ICAR Research: पौधा लगाने के तीन साल बाद ही नींबू की फसल हो जाएगी शुरू, नई प्रजाति बढ़ा देगी किसानों का मुनाफा
ऐसी नई प्रजाति विकसित की गई है जिसमें तीसरे साल में ही नींबू पककर आप की टोकरी में आ जाएगा.
Lemon Farming: नींबू खाने के शौकीनों के लिए अच्छी खबर है. एक ऐसी नई प्रजाति विकसित की गई है जिसमें तीसरे साल में ही नींबू पककर आप की टोकरी में आ जाएगा. नींबू की बागवानी करने वाले किसानों के लिए यह खबर फायदा करने वाली है. इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (ICAR) के वैज्ञानिक पिछले कुछ समय से नींबू की नई प्रजाति विकसित करने पर जुटे हुए थे. वैज्ञानिकों ने उसमे एसिड और रस की मात्रा का ध्यान रखा. आईसीआर ने इसका नाम रखा है थार वैभव. वैज्ञानिकों ने नींबू की बहुत खासियत बताई हैं.
एक पौधा देगा 60 किलो नींबू
आईसीएआर के वैज्ञानिकों ने बताया कि यह एसिड लाइम की नई वैरायटी है. इसमें रस की मात्रा 49 परसेंट और एसिड की मात्रा 6.84% मिलेगी. पौधे लगाने के 3 साल बाद फूल और बाद में फल आने शुरू हो जाएंगे. एक पौधा करीब 60 किलोग्राम तक फल देगा. पौधे पर 3 से 9 नींबू का एक गुच्छा होगा.
कोरोना में बड़ी Vitamin C की मांग
पिछले 2 साल देश कोरोना वायरस ने कहर बरपाया. हर घर में लोग कोरोना की चपेट में आ गए. लोगों को इस दौरान इम्यून सिस्टम की इंपोर्टेंस पता चली. उन्होंने खानपान पर फोकस किया और सबसे ज्यादा डॉक्टरों ने विटामिन सी खाने के लिए कहा.
ऐसे में लोग मार्केट में नेचुरल विटामिन सी के सोर्स और मेडिकल स्टोरों पर विटामिन सी की गोली ढूंढने लग गए. आम, संतरा, अमरूद, नींबू यह विटामिन सी के नेचुरल सोर्स है. नींबू में काफी मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है. ऐसे में कोरोना के दौरान नींबू की खपत बढ़ गई. लोग सलाद और सब्जी में नींबू निचोड़ कर डालने लगे. ऐसे में नई किस्म की प्रजाति और अधिक लाभकारी हो सकती है.
अब आगे क्या
विज्ञान लगातार ग्रोथ कर रहा है वैज्ञानिक भी विज्ञान का अध्ययन कर नई रिसर्च कर रहे हैं. आईसीएआर के वैज्ञानिकों ने थार वैभव नींबू की नई प्रजाति विकसित कर ऐसा ही काम किया है. अब वैज्ञानिक थार वैभव के मार्केट में आने वाले रिजल्ट का एनालाइज कर देखेंगे कि लोगों को सेवन करने में कितना इसका फायदा है और प्रजाति से कितना फल किसानों को मिल रहा है. बागवानी में किसान इंटरेस्ट ले रहे हैं या नहीं. इस पर भी आईसीएआर के वैज्ञानिक नजर रखेंगे. साइंटिस्ट अन्य फसलों की और नई प्रजाति विकसित करने में लगे हुए हैं.
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