Yellow Mosaic Disease in Kharif Crop: कई किसानों ने खरीफ फसलों (Kharif Crop) की बुवाई का काम जून में ही पूरा कर लिया था. इस लिहाज से ज्यादातर फसलों में अच्छी बढ़वार हो चुकी है और किसान तेजी से प्रबंधन कार्यों (Crop Management) में जुटे हुये हैं. बारिश का पानी फसलों पर गिरने से जहां किसानों को राहत मिली है, तो वहीं ज्यादातर दलहनी, तिलहनी और सब्जी फसलों में पीला मोजेक रोग (Yellow Mosaic Disease) का खतरा मडंरा रहा है.


लगातार बारिश होने पर इस बीमारी का खतरा नहीं बढ़ता, लेकिन 3-4 के अंतराल पर बारिश होने के कारण पीला मोजेक रोग बढ़ जाता है, जिसके कारण पूरी फसल सफेद मक्खियों (White Flies Control)से भी भर जाती है. ये अकेला ऐसा फसल रोग है, जो अपने साथ कई समस्यायें साथ लेकर आता है. ऐसे में जरूरी है कि समय रहते इसके प्रबंधन के कार्य कर लिये जाये, जिससे फसलों का कोई नुकसान न पहुंचे.


पीला मोजेक रोग के लक्षण (Symptoms of Yellow Mosaic Disease in Crop)
मौसम में लगातार ऊमस, ठंडक और आर्द्रता के कारण पीला मोजेक रोग तेजी से फैलता है. यह रोग फसल की बढ़वार को रोककर उपज की क्वालिटी खराब कर सकते हैं.




  • पीला मौजेक रोग लगने पर फसल की पत्तियां पीली पड़ जाती है.

  • इसके प्रकोप के कारण पत्तियां खुरदुरी हो जाती है और उन पर सलवटें पड़ने लगती हैं.

  • पीला मोजेक रोग के कारण रोगी पौधे नरम पड़कर सिकुड़ने लग जाते हैं.

  • इस दौरान फसल की पत्तियां गहरा हरा रंग ले लेती हैं और पत्तियों पर भूरे और सलेटी रंग के धब्बे भी पड़ने लगते हैं.

  • फसल में अचानक सफेद मक्खी पनपने लगती है और पत्तियों पर बैठकर फसल की क्वालिटी को खराब करती हैं.

  • ये समस्या फसल की शुरुआती अवस्था में ही दिखाई पड़ने लगते हैं, इसलिये फसल की निगरानी करके इन लक्षणों को पहचानें और समय रहते रोकथाम के उपाय कर लेने चाहिये.


इस तरह करें पीला मोजेक रोग की रोकथाम (Management Work for Yellow Mosaic disease)
पीला मोजेक रोग को फसल के लिहाज से बहुत बड़ा खतरा मानते है, जिसमें रहते रोकथाम के उपाय करना बेहतर रहता है.




  • खेत में पीला मोजेक रोग के लक्षण दिखने पर रोगग्रस्त पौधों को उखाड़कर खेत के बाहर जला देना चाहिये.

  • बता दें कि ये बीमारी एक खेत से दूसरे खेत में हवा और पानी के जरिये फैलती है, इसलिये समय रहते दवाओं का छिड़काव करें.

  • इस रोग के लक्षण दिखते ही फसल में ड़ाइमेथोएट एवं मेटासिस्टोक्स की 500-600 मि.ली. मात्रा को इतने ही पानी घोलकर फसल पर छिड़काव करें.

  • किसान चाहें तो थायोमेथोक्साम दवा की 100 ग्राम मात्रा को 500-600 लीटर पानी में घोलकर भी फसल पर छिड़काव कर सकते हैं.

  • पीला मोजेक के लक्षण दिखने पर इन दवाओं को छिड़काव (Pesticide Spray)हर 15 दिन के अंतराल पर करते रहें.

  • फसल में बीमारियों का खतरा रोकने के लिये बीजों की उन्नत और रोग रोधी किस्मों (Advanced Variety Seeds) से ही बुवाई करनी चाहिये.

  • इस बीमारी की संभावनाओं को कम करने के लिये फसल में नीम की खली (Neem Nutrition in Crop)डालकर जुताई का काम करना चाहिये.

  • रासायनिक कीट नाशकों (Chemical Pesticides) की जगह नीम से बने प्राकृतिक कीट नाशक (Natural Pesticides) का छिड़काव करते रहना चाहिये.

  • फसल में जीवामृत (Jeevamrit) डालने पर भी कीड़े और बीमारियों को पनपने से रोका जा सकता है.

  • पीला मोजेक रोग की समस्या और इसकी रोकथाम से संबंधित अधिक जानकारी के लिये कृषि विशेषज्ञों से सलाह मशवरा जरूर करें.



Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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