर तैयार हो जाती है. यह पौधा जब 1 मीटर तक ऊंचा हो जाए, तब भी इसकी कटाई कर सकते हैं. ध्यान रखें दुधारू पशु सीधा इसको ना खाएं, क्योंकि इसके ऊपर काफी कांटे लगे होते हैं, इसीलिए ठीक प्रकार कटाई और साफ-सफाई के बाद ही से पशुओं को खिलाना चाहिए. किसान चाहें तो गेहूं चना या अन्य सूखे भूसे के साथ कैक्टस नाशपाती मिलाकर भी पशुओं को पोषण से भरपूर पशु आहार खिला सकते हैं.
पशुओं के लिए वरदान
कैक्टस नाशपाती (Cactus Pear) में क्रासुलासिन से नामक एसिड, प्रोटीन, फाइबर, फॉस्फोरस, पोटेशियम, मैग्नीशियम, सोडियम, जिंक, तांबा और लौह तत्व पाए जाते हैं, जिससे पशुओं का पाचन तंत्र (Animal Health) बेहतर बना रहता है. यही कारण है कि जुगाली करने वाले पशुओं का यह मनपसंद पशु आहार (Green Fodder) है. ध्यान रखें कि पशुओं को नाशपाती कैक्टस खिलाने के लिए सीधा खेतों में ना छोड़े, बल्कि ठीक प्रकार से साफ सफाई करके भी पशुओं (Animal Fodder) को खिलाएं.
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