Crop Loss in Rain: खेती-किसानी में हमेशा से ही अनिश्चितताएं हावी रही हैं. अचानक मौसम बदलने से फसलों में नुकसान हो जाता है, जिससे किसानों पर आर्थिक संकट मंडराने लगता है. पिछले साल ही खरीफ सीजन में मौसम की अनिश्चितताओं के कारण हजारों एकड़ फसल में नुकसान देखने को मिला था. इस साल फरवरी में भी अचानक तापमान बढ़ने से गेहूं की पैदावार कम होने जैसी संभावनाएं पैदा हो गईं. अब मार्च में कई जगहों पर बारिश और ओलावृष्टि ने एक बार फिर किसानों की चिंताएं बढ़ा दी हैं. पंजाब, हरियाणा, राजस्थान के कई इलाकों में बारिश, तेज हवा और ओलावृष्टि के चलते गेहूं की फसल नुकसान में जा रही हैं.


कई इलाकों में गेहूं की कटाई का काम चल रहा है, लेकिन मौसम का बदलता रुख देख किसानों ने कटाई को टाल दिया है. एक तरफ कटी हुई फसलें खेत में पड़े-पड़े चौपट हो रही रही हैं. वहीं खड़ी फसलें भी तेज हवा से झुकती जा रही हैं


हरियाणा में गेहूं की फसल में नुकसान


पिछले 2 दिन से मौसम में हो रहे बदलाव ने पंजाब और हरियाणा के किसानों की चिंताओं को बढ़ा दिया है. दोनों राज्यों के ज्यादातर जिलों में गेहूं की फसलें तेज हवा से झुक गई हैं. कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को सलाह दी है कि अब गेहूं की फसल में सिंचाई बंद कर दें, क्योंकि ऐसा करने से गेहूं की फसल के गिरने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है. तेज हवा और बारिश का टाइम है, इसलिए फसल में भूरे रतुआ की रोकथाम के लिए कवकनाशी का छिड़काव भी नहीं करना पड़ेगा.  ये अपने आप बारिश से धुल जाएगा.


क्या सच में कम हो जाएगा गेहूं का उत्पादन


भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने कुछ दिन पहले ही पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के ज्यादातर इलाकों में तेज हवाएं, बारिश, बिजली और ओलावृष्टि की आंशका जताई थी. फिल्हाल गेहूं पकने की अवस्था में है, इसलिए कई जगहों पर गेहूं का उत्पादन कम होनी की भी संभावना बढ़ गई है. यदि परिस्थितियां ज्यादा बिगड़ जाएंगी तो देश में गेहूं की उत्पादन लक्ष्य से कुछ कम रह सकता है. ये ना सिर्फ किसानों को आर्थिक संकट में डाल देगा, बल्कि देश में गेहूं के भंडारण को भी प्रभावित करेगा. 


फसल नुकसान पर करें शिकायत


बारिश, तेज हवा, ओलावृष्टि, बिजली या अन्य प्राकृतिक आपदाओं से फसल नुकसान होने पर बीमित फसलों के किसान अपनी बीमा कंपनी को फोन करके शिकायत दर्ज करवा सकते हैं. इसके लिए अपने मोबाइल पर पीएम फसल बीमा योजना के तहत जारी फसल बीमा मोबाइल एप डाउनलोड कर सकते हैं. चाहें तो अपने जिले के कृषि विभाग के कार्यालय या बीमा कंपनी के दफ्तर में भी जाकर 14 दिन के अंदर लिखित शिकायत देनी होगी. ऐसा करने पर किसानों को नुकसान की आंशिक भरपाई मिल जाएगी और वे बड़े आर्थिक संकट से बच सकते हैं. 


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