Plant Based Meat: इन पौधों से बनता है प्लांट बेस्ड मीट...बाजार में बढ़ रही डिमांड, किसानों के लिए मुनाफा कमाने का मौका!
दुनियाभर में लोग शाकाहार अपना रहे है. मांसाहारी लोगों के लिए एक दम मीट छोड़ना ना मुमकिन होता है, इसलिए अब प्लांट बेस्ड मीट बाजार में उतारा गया है. इस सेक्टर का बिजनेस किसानों के लिए मुनाफे का सौदा है
Plant Based Meat products: आज खान-पान की दुनिया में एक नया टर्म लोगों के बीच मशहूर हो रहा है और ये है प्लांट बेस्ड मीट यानी पौधों से मिलने वाला मांस. ये फूड शाकाहारी होता है, लेकिन इसकी खुशबू, रंग और बनावट मांस जैसी होती है. कई लोग हेल्थ रीजन से मांसाहार छोड़ना चाहते हैं, ये प्लांट बेस्ड मीट लोगों के इसी काम को आसान बना देता है. बता दें कि प्लांट बेस्ट मीट पूरी तरह से शाकाहार है, इसमें आर्टिफियल कलर्स और एडिड प्रिजर्वेटिव डाले जाते हैं, जिससे ये मांस जैसा महसूस होता है. ये प्लांट बेस्ड मीट सब्जी और अनाजों से बनाया जाता है.
देश ही नहीं, विदेशी बाजारों में तेजी से प्लांट बेस्ड मीट की मांग बढ़ रही है और लोग इसे काफी पसंद कर रहे हैं. टाटा और आईटीसी जैसी बड़ी एमएनसी कंपनियों ने भी अब प्लांट बेस्ड मीट प्रोडक्ट बाजार में उतार दिए हैं और इससे करोड़ों कमा रहे हैं. आज एग्री बिजनेस के दौर में किसान भी चाहें तो खेती के साथ-साथ प्लांट बेस्ड मीट का बिजनेस कर सकते हैं.
किन चीजों से बनता है प्लांट बेस्ड मीट
बड़े-बड़े हाइव स्टार होटल, कैफे, रेस्त्रां में प्लांट बेस्ड मीट का चलन बढ़ रहा है. भारत में कई सेलेब्रिटी भी प्लांट बेस्ड मीट को प्रमोट कर रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक, साल 2030 तक प्लांट बेस्ड मीट का बिजनेस एक अरब डॉलर पहुंच जाएगा.
अरबों का ये कारोबार पूरी तरह से किसानों से ही जुड़ा है. अब आप सोच रहे होंगे कि ये किन पौधों से बनाया जाता है तो आपको बता दें कि प्लांट बेस्ड मीट को पौधों से मिलने वाले फूड जैसे फलियां, दाल, किनोवा, नारियल का तेल, गेहूं के ग्लूटन या सीतान, सोयाबीन, मटर, चुकंदर के रस के अर्क से तैयार कर रहे हैं.
इसमें पशुओं के दूध के बजाए ओट्स और बादाम के दूध का भी इस्तेमाल होता है. इसमें लगने वाले किसी भी उत्पाद से पशुओं की हिंसा नहीं होती, बल्कि ये पौधे और वनस्पतियों से तैयार होते हैं.
प्लांट बेस्ड मीट के हेल्थ बेनिफिट
किसी भी जानवर या पक्षी के मांस में कैलोरी, सैचुरेटेड और कोलेस्ट्रॉल काफी ज्यादा होता है, जबकि प्लांट बेस्ड मीट में ये चीजें ना के बराबर होती है. प्लांट बेस्ड मीट फाइबर और हेल्दी प्रोटीन से भरपूर होता है.
मांसाहार की जगह प्लांट बेस्ड मीट का सेवन करने से हाई बीपी, मोटापा, कैंसर और लॉन्ग टर्म क्रॉनिक डिजीज की संभावना कम हो जाती है. ये फूड हार्ड डिजीज और डायबिटीज का खतरा भी कम करते हैं. प्लांट बेस्ड मीट पूरी तरह से इको फ्रेंडली है.
इससे कैंसर, आंत और पाचन से जुड़े रोगों का खतरा भी दूर हो जाता है. हालांकि कुछ न्यूट्रिएंट सिर्फ जानवरों के मांस से ही मिलते हैं, इसलिए इसे प्रतियोगी उत्पाद नहीं कहा जा सकता, लेकिन मांसाहार छोड़ने वालों के लिए यह बेस्ट ऑप्शन है.
किसानों के लिए कैसे फायदेमंद
यदि किसान भी खेती के साथ कुछ नया करना चाहते हैं तो प्लांट बेस्ड फूड बिजनेस के सेक्टर में कदम रख सकते हैं. अपने खेत से या दूसरे किसानों से बेस्ट क्वालिटी का ऑर्गेनिक रॉ-मटेरियल लेकर खुद की प्रोसेसिंग यूनिट की शुरुआत कर सकते हैं.
भारत सरकार भी एग्री बिजनेस और एग्री स्टार्ट अप स्कीम के जरिए इस तरह के फूड बिजनेस को प्रमोट कर रही है. हालांकि ये फूड बिजनेस है, इसलिए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) से लाइसेंस लेना होगा. ऐसे बिजनेस के लिए सरकार लोन, सब्सिडी और अनुदान भी देती है. अधिक जानकारी के लिए अपने जिले के कृषि विभाग या खाद्य विभाग से संपर्क कर सकते हैं.
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